दंगों से बचाने और गिरफ्तारी रोकने तक…क्या-क्या काम करती है भारतीय एम्बेसी?

दंगों से बचाने और गिरफ्तारी रोकने तक…क्या-क्या काम करती है भारतीय एम्बेसी? बांग्लादेश में मदद के लिए जारी किया अलर्ट
Indian Embassy in Bangladesh: बांग्लादेश में तख्तापलट और सियासी उथल-पुथल के बीच भारत ने वहां अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास में तैनात गैरजरूरी कर्मचारियों को वापस बुला लिया है. भारत बांग्लादेश में स्थित अपने दूतावास के संपर्क में बना हुआ है. अब एम्बेसी ने बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों के लिए मदद का अलर्ट जारी किया है. आइए जानते हैं दुनिया के कितने देशों में भारतीय एम्बेसी है, यह क्या-क्या काम करती है और कब-कब भारतीयों को मुसीबत से निकाला?
दंगों से बचाने और गिरफ्तारी रोकने तक...क्या-क्या काम करती है भारतीय एम्बेसी? बांग्लादेश में मदद के लिए जारी किया अलर्ट

दुनिया के 121 देशों में भारत के दूतावास हैं. …

बांग्लादेश में तख्तापलट और सियासी उथल-पुथल के बीच भारत ने वहां अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास में तैनात गैरजरूरी कर्मचारियों को वापस बुला लिया है. इनमें से बड़ी संख्या में कर्मचारी वापस आ गए हैं तो बाकी को निकाला जा रहा है. साथ ही बांग्लादेश की पद से हटाई गई प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में होने की वजह से भारत पूरे मामले पर नजरें बनाए है. भारत बांग्लादेश में स्थित अपने दूतावास के संपर्क में बना हुआ है. अब एम्बेसी ने बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों के लिए मदद का अलर्ट जारी किया है.

कितने देशों में भारतीय एम्बेसी, क्या-क्या काम करती है?

किसी भी देश के साथ बेहतर राजनयिक संबंध स्थापित करने में एम्बेसी की अहम भूमिका होती है. बेहतर संबंध और संपर्क बनाए रखने के साथ ही एम्बेसी दूसरे देशों में रहने वाले और जाने वाले अपने नागरिकों की सहायता हरसंभव सहायता करती है. आज दुनिया के कम से कम 121 देशों में भारत के दूतावास हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में देशों में भारत ने अपने वाणिज्य दूतावास खोले हैं. इन्हीं दूतावासों के जरिए विदेश से भारत यात्रा करने के इच्छुक विदेशी नागरिकों को वीजा आदि जारी किया जाता है. राजनयिक के साथ ही वाणिज्य संबंध स्थापित करने में भी इनकी अहम भूमिका होती है.

इस तरह से अपने लोगों की मदद की जाती

भारत सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार दूसरे देशों में स्थापित दूतावास और वाणिज्य दूतावास विदेश गए भारतीय पासपोर्ट धारकों (भारतीय नागरिकों) और प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के साथ ही खास परिस्थितियों में पीआईओ/ओसीआई कार्ड धारकों की मदद करता है.

सरकारी वेबसाइट पर बताया गया है कि अलग-अलग मामलों के आधार पर भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास अपने लोगों की मदद करता है. यह संबंधित भारतीय कानूनों के अनुसार भारतीय नागरिकों के जन्म और मृत्यु के साथ ही भारतीय नागरिकों के विवाह को पंजीकृत करता है. इसके अलावा आपात स्थिति में पासपोर्ट जारी करना, आपातकालीन प्रमाण-पत्र देना और अन्य दस्तावेज का प्रतिस्थापन करना भी इसकी जिम्मेदारियों में शामिल है.

राहत और वित्तीय सहायता

दूतावास या वाणिज्य दूतावास के जरिए ही दूसरे देशों में संकट में फंसे हुए भारतीयों को राहत और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. विदेशी सरकारों द्वारा भारतीयों के निर्वासन में दूतावास ही सहायता करता है. दूसरे देशों के साथ संधि या व्यवस्था के तहत लोगों का प्रत्यर्पण कराने में दूतावास की अहम भूमिका होती है. कुछ आकस्मिक स्थिति में दूतावास या वाणिज्य दूतावास ही विदेश में भारतीयों के धन और व्यक्तिगत प्रभावों की निगरानी करता है.

गिरफ्तारी की स्थिति में मदद

किसी देश में यदि भारतीय नागरिक को गिरफ्तार किया जाता है तो दूतावास या वाणिज्य दूतावास का प्रतिनिधि उस नागरिक से मिलता है या संपर्क कर सकता है. नागरिक को परिवार को सूचित करता है. जरूरत पड़ने पर कांसुलर सहायता भी प्रदान करता है. इसके अलावा दूतावास की कोशिश रहती है कि संबंधित देश के कानून के अनुसार भारतीय नागरिक के साथ अच्छा व्यवहार हो. विदेशों में किसी भारतीय की मौत, लापता होने या अपहरण सहित अन्य मामलों में सलाह और समर्थन देता है. विदेश में किसी आपात स्थिति में फंसे अपने नागरिक की सहमति से दूतावास ही उसकी ओर से मित्रों या परिवार से संपर्क करता है.

हमले या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हेल्प

किसी अन्य आपात स्थिति पर सहायता प्रदान करना भी दूतावास के जिम्मे है, जिसमें चिकित्सा की आपात स्थिति भी शामिल है. यदि कोई भारतीय नागरिक किसी दूसरे देश में गंभीर हमले या अन्य अपराध के शिकार होते हैं, तो स्थानीय कानूनों के तहत उसे सहायता प्रदान की जाती है. अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, उपद्रव और प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में दूतावास की ओर से विशेष व्यवस्था की जाती है.

कुछ तरह की नोटरी सेवाएं भी दूतावास प्रदान करता है, जिसमें संबंधित नियमों के अनुसार दस्तावेजों की जांच और प्रमाणित करना और शपथ तथा पुष्टि शामिल हैं. इनसे संबंधित नियमों के अनुसार विदेशों में प्रमाण तथा सेवा दस्तावेज लेना भी इसका जिम्मा है. इनमें से कई मामलों में सशुल्क सेवा दी जाती है.

विदेश में फंसे भारतीयों को निकालना

विदेशों में मौजूद भारतीयों से संबंधित कुछ अंतर्राष्ट्रीय संकटों और आपात स्थितियों में दूतावास की ओर से विशेष कार्रवाई की जाती है. खासकर ऐसी परिस्थिति में, जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय मारे गए हैं या घायल हुए हैं या जहां भारतीयों को गंभीर खतरा हो, (युद्ध, दंगे, आतंकवादी हमले, बड़ी दुर्घटनाएं, महामारी और प्राकृतिक आपदाएं) दूतावास अपने नागरिकों के लिए समुचित कदम उठाता है.

मृतकों को स्वदेश लाने से लेकर राजनीतिक अशांति के कारण अगर भारतीयों को वह देश छोड़ने की सलाह दी गई हो और यदि कोई वाणिज्यिक विकल्प उपलब्ध नहीं हो, तो भारतीयों के प्रस्थान या निकासी की आवश्यकता को भी भारत सरकार दूतावास के जरिए ही पूरी करती है.

तमाम मौकों पर भारतीयों की मदद की

ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं, जब भारत सरकार ने अपने दूतावासों के जरिए विदेश में फंसे अपने नागरिकों की मदद की है. ऐसे हालात में विदेश में फंसे भारतीयों को दूतावास से संपर्क करने और पंजीकरण कराने की सलाह दी जाती है, जिससे कुल भारतीयों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सके और उसी के हिसाब से राहत और बचाव कार्य किया जा सके. ताजा मामला तो बांग्लादेश का ही है, जहां से भारतीय नागरिकों और दूतावास के अतिरिक्त कर्मचारियों को निकालने में दूतावास अहम भूमिका निभा रहा है. संकट के बावजूद बांग्लादेश में दूतावास काम कर रहा है. ज्यादातर राजनयिकों और उनके परिवार के लोगों को वहां दूतावास में ही ठहराया गया है.

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन में फंस गए थे. उनको निकालने में दूतावास के जरिए मदद की गई. रूस में भारतीय मजदूरों को युद्ध में भेजने पर दूतावास के जरिए ही संपर्क साधा गया. कतर में जासूसी के आरोप में फंसे नौ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को सजा तक हो गई थी. इस मामले में भारत सरकार ने अपने दूतावास के जरिए पैरवी की और सभी को रिहा करा लिया था. कोरोना काल में केंद्र सरकार ने विदेशों में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए जब वंदे भारत मिशन शुरू किया तो दूतावासों की मदद से ही 60 लाख भारतीयों को वापस लाया जा सका था.

इससे पहले साल 2015 में यमन सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच झड़पों के कारण हजारों भारतीय फंस गए थे. सऊदी अरब ने अपने देश में नो-फ्लाई जोन घोषित कर दिया था. इसके कारण हवाई मार्ग से यमन पहुंचना संभव नहीं था. तब भारत ने समुद्र के रास्ते अपने नागरिकों को तो निकाला ही था, 41 से अधिक दूसरे देशों के 960 नागरिकों को भी बचाया था. साल 2015 में ही नेपाल में भूकंप के बाद 15 मिनट में भारत ने ऑपरेशन मैत्री शुरू कर दिया था. इसके तहत 5,000 से अधिक भारतीयों को नेपाल से वापस लाया गया था. साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी के भी 170 विदेशी नागरिकों को निकाला गया था.

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