क्या ‘फ्लाइंग कॉफिन’ बनता जा रहा है यह स्वदेशी हेलीकॉप्टर?
Dhruv Crash: क्या ‘फ्लाइंग कॉफिन’ बनता जा रहा है यह स्वदेशी हेलीकॉप्टर? लगातार हो रहे हादसों से नहीं लिया सबक!
Dhruv Crash: एक दिन पहले बिहार के मुजफ्फरपुर में तकनीकी खराबी के चलते बाढ़ वाले इलाके में वायुसेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। हेलीकॉप्टर ने दरभंगा वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी थी। इमरजेंसी लैंडिंग के बाद हेलीकॉप्टर का एक हिस्सा बाढ़ के पानी में डूब गया।
बुधवार को बिहार के सीतामढ़ी जिले में बाढ़ राहत अभियान में लगे भारतीय वायुसेना के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव को मुजफ्फरपुर जिले के औराई ब्लॉक के नयागांव में तकनीकी खराबी के चलते बाढ़ वाले इलाके में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। हेलीकॉप्टर ने दरभंगा वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी थी। हालांकि इमरजेंसी लैंडिंग के बाद हेलीकॉप्टर का एक हिस्सा बाढ़ के पानी में डूब गया। हेलीकॉप्टर में चार लोग सवार थे और सभी सुरक्षित हैं। वहीं भारतीय वायुसेना ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि पायलट की सूझबूझ के चलते एक बड़ा हादसा टल गया। वहीं पिछले एक महीने में स्वदेशी हेलीकॉप्टर एएलएच ध्रुव के साथ यह दूसरी बड़ी दुर्घटना है। भारतीय सेना और भारतीय तटरक्षक बल भी इससे पहले तकनीकी खामियों के चलते एएलएच ध्रुव को ग्राउंड कर चुके हैं। वहीं, सेना में दबे स्वरों में इसकी तुलना कुख्यात मिग-21 फाइटर जेट से की जा रही है, जो एक वक्त में लगातार हो रहे हादसों के चलते ‘फ्लाइंग कॉफिन’ के नाम से मशहूर हो गए थे। मिग-21 के 60 साल की ड्यूटी में 400 क्रैश, 200 पायलट शहीद हो चुके हैं। मिग-21 के आखिरी बेड़े को साल 2025 तक हटाए जाने की योजना है।
बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि हेलीकॉप्टर का इंजन फेल हो गया था और पायलट ने हेलीकॉप्टर को उथले पानी में उतारने का फैसला किया। इस दौरान जान-माल की कोई हानि नहीं हुई। हालांकि हेलीकॉप्टर के रोटर और फ्यूजलेज के छोटे पार्ट्स को नुकसान पहुंचा है। लेकिन एएलएच ध्रुव का यह पहला एक्सीडेंट नहीं है। दो सितंबर को भारतीय तटरक्षक बल का एक एएलएच पोरबंदर से लगभग 45 किलोमीटर दूर एक भारतीय ध्वज वाले कार्गो शिप हरि लीला के पास पहुंचा था, जिस पर एक घायल क्रू मेंबर था। उसे निकालने के लिए सोमवार रात 11 बजे एएलएच ध्रुव गया था। हेलीकॉप्टर कार्गो शिप के पास पहुंचा ही था, तभी उसे इमरजेंसी हार्ड लैंडिंग करनी पड़ी। इस दौरान वह समुद्र में गिर गया। इस दौरान जहाज में सवार दो लोगों की मौत हो गई। हेलीकॉप्टर पर 2 पायलट और 2 गोताखोर सवार थे। इनमें से एख गोताखोर को बचा लिया गया है। हालांकि इस हादसे के बाद भारतीय तटरक्षक बल ने एहतियाती उपाय के तौर पर ध्रुव के बेड़े को तुरंत ग्राउंड कर दिया।
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में सबसे पहले चेतक हेलीकॉप्टर की लैंडिंग करने वाले रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने अमर उजाला को बताया कि यह एक टेक्निकल फॉल्ट हो सकता है, जो बेहद कॉमन हैं। 2022 और 23 में भी जो हादसे हुए थे उनमें कंट्रोल रॉड की समस्या थी, जिसे दुरुस्त भी किया गया था। वहीं हेलीकॉप्टर की मेंटेनेंस को लेकर उन्होंने कहा कि जल्दी-जल्दी मेंटेनेंस करना भी समस्या का हल नहीं है। अगर किसी हेलीकॉप्टर की सर्विस 600 घंटे बाद होती है, और अगर हम उसे जल्दी करेंगे तो इसका सबसे पहला नुकसान तो यह होगा कि हेलीकॉप्टर को कुछ दिनों के लिए ग्राउंड करना पड़ेगा, साथ ही समय से पहले सर्विस से उसकी परफॉरमेंस पर भी असर पड़ेगा और उसकी ऑपरेशनल क्षमता कमजोर होगी। वहीं रेट्रोफिटिंग में लंबा वक्त लगता है। सर्विसिंग का वक्त जितना लंबा होता है, वह उतना ही बढ़िया होता है। वह कहते हैं कि अगर हेलीकॉप्टर में कोई डिजाइनिंग इश्यू या कोई और समस्या है, तो एचएएल को देखना चाहिए। एचएएल के बनाए सभी हेलीकॉप्टरों को रिकॉल करना समस्या का हल नहीं है। रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर आगे कहते हैं कि हां लगातार हो रहे हादसों से इसके एक्सपोर्ट की संभावनाओं पर असर जरूर पड़ता है। क्योंकि इसका असर फॉरेन बॉयर्स पर पडता है।
वहीं इससे पहले 2023 में भी एएलएच ध्रुव कई बार हादसों का शिकार हुआ। 4 मई, 2023 को जम्मू-कश्मीर में जब ध्रुव हादसे का शिकार हुआ था, तो इसमें भारतीय सेना के दो पायलट मारे गए थे। जिसके चलते सेना ने ध्रुव हेलीकॉप्टर के ऑपरेशंस एक महीने तक के लिए रोक लगा दी थी, पायलटों ने ध्रुव में पावर लॉस की शिकायत की थी। इससे पहले मार्च में नेवी और कोस्ट गार्ड ने ध्रुव हेलीकॉप्टर के ऑपरेशंस पर रोक लगाई थी। भारतीय सेना में सबसे ज्यादा 96 एलएएच और इसका सैन्य वर्जन रुद्र है, जिसकी संख्या लगभग 75 के आसपास है। वहीं भारतीय वायुसेना में 70 एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव अभी सेवा में हैं। बाकी नौसेना और तटरक्षक बल के पास हैं। इससे पहले अक्तूबर 2022 अरुणाचल प्रदेश में मिगिंग के पास भारतीय सेना का एएलएच एमके4 वैरिएंट हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ था, जिसमें सवार सभी पांच लोगों की मौत हो गई थी।
ध्रुव की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की टीम ने हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा जांच में पाया कि इनके गियरबॉक्स में कंट्रोल रॉड और हाइड्रोलिक्स से संबंधित दिक्कतें थीं। कंट्रोल रॉड का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर के दोनों इंजनों से उसके ऊपरी रोटरों तक पावर ट्रांसफर करने के लिए होता है। एएलएच में कंट्रोल रॉड एल्युमीनियम की बनी होती है, और एचएएल ने कुछ हेलीकॉप्टरों में इसे स्टील से बदलने का फैसला लिया। साथ ही, 300 घंटे की उड़ान के बाद की जांच की बजाय हर 100 घंटे बाद रॉड की जांच का सुझाव भी दिया, जिससे हेलीकॉप्टर की परफॉरमेंस बढ़ेगी और पायलट का चॉपर पर कंट्रोल बेहतर रहे।
ध्रुव 5.5 टन वजनी डबल इंजन वाला मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर है। एएलएच के ऑपरेशंस पर पहले भी रोक लगाई जा चुकी है। साल 2006 में टेल रोटर की दिक्कतों के चलते और फिर 2014 में एक बड़े हादसे के बाद इनके ऑपरेशंस पर रोक लगाई जा चुकी है। जुलाई 2014 में उत्तर प्रदेश के सीतापुर के पास हुई दुर्घटना में इसके सात सदस्यीय चालक दल के सदस्य मारे गए थे। बरेली में सर्विस होने के बाद उस हेलीकॉप्टर ने केवल दो घंटे की उड़ान भरी थी। वहीं, अक्तूबर 2019 में हुए एक दूसरे हादसे में, पूर्व उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और आठ अन्य लोग पुंछ सेक्टर में एएलएच दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे।
इतने हादसों के बावजूद इस साल अप्रैल में रक्षा मंत्रालय ने 34 एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव एमके III की खरीद की मंजूरी दी है, जिन्हें 25 भारतीय सेना में, 09 हेलीकॉप्टर भारतीय तट रक्षक बल में शामिल किए जाने हैं। ध्रुव के प्रमुख वेरिएंट MK-I, MK-II, MK -III और MK-IV हैं। इनमें एएलएच ध्रुव एमके III यूटी (यूटिलिटी) हेलीकॉप्टर को खोज और बचाव, सैन्य परिवहन, कार्गो, रेकी/बचाव राहत अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। जबकि एमके IV वैरिएंट एएलएच का सैन्य संस्करण है, जिसे ‘रुद्र’ कहा जाता है।
वहीं स्वदेश में ही बने इस ध्रुव हेलीकॉप्टर की खूबियों को देखते हुए इसके निर्यात के भी दरवाजे खुले। लैटिन अमेरिका से लेकर अफ्रीका, पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया के करीब 35 देशों ने इसे खरीदने की इच्छा जताई। तो कई देशों ने इसका प्रदर्शन देखने के लिए भी आग्रह किया। ALH को सैन्य उपयोग के लिए मालदीव, मॉरीशस, नेपाल और इक्वाडोर जैसे देशों को भी बेचा गया है। इनमें से एक हेलीकॉप्टर को इस्राइल के सुरक्षा बलों (IDF) को पट्टे पर दिया गया है। इसके अलावा, तुर्की और पेरू जैसे देशों ने नागरिक उद्देश्यों के लिए ध्रुव को खरीदा है। एचएएल ने 2000 के दशक में एलबिट, यूरोकॉप्टर और कजान जैसे निर्माताओं को पीछे छोड़ कर इक्वाडोर को 45.2 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट के तहत सात ध्रुव हेलीकॉप्टर बेचे। लेकिन अक्तूबर 2009 में पहला ध्रुव हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। जिसके बाद दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर ने एलान किया कि यह सेवा के लिए उपयुक्त नहीं है और इसे भारत को लौटाने का फैसला किया। हालांकि एचएएल ने अपनी जांच में पाया कि इसमें पायलट की गलती थी, जिसके बाद इक्वाडोर ने अपना फैसला पलट दिया।
लेकिन खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। 2015 तक इक्वाडोर को दिए सात में से चार हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गए। जिसके बाद ध्रुव हेलीकॉप्टरों को उड़ान भरने से रोक दिया गया और उसी साल इक्वाडोर ने एचएएल से अपना कॉन्ट्रैक्ट एकतरफा खत्म कर दिया। साथ ही, इक्वाडोर ने आखिरी तीन ध्रुव हेलीकॉप्टर को बेचने का फैसला किया और पश्चिमी देशों से छह एयरबस एच145 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया। जिसके चलते देश के भीतर भी ध्रुव को आलोचना का शिकार होना पड़ा। जिसके बाद एचएएल ने इसका MK III और MK IV वैरिएंट भी उतारा। सितंबर 2023 में अर्जेंटीनी सेना के पायलटों ने बैंगलोर में दोनों वैरिएंटों को उड़ाया। पायलट दोनों वैरिएंटों की परीक्षण उड़ान से संतुष्ट दिखे। वहीं अर्जेंटीना अब इसके 20 हेलीकॉप्टरों के ऑर्डर देने का विचार कर रहा है।
ध्रुव के MK III वैरिएंट में पहले एएलएच की तुलना में कई सुधार किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि इसमें शक्ति इंजन लगाया गया है, जिसे एचएएल और फ्रांस की इंजन निर्माता सफ्रान ने मिल कर बनाया है। इसके ग्लास कॉकपिट के साथ, एडवांस मैरीटाइम पेट्रोल रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पेलोड और नाइट विजन डिवाइस लगाए गए हैं। साथ ही, नए इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूट, वार्निंग सिस्टम, फ्लेयर डिस्पेंसर और बेहतर वाइब्रेशन कंट्रोल सिस्टम से भी भी लैस किया गया है। नए MK III वैरिएंट के बारे में कहा जाता है कि इसका रडार 120 समुद्री मील दूर से दुश्मन के जहाजों को ट्रैक कर सकता है। साथ ही इसमें सैन्य अभियानों के लिए 12.7 मिमी केबिन-माउंटेड गन भी लगी है। ध्रुव ने सियाचिन ग्लेशियर और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों के अलावा समु्द्री अभियानों में भी अपनी क्षमता साबित की है। लद्दाख में तैनात आर्मी एविएशन ब्रिगेड पास भी ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं, जिन्हें पुराने पड़ चुके चीता, चेतक और चीतल से रिप्लेस किया जाना है।
सेना के सूत्रों ने बताया कि सेना में धीरे-धीरे लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) ध्रुव की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि ये न केवल चीता और चीतल के मुकाबले दमदार हैं, बल्कि लॉजिस्टिक के लिहाज से देखा जाए, तो उनमें ज्यादा जगह भी है। लेकिन भारतीय सेना के पास ध्रुव जितनी संख्या में होने चाहिए, वह काफी नहीं हैं, वह और लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स की बाट जोह रही है। सेना को 225 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों की जरूरत है और 110 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों की खरीद को लेकर बातचीत जारी है।