बैंडिट क्वीन से माननीय फिर मर्डर, किस्सा ए फूलनदेवी !

बागी तेवर, बीहड़ से प्रेम और 22 मर्डर…बैंडिट क्वीन से माननीय फिर मर्डर, किस्सा ए फूलनदेवी
बेहमई में नरसंहार से चर्चा में आई फूलनदेवी कभी बीहड़ों की सनसनी थी. उस समय मीडिया ने फूलनदेवी को दस्यु सुंदरी नाम दिया था. लेकिन एक मासूम सी लड़की कैसे इतनी निर्मम हो गई कि महज 7 सेकंड में 22 लोगों को मौत की नींद सुला दिया. जानने के लिए पढ़ें फूलनदेवी के जीवन से जुड़ी यह डिटेल स्टोरी.

बागी तेवर, बीहड़ से प्रेम और 22 मर्डर...बैंडिट क्वीन से माननीय फिर मर्डर, किस्सा ए फूलनदेवी

फूलन देवी की कहानी….

वो महज 13 साल की थी, उसे तो पता भी नहीं था कि शादी क्या होती है और पति पत्नी के संबंध क्या होते हैं. गरीब मल्लाह परिवार में पैदा हुई थी, लेकिन तेवर बागी थे. इसलिए मां बाप ने तीन गुना उम्र के अधेड़ से विवाह कर दिया. बड़ी मुश्किल से वह मां का आंचल छोड़ कर ससुराल आई तो उसका पति शराब के नशे में रोज रात को रेप करने लगा. बड़ी मुश्किल से 3 साल काटे और एक दिन मौका मिला तो मां-बाप के पास भाग आई. यहां गांव की पंचायत ने उसे पुलिस को सौंप दिया.

तीन दिन लॉकअप में रही और यहां भी रोज पुलिस वालों ने उसके साथ रेप किया. छूट कर बाहर आई तो कुख्यात डकैत बाबू गुर्जर ने पकड़ लिया और अपने ठिकाने पर ले जाकर रोज रेप करने लगा. यह दर्द भरी दास्तां उस महिला की है जिसे चंबल के बीहड़ में दस्यु सुंदरी तो राजनीति में माननीय फूलनदेवी के नाम से जानते हैं. हमीरपुर के पास जालौन के गुरहा का पुरवा में पैदा हुई और समाजवादी पार्टी के टिकट पर दो बार सांसद रही फूलनदेवी की दर्द भरी दास्तां इतनी ही नहीं है.

मिर्जापुर से दो बार सपा के टिकट पर बनी सांसद

चूंकि 10 अगस्त को फूलनदेवी का जन्मदिन है. इसलिए यह मौका भी है, मौसम भी है और दस्तूर भी. इसलिए इस प्रसंग में आज हम फूलनदेवी की उसी दास्तां की चर्चा करेंगे, जिससे मासूम सी फूलन पहले दस्यु सुंदरी बनी, फिर बैंडिट क्वीन और बाद में राजनीति में आई और फिर फूलनदेवी के रूप में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर तक दो बार पहुंच कर माननीय भी बनी. फूलनदेवी जब डकैत बाबू गुर्जर के बाहों में पिस रही थी, उस समय बाबू गुर्जर के ही साथी डकैत विक्रम मल्लाह से देखा नहीं गया. उसने बाबू गुर्जर की हत्या कर दी और फूलनदेवी को मुक्त करा लिया.

बेहमई में 21 दिनों तक 22 लोगों ने किया था रेप

इस घटना के बाद बाबू गुर्जर का गैंग दो हिस्सों में बंट गया. एक हिस्से का नेतृत्व विक्रम मल्लाह करने लगा तो दूसरा बाबू गुर्जर के बेहद खास लाला राम और उसके भाई करने लगे. एक दिन मौका देखकर लाला राम ने फूलन को अगवा कर लिया और कानपुर देहात के बेहमई स्थित अपने गांव के एक खंडहर में बंद कर दिया. इस दौरान लाला राम ने उसके सारे कपड़े भी नोंच कर अलग कर दिए. इस कमरे में फूलन 21 दिन रही थी और इन 21 लोगों में 22 लोगों ने उसके साथ बार बार रेप किया.

विक्रम मल्लाह से ली हथियार चलाने की ट्रेनिंग

21वें दिन लाला राम ने निर्वस्त्र अवस्था में उसे कमरे से बाहर निकाला और उसी हाल में 100 मीटर दूर कुएं पर पानी भरने के लिए भेजा. संयोग से इसकी खबर विक्रम मल्लाह और उसके साथियों को मिल गई. उन लोगों ने एक बार फिर फूलनदेवी को मुक्त कराया. इसके बाद फूलनदेवी भी विक्रम मल्लाह के गैंग में शामिल हो गई और विक्रम मल्लाह से ही उसने हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली. इस दौरान फूलन के दिमाग में हर समय बेहमई की घटना ही गूंजती रहती.

पाकिस्तानी राइफल से बेहमई में की 22 लोगों की हत्या

एक दिन उसे खबर मिली कि बेहमई में एक लड़की की बारात आने वाली है. यह लड़की लालाराम के परिवार की है. इसमें पूरी संभावना थी कि लालाराम अपने भाई के साथ मौजूद रहेगा. फूलनदेवी के लिए यह बड़ी खबर थी. वह करीब डेढ़ साल इसी खबर का इंतजार कर रही थी. अब मौका मिला तो वह दल बल के साथ बेहमई पहुंच गई. वहां समारोह स्थल को फूलन के साथियों ने घेर लिया और खुद फूलन हाथ में 2.2 रायफल, जो पाकिस्तानी फौज का प्रमुख हथियार था, लेकर अंदर घुस गई.

हिल उठी थी देश और प्रदेश की सरकार

उसे वहां लाला राम तो नहीं मिला, लेकिन कुल 22 लोग मिल गए. इनमें दो लोग वह भी थे, जिन्होंने फूलन के साथ रेप किया था. ऐसे में फूलन ने सभी को एक लाइन में खड़ा किया और चिल्लाते हुए एक बार में ही फायर खोल दिया. महज 7 सेकंड लगे और सभी 22 लोग धराशायी हो गए. उस समय उत्तर प्रदेश में बीपी सिंह की सरकार थी और केंद्र में इंदिरा गांधी की. एक साथ 22 लोगों की दर्दनाक हत्या से देश और प्रदेश की सरकार हिल उठी. इंदिरा गांधी ने बीपी सिंह से जवाब तलब कर लिया.

अर्जुन सिंह की पहल पर किया था सरेंडर

वहीं बीपी सिंह ने भी आदेश जारी कर दिया क किसी हाल में जिंदा या मुर्दा फूलनदेवी को पकड़ा जाए. इस आदेश के बाद 124 पुलिस कर्मियों की टीम 24 घंटे लगातार फूलनदेवी की तलाश करने लगी. इधर, फूलनदेवी और उसकी गैंग ने भी मौकी की नजाकत को समझते हुए मध्य प्रदेश के भिंड मुरैना में शरण ले ली. आखिर में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की पहल पर फूलनदेवी ने अपनी शर्तों पर मध्य प्रदेश में सरेंडर किया. इसके बाद फूलनदेवी उत्तर प्रदेश में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आई.

हजारों लड़कियों की कराई शादी

उन दिनों मुलायम सिंह यादव ऊर्जांचल (मिर्जापुर-सोनभद्र) में अपनी पार्टी की जमीन तलाश रहे थे. चूंकि डकैत बनने के बाद फूलनदेवी अमीरों को लूटती थी और गरीबों की मदद करती थी. उसने महज 37 साल के आपराधिक जीवन में एक हजार से अधिक गरीब लड़कियों की शादी कराई थी. इसलिए उसके चाहने वालों की संख्या बहुत ज्यादा थी. ऐसे में मुलायम सिंह को फूलनदेवी में करंट नजर आया और उन्होंने मिर्जापुर लोकसभा सीट से टिकट दिया. यहां से फूलनदेवी तीन बार चुनाव लड़ी और दो बार विजयी हुई.

25 जुलाई 2001 को हत्या

फिर आई 25 जुलाई 2001 की वो मनहूस सुबह, जब दिल्ली में अपने सांसद निवास के बाहर टहल रही फूलनदेवी को मारुति 800 कार में आए तीन बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इनमें से एक बदमाश शेरसिंह राणा ने इस वारदात के तीन दिन बाद देहरादून में यह कहते हुए सरेंडर कर दिया कि ‘हां, मैंने फूलन को मारा’. शेरसिंह राणा ने स्वीकार किया कि फूलन 22 ठाकुरों की हत्या की थी, इसी का बदला लेने के लिए उसने फूलन की भी हत्या की है.

बंद कराया बाल विवाह

यूपी में कानपुर से लेकर आगरा तक और मध्य प्रदेश में भिंड मुरैना से लेकर ग्वालियर तक तथा राजस्थान में धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और करौली आदि जिलों में 1980 के दशक तक बाल विवाह की प्रथा थी. फूलनदेवी का भी बाल विवाह हुआ था और इसके दर्द से वह परिचि थी. ऐसे में जब उसने बंदूक थामा तो सबसे पहले अपने ससुराल पहुंची. वहां उसने अपने पति पुत्तीलाल को पेंड से बांधा और इतनी पिटाई की कि वह अधमरा हो गया. इसके बाद उसने गांव के लोगों से जिले के एसपी को पत्र लिखवाया कि आगे से वह बाल विवाह ना होने दें. चेतावनी दी कि अब कोई बाल विवाह हुआ तो अगली गोली चलेगी और एसपी के भेजे में लगेगी. इस घटना के बाद इन सभी जिलों में बाल विवाह बंद हो गए.

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