क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटा पाएगा विपक्ष ?
क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटा पाएगा विपक् …
बात महाभियोग लाने तक कैसे पहुंची; जानिए क्या है पूरी प्रोसेस और पॉलिटिक्स
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए विपक्ष महाभियोग की तैयारी कर रहा है। 8 अगस्त को राज्यसभा में शुरू हुआ विवाद 9 अगस्त को और बढ़ गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यसभा के कम से कम 87 सांसद धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर सहमति जता चुके हैं। भारत के राजनीतिक इतिहास में पहला मौका होगा, जब उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए सदन में प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटा पाएगा विपक्ष,……
क्या है महाभियोग की प्रोसेस और नंबर गेम; …..में 8 जरूरी सवालों के जवाब…
सवाल-1: राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के बीच क्या हुआ कि बात महाभियोग तक पहुंच गई?
जवाबः सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के बीच विवाद 8 अगस्त को ट्रिगर होता है…
- 8 अगस्त को हर दिन की तरह राज्यसभा का सदन चल रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘विनेश फोगट का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है… हमें यह जानने की जरूरत है कि इसके पीछे कौन था।’
- जगदीप धनखड़ ने खड़गे को रोकते हुए कहा कि आप इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं कर सकते हैं। यह परंपरा के खिलाफ है।
- विपक्षी सांसद इसपर हंगामा करने लगे। धनखड़ ने TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन को फटकार लगाते हुए कहा, ‘आपका आचरण सदन में सबसे घटिया है। मैं आपके कृत्य की निंदा करता हूं। अगली बार मैं आपको बाहर का रास्ता दिखाऊंगा। आप चिल्ला नहीं सकते।’
- विरोध कर रहे जयराम रमेश के किसी बात पर हंसते ही धनखड़ गुस्से में तमतमाते हुए बोले- ‘कांग्रेस सांसद, हंसिए मत। मैं आपकी आदतें जानता हूं। कुछ सांसद गलत टिप्पणियां करते हैं। मैं सभी का सम्मान करता हूं, लेकिन सांसदों के व्यवहार से दुखी हूं।’ कुछ देर बाद विपक्षी सांसदों ने विरोध जताते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया।
- इसके बाद सदन में हंगामा शुरू होने पर धनखड़ ने विपक्षी सांसदों के बर्ताव को अराजक और अशोभनीय बताया। उन्होंने विपक्षी सांसदों पर पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाने के साथ ही अध्यक्ष पद की गरिमा को धूमिल करने का आरोप लगाया। इसके बाद वो कुछ देर के लिए सभापति की कुर्सी छोड़कर चले गए।
- 9 अगस्त की सुबह राज्यसभा में प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्ष ने मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर घनश्याम तिवाड़ी की ओर से की गई टिप्पणी का मुद्दा उठा दिया। जयराम रमेश ने कहा कि घनश्याम तिवाड़ी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर कुछ आपत्तिजनक बातें कही थी। इस पर आपने कहा था कि रुलिंग देंगे। वह रुलिंग क्या है?
- इसके जवाब में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि घनश्याम ने मल्लिका जी की प्रशंसा की थी, जिसके लिए कोई माफी नहीं मांगता। वे माफी नहीं मांगेंगे। इस पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि घनश्याम तिवाड़ी ने जो शब्द कहे थे, वह दोहराना नहीं चाहता। उनकी जो टोन थी, वह विपक्ष के नेता के लिए ठीक नहीं है। इस बीच कांग्रेस सांसद जयराम रमेश भी कुछ बोल रहे थे।

- भड़के सभापति ने जयराम रमेश को नेम करने की चेतावनी दी। इस पर अजय माकन ने कहा कि क्यों नेम कर देंगे सर, एक बात जो विपक्ष के नेता के साथ हुआ वह बताने के लिए नेम कर देंगे। आप कहते हैं- हंस क्यों रहे हैं, मुस्कुरा क्यों रहे हैं, बैठे क्यों हैं। हाथ जोड़कर कह रहे हैं प्लीज ऐसे मत कीजिए।
- आखिर में जया बच्चन ने कहा कि मैं एक एक्टर हूं और बॉडी लैंग्वेज, एक्सप्रेशन समझती हूं। मुझे माफ करिएगा सर, आपकी जो टोन है, ठीक नहीं है। हम लोग कुलीग हैं, आप वहां हैं। आपकी टोन अस्वीकार्य है।
- इस पर भड़के सभापति ने कहा कि हर दिन आपकी स्कूलिंग करना नहीं चाहता। आप मेरी टोन को लेकर बात कर रही हैं? ये बहुत ज्यादा है। मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रिटी होंगी, लेकिन डेकोरम मानना पड़ेगा। इसके बाद विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया।
सवाल-2ः सभापति धनखड़ के खिलाफ महाभियोग लाने की बात कहां से उठी?
जवाबः दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा के कम से कम 87 सांसद धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर सहमति जता चुके हैं। हालांकि अभी तक इस बात पर आखिरी फैसला नहीं हुआ है कि पार्टियों के फ्लोर लीडर भी महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर करेंगे या नहीं।
संविधान के अनुच्छेद 67 के मुताबिक, सभापति के खिलाफ कोई प्रस्ताव पेश करने से कम से कम चौदह दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। ऐसे में अभी विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्ताव को पेश करने की तारीख को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है।
विपक्ष सांसदों को राज्यसभा में समय नहीं देने और संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं करने का आरोप लगाकर सभापति धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है।
सवाल-3: सभापति को पद से हटाने के लिए क्या करना होता है, प्रक्रिया क्या है?
जवाबः उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और उच्च सदन को नियमों और परंपराओं के मुताबिक सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में उन्हें राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाए।
संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े ये नियम हैं…
1. 14 दिन पहले नोटिस: उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने से 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है।
2. उपराष्ट्रपति सदन की अध्यक्षता नहीं करेंगे: जब प्रस्ताव सभापति के खिलाफ विचाराधीन हो तो सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते।
3. वोटों की समानता होने पर भी नहीं वोटिंग का अधिकार नहीं: राज्यसभा के सभापति के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटों की समानता के मामले में मतदान का अधिकार नहीं मिलता।
4. बहुमत से प्रस्ताव पास होना जरूरी: पीडीटी आचार्य बताते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 67(B) के मुताबिक उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव को राज्यसभा में मौजूद कुल सदस्यों के बहुमत से और लोकसभा में ‘साधारण बहुमत’ से पास होना जरूरी है। इसके बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।

सवाल-4: संसद के दोनों सदन 9 अगस्त को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिए गए, ऐसे में क्या महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है?
जवाबः लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य बताते हैं कि संविधान या कानून में इस बात को लेकर बहुत क्लैरिटी नहीं है। नियम है कि उपराष्ट्रपति के खिलाफ इस तरह के प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। सरकार आमतौर पर इससे पहले ही सेशन खत्म कर प्रस्ताव पर चर्चा होने से रोकना चाहती है।
राज्यसभा सदस्यों का उपराष्ट्रपति के खिलाफ प्रस्ताव लाना एक संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में जहां तक मैं समझता हूं, कभी भी सदस्य नोटिस दे सकते हैं। कानून में कहीं नहीं लिखा है कि नोटिस देने के लिए सेशन चलना जरूरी है। कानून में इसको लेकर भी क्लैरिटी नहीं है कि कब नोटिस लाया जा सकता है।
एक बार नोटिस दिए जाने के बाद सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्यसभा और लोकसभा में 14 दिन बाद चर्चा कराए। अगर ऐसा नहीं होता है तो ये सदस्यों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है।
सवाल-5: महाभियोग प्रस्ताव लाया गया तो सदन की अध्यक्षता कौन करेगा?
जवाबः लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य कहते हैं कि राज्यसभा में उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कौन अध्यक्षता करेगा, इसको लेकर कानून में स्पष्टता नहीं है। हालांकि लोकसभा में स्पीकर को पद से हटाने का प्रस्ताव आता है तो उस दौरान डिप्टी स्पीकर अध्यक्षता करते हैं। नैतिक तौर पर इस तरह की स्थिति में उप-सभापति को अध्यक्षता करना चाहिए।
सवाल-6: महाभियोग पारित कराने के लिए कितनी संख्या चाहिए, क्या विपक्ष के पास है?
जवाबः राज्यसभा की वेबसाइट पर फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 225 बताई गई है। सदन में उपराष्ट्रपति के खिलाफ अगर विपक्षी दल महाभियोग लाते हैं तो उसे बहुमत से पास होने के लिए 113 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्यसभा में फिलहाल INDIA गठबंधन के पास अभी कुल 87 सांसद हैं। इनमें कांग्रेस के पास 26, TMC के 13, आम आदमी पार्टी और DMK के 10-10 सांसद हैं।
राज्यसभा में उपराष्ट्रपति के खिलाफ प्रस्ताव पेश होता है तो INDIA को YSR कांग्रेस के 11 और AIADMK के 4 सांसदों के अलावा BJD के 8 BSP और MNP के एक-एक सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। अगर ऐसा करने में विपक्ष सफल हो जाता है तो प्रस्ताव के समर्थन में 113 वोट हासिल हो जाएंगे। हालांकि यह आसान नहीं है क्योंकि AIADMK, BJD और YSR जैसे दलों का NDA को पहले भी समर्थन मिलता रहा है।

अगर किसी तरह राज्यसभा में प्रस्ताव पास भी हो जाता है तो लोकसभा में भेजा जाएगा। वहां विपक्ष के पास पर्याप्त नंबर नहीं है।
सवाल-7: INDIA के पास दोनों सदनों में पर्याप्त संख्या नहीं, फिर भी महाभियोग क्यों लाने की तैयारी है?
जवाबः पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक राज्यसभा में BJP के पास बहुमत नहीं है। विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो राज्यसभा में उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पास करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। हालांकि लोकसभा में ऐसा करना विपक्षी दलों के लिए बेहद मुश्किल है।
सवाल ये नहीं है कि विपक्षी दल इस प्रस्ताव के जरिए उपराष्ट्रपति को हटा पा रहे हैं या नहींं। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण तो ये है कि एक बार राज्यसभा से ये प्रस्ताव पास हो जाता है तो नैतिक तौर पर उपराष्ट्रपति इस पद पर बने रहने का ग्राउंड खो देंगे। अगर महाभियोग लाया जाता है तो इसकी एक वजह पॉलिटिकल भी है। राज्यसभा में NDA पर हावी होने के लिए संभव है कि विपक्ष ये प्रस्ताव ला रहा हो।
सवाल-8ः क्या राज्यसभा के सभापति या उपसभापति के खिलाफ पहले भी लाया गया महाभियोग प्रस्ताव?
जवाबः अमिताभ तिवारी के मुताबिक आज तक उपराष्ट्रपति को हटाने की लिए सदन में महाभियोग प्रस्ताव नहीं लाया गया है। अगर ऐसा हुआ तो ये भारतीय राजनीतिक इतिहास में पहला मौका होगा।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट …….. कहते हैं कि इससे पहले सितंबर 2020 में 12 विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। राज्यसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब किसी उपसभापति के खिलाफ इस तरह से विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया।
तब सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 90 के तहत गैर-स्वीकार्य है। उन्होंने कहा था कि नियमों के मुताबिक 14 दिन पहले प्रस्ताव पेश नहीं किया गया। इस वजह से तब उनके खिलाफ भी पेश होने वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
रशीद कहते हैं कि धनखड़ पर आरोप है कि वह एक बीजेपी नेता की तरह सदन को चलाते हैं। जबकि इससे पहले किसी भी उपराष्ट्रपति पर पॉलिटिकल इतने बड़े आरोप नहीं लगे हैं। ये पद निष्पक्ष होता है। उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाने की चर्चा की एक वजह यह भी हो सकती है।