दिल की बीमारियां: भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण !

दिल की बीमारियां: भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण
आज पूरी दुनिया कई तरह की बीमारियों से जूझ रही है. ये बीमारियां सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं हैं, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही हैं. इन बीमारियों के फैलने के कई कारण होते हैं.

दिल से जुड़ी बीमारियां दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों का कारण हैं. इन बीमारियों से गरीब और मध्यम आय वाले देशों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. साल 2021 में दिल की बीमारियों की वजह से करीब 2 करोड़ 5 लाख लोगों की मौत हुई जिनमें से 80% गरीब और मध्यम आय वाले देशों के लोग थे. 

भारत में भी हर चार में से एक मौत दिल की बीमारी की वजह से होती है. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि दिल की बीमारियां एक तरह की खामोशी से फैलती महामारी बन गई हैं.

भारत में पिछले चार सालों में सिर्फ हार्ट अटैक से 25,000 से 28,000 लोगों की मौत हुई. यह आंकड़ा साल 2022 की एक रिपोर्ट ‘भारत में दुर्घटनाओं से होने वाली मौतें और आत्महत्याएं’ में बताया गया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यसभा में पिछले साल बताया था कि 2016 में भारत में होने वाली मौतों में से 28.1% दिल की बीमारियों की वजह से हुई थी. ये जानकारी आईसीएमआर की एक रिपोर्ट के आधार पर दी गई. ये भी बताया गया है कि 1990 में दिल की बीमारियों से होने वाली मौतें 15.2% थीं और साल 2016 तक ये बढ़कर 28.1% हो गई. 

दुनिया में सबसे ज्यादा मौतों का कारण
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, साल 2019 में करीब 179 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारियों से हुई, जो दुनिया में होने वाली कुल मौतों का 32% है. इनमें से 85% मौतें दिल का दौरा और स्ट्रोक की वजह से हुईं. दिल की बीमारियों से होने वाली तीन-चौथाई मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं.

2019 में 70 साल से कम उम्र में होने वाली 170 लाख मौतों में से 38% दिल की बीमारियों की वजह से हुईं. तंबाकू का सेवन, गलत खान-पान और मोटापा, कम व्यायाम, शराब का ज्यादा सेवन और प्रदूषण जैसी आदतों और पर्यावरणीय कारणों से दिल की ज्यादातर बीमारियां रोकी जा सकती हैं. दिल की बीमारी का जल्दी पता लगाना बहुत जरूरी है ताकि सलाह और दवाओं के जरिए इलाज शुरू किया जा सके.

दिल की बीमारियां: भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण

दिल से जुड़ी बीमारियां कौन सी
दिल की बीमारियां ऐसी समस्याएं हैं जो हमारे दिल और खून की नलियों को कमजोर कर देती हैं. इनका मुख्य कारण खून का रुकावट है जिससे दिल या दिमाग तक खून नहीं पहुंच पाता. ऐसा ज्यादातर दिल या दिमाग को खून पहुंचाने वाली नलियों की भीतरी दीवारों पर चर्बी जमने की वजह से होता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज, ब्रेन की रक्त वाहिकाओं की बीमारी, पैरों की धमनियों की बीमारी, गठिया से होने वाली दिल की बीमारी, जन्म से दिल की बीमारी, गहरी नसों में खून का थक्का बनना और फेफड़ों में खून का थक्का जैसी कई बीमारियां शामिल हैं.

  • कोरोनरी हार्ट डिजीज: दिल की मांसपेशियों को खून पहुंचाने वाली नलियों की बीमारी
  • सेरेब्रोवस्कुलर डिजीज: दिमाग को खून पहुंचाने वाली नलियों की बीमारी
  • पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज: हाथों और पैरों को खून पहुंचाने वाली नलियों की बीमारी
  • रूमेटिक हार्ट डिजीज: स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया की वजह से होने वाले गठिया के कारण दिल की मांसपेशियों और वाल्व को होने वाली क्षति
  • कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज: जन्म से दिल की बनावट में खराबी की वजह से दिल का सामान्य विकास और काम करने में दिक्कत
  • डीप वेन थ्रॉम्बोसिस और पल्मोनरी एम्बॉली: पैर की नसों में खून का थक्का बनना, जो टूटकर दिल और फेफड़ों तक जा सकता है.

दिल की बीमारियों का क्या है कारण
दिल की बीमारियों होने का खतरा बढ़ाने वाली कई चीजें हैं. सबसे ज्यादा असर हमारी दिनचर्या पर पड़ने वाली आदतों का होता है, जैसे कि गलत खान-पान, कम व्यायाम, धूम्रपान और ज्यादा शराब पीना. इसके अलावा, प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है.

इन बुरी आदतों की वजह से कुछ लोगों में खून का दबाव बढ़ जाता है, ब्लड शुगर बढ़ जाता है, खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा हो जाती है और मोटापा बढ़ जाता है. ये सब चीजें दिल के दौरे, स्ट्रोक, दिल की कमजोरी और दूसरी समस्याओं का खतरा बढ़ाती हैं. डॉक्टर इन चीजों की जांच करके पता लगा सकते हैं कि आपको दिल की बीमारी होने का कितना खतरा है.

दिल की बीमारियों से बचने के तरीके
दिल की बीमारियों का खतरा कम करने के लिए कई चीजें की जा सकती हैं. जैसे कि धूम्रपान छोड़ना, खाने में नमक कम करना, ज्यादा फल और सब्ज़ी खाना, नियमित व्यायाम करना और शराब कम पीना. साथ ही, सरकार को भी कुछ कदम उठाने चाहिए. जैसे कि स्वस्थ चीजों को सस्ता और आसानी से मिलने वाला बनाना, हवा की गुणवत्ता बढ़ाना और प्रदूषण कम करना. इससे लोगों को स्वस्थ रहने की आदत डालने में मदद मिलेगी.

दिल की बीमारियों के पीछे और भी कई कारण हैं. ये कारण हमारे समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में हो रहे बड़े बदलावों से जुड़े हैं, जैसे कि दुनियाभर में बढ़ता संपर्क, शहरों में लोगों का बढ़ना और बढ़ती उम्र वाली आबादी. इसके अलावा, गरीबी, तनाव भी दिल की बीमारियों के कारण हो सकते हैं.

दिल की बीमारियों के आम लक्षण
अक्सर, खून की नलियों की बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. दिल का दौरा या स्ट्रोक ही पहला संकेत हो सकता है. दिल के दौरे के लक्षणों में शामिल हैं- सीने के बीच में दर्द या बेचैनी, बांहों, बाएं कंधे, कोहनी, जबड़े या पीठ में दर्द या बेचैनी. 

इसके अलावा, व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना, मतली या उल्टी, चक्कर आना या बेहोशी, ठंडा पसीना आना और पीला पड़ जाना हो सकता है. महिलाओं में सांस की तकलीफ, मतली, उल्टी और पीठ या जबड़े में दर्द होने की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है.

रूमेटिक हार्ट डिजीज क्या है?
रूमेटिक हार्ट डिजीज एक ऐसी बीमारी है जो दिल के वाल्व और दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती है. ये नुकसान रूमेटिक फीवर नाम की एक बीमारी की वजह से होता है. रूमेटिक फीवर तब होता है जब शरीर में स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के संक्रमण के खिलाफ असामान्य प्रतिक्रिया होती है. ये संक्रमण आमतौर पर बच्चों में गले में खराश या टॉन्सिल्स में सूजन के रूप में शुरू होता है.

रूमेटिक फीवर ज्यादातर उन देशों के बच्चों को प्रभावित करता है जहां लोग गरीबी में जीते हैं. पूरी दुनिया में दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में से लगभग 2% रूमेटिक हार्ट डिजीज की वजह से होती हैं. इसके लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, थकान, दिल की धड़कन में अनियमितता, सीने में दर्द और बेहोशी शामिल हैं. 

सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब लोग
डब्ल्यृएचओ के अनुसार, कम और मध्यम आय वाले देशों में सबसे ज्यादा गरीब लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं. इन देशों में बहुत से लोगों को बीमारी के काफी बढ़ जाने के बाद ही इसका पता चलता है और वे दिल की बीमारियों और दूसरी लंबी बीमारियों की वजह से अपनी जिंदगी के सबसे कामकाजी समय में ही मर जाते हैं.

परिवारों के स्तर पर देखा जाए तो पता चलता है कि दिल की बीमारियां और दूसरी लंबी बीमारियां गरीबी बढ़ाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन बीमारियों पर बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी इन बीमारियों का बहुत बुरा असर पड़ता है.

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