नोएडा : हादसों के मुहाने पर नोएडा के पीजी….फायर NOC भी नहीं, बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे
हादसों के मुहाने पर नोएडा के पीजी:फायर NOC भी नहीं, बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे; 2019 और 2023 में कार्रवाई हुई थी
नोएडा के सेक्टर-62 रसूलपुर नवादा स्थित दो पीजी में आग लगने की घटना के बाद एक बार फिर यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में नियमों को ताक पर रखकर धडल्ले से पीजी और गेस्ट हाउस खोले जा रहे हैं। ये पीजी नोएडा के गांवों की सकरी गलियों में बने है।
यहां तक दमकल विभाग की गाड़ियां तक पहुंचना मुश्किल है। नोएडा के जिन दो पीजी में आग लगी वो भी इन्ही सकरी गलियों में है। यहां से 70 छात्राओं का रेस्क्यू किया गया। ये सभी आग की वजह से छत पर फंस गए थे।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हजारों की संख्या में पीजी बने है। नोएडा प्राधिकरण के गांव में नियम लागू नहीं होते। वहां लोगों ने चार से पांच मंजिल तक मकान बनाए और उसमें पीजी का संचालन करने लगे। न ही सराय एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कराए गए न ही फायर एनओसी ली गई। इन पीजी में कभी बड़ा हादसा हो सकता है।

पहले जानते है क्या है नियम
- पीजी और हॉस्टल के लिए जो गाइडलाइन बनाई है, उसके मुताबिक पीजी आवास सेक्टरों में ही खोले जा सकते हैं।
- बिल्डिंग के साथ चलने वाली सड़क की चौड़ाई 24 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
- पीजी बनाने के लिए घर का पचास फीसदी हिस्सा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए उसे प्राधिकरण मिक्स लेट भू प्रयोग लेना होगा।
- किसी भी घर में पीजी चलाने के लिए मालिक को प्राधिकरण को टैक्स देना होगा।
- पीजी चलाने के लिए मालिक का सराय एक्ट 1867 के तहत रजिस्टर होना जरूरी है।

कम बजट में मिलती है सुविधा
नोएडा के सेक्टर में मौजूद पीजी काफी महंगे है। जबकि यहां गांवों में लोगों ने इसी को अपना बिजनेस बना लिया है। गांव में बने पीजी में आराम से 7000 रुपए से 15000 रुपए तक प्रतिमाह रूम मिल जाता है।
नोएडा में ढाई लाख से ज्यादा काम काजी और स्टूडेंट्स है। अधिकतम को हॉस्टल नहीं मिलता। इसलिए ये लोग यहां बने पीजी में स्टे लेते है। यही नहीं कई कॉलेज और कंपनियों ने भी इन पीजी के साथ एग्रीमेंट किए है। ताकि कर्मचारी या स्टूडेंट्स पीजी में स्टे कर सके। यहां उनको सुविधा मिलती है। लेकिन नियमों को ताक पर रखकर।

जिले में 700 से ज्यादा पीजी रजिस्टर्ड
गौतमबुद्ध नगर में करीब 700 पीजी रजिस्टर्ड है। ये नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अलग-अलग सेक्टर में संचालित हो रहे है। इसके अलावा लाल डोरा यानी ग्रामीण इलाकों में प्राधिकरण का अंकुश नहीं है। हालांकि प्राधिकरण की नक्शा नीति के तहत प्राधिकरण से बगैर नक्शा पास कराए कोई भी इमारत गांव में नहीं बन सकती है। इसका विरोध किसान करते आ रहे है। बहरहाल गांवों में कई कई मंजिला की इमारतों में पीजी संचालित हो रहे है।

इन गांवों में संचालित हो रहे पीजी
नोएडा की बात करें तो यहां मामूरा, नवादा रसूलपुर, बिशनपुरा, सलारपुर, भंगेल, नया बांस, हरौला, चौड़ा, छलैरा, सदरपुर, बरौला, हिंडन विहार, गेझा, याकूबपुर, नया गांव, गिझोड़, गढ़ी चौखंडी, पर्थला और सरफाबाद आदि इलाकों में काफी अवैध पीजी बने हुए हैं। इन गांवों में बने पीजी की सामने की सड़क की चौड़ाई महज 10-15 मीटर या इससे भी कम है। ऐसे में यहां हादसा होने के बाद रेस्क्यू तक कर पाना मुश्किल है।
2019 और 2023 में हुई कार्रवाई
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अवैध रूप से संचालित हो रहे पीजी के खिलाफ एक्शन लिया था। 2019 में प्राधिकरण ने कई पीजी संचालकों को नोटिस भेजकर उनको सील किया था। इसी तरह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने भी 23 से ज्यादा पीजी और बैंक्यूवेट हॉल को सील किया था।