कोई भी कंपनी तभी महान बनेगी जब वहां रोज़ प्रेरणा देने वाला कल्चर होगा

जीतती हमेशा वही कंपनी है जो फोकस्ड है। भारत में हमारा मुकाबला ज्यादा व्यवस्थित और बेहद विशाल खिलाड़ियों से है। हॉन्डा जितना अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च करती है, वो रकम बजाज ऑटो के टर्नओवर की करीब 70 प्रतिशत के बराबर है। विश्व स्तर पर बजाज भी छोटी कंपनी कतई नहीं है। हमें केवल अपने सीमित रिसोर्सेज पर फोकस करना है और लक्ष्य बेहद सावधानी से तय करने हैं।इच्छाओं से भरी सोच अपनाने से पहले विजन की सुरक्षा कर लेनी चाहिए। आज के दौर में सुधार की भूख बेहद जरूरी है। हम आत्म-संतुष्ट तो कतई नहीं हो सकते। हमारी इच्छाशक्ति को चुनौती देने के लिए हमेशा ही ऊंचे पहाड़ मौजूद रहने चाहिए। इसलिए खुद की आलोचना भी करना आना चाहिए।

‘कंपनी को कल्चर ही अलग बनाता है’

कल्चर का अलग होना बेहद जरूरी है। बस महत्वपूर्ण यह है कि इसी कल्चर पर वहां मौजूद हर इंसान यकीन कर रहा हो और यही कल्चर हर कर्मचारी को प्रेरित कर रहा हो। कंपनी कोई भी हो… बड़े संस्थानों की बड़ी लड़ाई इसी कल्चर को बनाए रखने की होती है। उनकी चिंता यह होती है कि क्या हमारे लोग रोज काम पर आना एंजॉय करते हैं? क्या संस्थान में पॉजिटिव एनर्जी फ्लो कर रही है या नहीं? हमारी कंपनी की एक्टिविटीज़ में ग्राहक केंद्रबिंदु है या नहीं?

‘ईमानदारी और भरोसे पर फोकस रखिए’

हम जिससे भी डील करें, उससे ईमानदार होने की कोशिश करें। इसी कारण ‘हमारा बजाज’ सभी को अपनापन महसूस करवाता है। कोई भी कंपनी तभी जिंदा रहेगी जब वो वक्त के साथ बदलती रहेगी। यहां आत्मा बदलने की बात नहीं हो रही है, बर्ताव की बात हो रही है। नई पीढ़ी का आना अटल सत्य है। उनके सामने भी चैलेंज वही होगा… बिना कल्चर को प्रभावित किए कंपनी को आगे ले जाना। मुझे गर्व है कई भारतीय कंपनियां ऐसा कर पा रही हैं।

‘जिसने भी कोई उपलब्धि हासिल की है उनमें मैंने यह खूबियां पाई हैं..’

बदलाव को तैयार रहिए – बदलते माहौल को भांपना सीखिए। उसी के अनुसार खुद को ढालते रहिए। किसी भी कंपनी को चलाने के लिए यह सबसे बड़ी खूबी है।

सीखते रहिए – कामयाबी कोई भी हो, हासिल वही करता है जिनका झुकाव हमेशा कुछ करते रहने की ओर होता है और ये जल्दी सीखने वाले लोग होते हैं।

समर्पित रहिए – ग्राहकों के प्रति पागलपन की हद तक समर्पित रहिए। उनकी राय के अनुरूप ही प्रॉडक्ट बनाइए। और हां…, सर्विस में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

हमेशा ‘अलग’ बने रहिए – वह मत करिए जो सभी करते हैं। कुछ अलग ढूंढिए। अलग हमेशा होता है और जो इसे ढूंढ लेता है वो इसका फायदा जरूर उठाता है।

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