‘मेरी पत्नी मां नहीं बन सकती, किराए की कोख की अनुमति दे दीजिए’ ?

लखनऊ: ‘मेरी पत्नी मां नहीं बन सकती, किराए की कोख की अनुमति दे दीजिए’, डीएम से की फरियाद, ये हैं इसके नियम
Rules of surrogacy: लखनऊ में किराए की कोख के लिए अनुमति लेने का मामला सामने आया है। जानिए इसके लिए नियम क्या हैं और किन बातों का ध्यान रखना होगा। 
किराए की कोख…

 जानकीपुरम के रहने वाले एक दंपती ने किराये की कोख (सरोगेसी) के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ऑफिस में आवेदन किया है। सरोगेसी के लिए यह जिले में दूसरा आवेदन है। इससे पहले एक डॉक्टर ने आवेदन किया था। खामी होने की वजह से आवेदन को निरस्त कर दिया गया था।

जानकीपुरम के रहने वाले दंपती के इकलौते बेटे ने खुदकुशी कर ली थी। उनकी पत्नी की बच्चेदानी निकाली जा चुकी है। ऐसी दशा में दंपती ने किराये की कोख लेने का निर्णय लिया है। दपंती ने अपने पत्र में हवाला दिया है कि उनकी पत्नी गर्भधारण नहीं कर सकती है। लिहाजा सरोगेसी के लिए इजाजत दी जाए।

नए नियम के तहत डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की अनुमति के बाद ही आवेदन प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। सोमवार को दंपती सीएमओ ऑफिस पहुंचे। पति ने पत्नी की जांच रिपोर्ट के साथ आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। कमेटी ने पत्नी की जरूरी जांचें कराने के निर्देश दिए हैं। जांच में पत्नी के गर्भधारण के लिए अनफिट पाए जाने पर ही दंपती को किराये की कोख की इजाजत मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कई चरणों की जांच पड़ताल के बाद कमेटी अनुमति देगी।

इन नियमों का करना होगा पालन
किराये की कोख के लिए रजामंदी देने वाली महिला का आवेदक का रिश्तेदार होना जरूरी है।
रिश्तेदार महिला विवाहित होनी चाहिए।
सरोगेट मां की उम्र कम से कम 25 साल व उसका एक बच्चा भी होना चाहिए।

डीएम के नेतृत्व में गठित कमेटी
Lucknow: My wife cannot become a mother, please allow surrogacy, appealed to DM, these are its rules
गर्भवती महिला – फोटो : एएनआई

सरोगेसी अधिनियम सख्ती से लागू करने के लिए डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित है। इसमें डीएम अध्यक्ष, सीएमओ सचिव, केजीएमयू के गाइनेकोलॉजी की विभागाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी, संयुक्त निदेशक अभियोजन शामिल होते हैं। ये कमेटी किराये की कोख लेने वाले आवेदक का दस्तावेज चेक करती है। इसकी वीडियोग्राफी भी होती। अंग प्रत्यारोपण की तर्ज पर ही किराये पर कोखलेने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं।

प्रोफेशनल स्पर्म डोनर्स पर कसा शिकंजा
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है नया कानून लागू होने बाद प्रोफेशनल स्पर्म डोनर पर शिकंजा कसा है। आईवीएफ केंद्रों पर अब जो भी प्रक्रिया होती है, उसका रिकाॅर्ड स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाता है। इसके बाद कमेटी यह जांच करती है कि संबंधित व्यक्ति प्रोफेशनल डोनर तो नहीं है। इससे पहले आईवीएफ केंद्र किसी प्रक्रिया का लेखा-जोखा नहीं देते थे।

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