रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक नदी से हर दिन 80 हजार फीट खनन ?

ठेकेदार बनकर रेत माफिया तक पहुंचा  ……रिपोर्टर ….
 छत्तीसगढ़ में एक नदी से हर दिन 80 हजार फीट खनन; तस्कर बोला-हमारा जुगाड़ है

NGT के नियमानुसार, 15 जून से नदी-नालों से किसी भी तरह की उत्खनन पर प्रतिबंध लगाया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 जून से ही रोक लगा दी थी। खनिज विभाग के अफसरों का दावा है कि कहीं भी अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है।

अब ये 2 मामले पढ़िए और नीचे लगी तस्वीर देखिए…

  • 12 जून, रायपुर : गोबरा नवापारा के पारागांव रेत खदान में एक मजदूर की रेत चोरी के दौरान मौत हो गई। इस मामले में 2 दिन बाद SSP संतोष कुमार सिंह ने थाना प्रभारी अवध राम साहू को लाइन अटैच कर दिया।
  • 25 जून, महासमुंद : बरबसपुर रेत घाट पर राजस्व और पुलिस की टीम ने दबिश दी। मौके से अवैध रेत उत्खनन और परिवहन करते हुए करीब 40 हाइवा जब्त किए गए। उनके चालकों को पकड़ा गया और पूछताछ की गई।
फोटो पारा गांव घाट के दूसरे छोर की है। इसमें JCB के जरिए नदी में अवैध उत्खनन हो रहा है। इसे 25 अगस्त को नदी के दूसरी ओर से लिया गया है, इसलिए थोड़ी धुंधली है।
फोटो पारा गांव घाट के दूसरे छोर की है। इसमें JCB के जरिए नदी में अवैध उत्खनन हो रहा है। इसे 25 अगस्त को नदी के दूसरी ओर से लिया गया है, इसलिए थोड़ी धुंधली है।

जानिए सरकार के आदेश का कितना पालन हो रहा है? अफसरों के दावों की हकीकत क्या है? इसके लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने 3 दिन पड़ताल की…

ठेकेदार और रेत कारोबारी बनकर पहुंचे रिपोर्टर

आरंग मोड़ से नदी मोड़ तक रात के समय ट्रक और हाइवा खड़े हुए दिखाई दिए। इनका इस्तेमाल रेत परिवहन के लिए किया जा रहा था।
आरंग मोड़ से नदी मोड़ तक रात के समय ट्रक और हाइवा खड़े हुए दिखाई दिए। इनका इस्तेमाल रेत परिवहन के लिए किया जा रहा था।

दैनिक भास्कर की टीम ने रायपुर में आरंग के पारागांव, बरबसपुर और कुम्हारी पहुंचे। सभी जगह रात और दिन में माइनिंग होने की जानकारी स्थानीय लोगों से मिली। टीम ने आरंग, चंपारण, कुम्हारी, लखना और चिखली में जांच की।

मौके पर तमाम हाइवा, JCB नदियों से रेत उत्खनन करते दिखाई दिए। कहीं पर लोडिंग के बाद रेत भेजी जा रही थी। इस दौरान रिपोर्टर ठेकेदार और कारोबारी बनकर माफिया से मिले। उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी हमारे पास है।

  • तारीख: 25 अगस्त, स्थान: पारागांव, समय : रात 11 बजे

रायपुर से करीब 50 किमी दूर आरंग का पारागांव। आरंग ब्रिज की शुरुआत से लेकर आखिरी छोर तक दोनों तरफ से रेत भरने के लिए खाली हाइवा, ट्रक खड़े थे। हम गुजरी और पारागांव के मोड़ पर चाय की दुकान में पहुंचे।

वहां दो युवक रेत सप्लाई की बात कर रहे थे। बातचीत के दौरान हमें पता चला कि उनमें एक ओम नाम का रेत तस्कर है। उससे बात करने के लिए हमने खुद को ठेकेदार बताया और रेत खरीदने की इच्छा जाहिर की।

रिपोर्टर: रायपुर से आया हूं, ठेकेदारी का काम है। निर्माण के लिए सप्लाई चाहिए?

ओम: मिल जाएगी, लेकिन रायपुर पहुंचने पर दाम 21 रुपए फीट लगेगा।

रिपोर्टर: ये तो बहुत ज्यादा है। पिछले चौक में यदु नाम के व्यक्ति से बात हुई थी। वह 16 रुपए में देने के लिए कह रहे थे।

ओम: भैया हमारा माल सुरक्षित पहुंचाने की गारंटी है। अगर वो लोग 16 रुपए में दे रहे है, तो आप उनसे ले लो। आपस में हमे कोई विवाद नहीं करना। हम सब लोग साथ मिलकर काम करते है। यहां से आधा किलोमीटर दूर हमारी रेत पड़ी है। आप जाकर देख लो, चाहिए तो फोन कर लेना।

रिपोर्टर: ठीक है। मैं तुमसे कल बात करता हूं। लेकिन घाट बंद है, तो माइनिंग कैसे शुरू है? अफसर कार्रवाई नहीं करते?

ओम : रात को 12 बजे के बाद हम लोग गाड़ी लगाएंगे और सुबह तक खुदाई करेंगे। अफसरों के पहुंचने से पहले हमे सूचना मिल जाती है। हमारा जुगाड़ है। आप दाम दो और माल पहुंच जाएगा।

  • तारीख: 26 अगस्त, स्थान: बरबसपुर, समय : दोपहर 12 बजे
ये फोटो आरंग के पारागांव घाट की है। दूसरे छोर पर महानदी से रेत निकालकर घाट किनारे डंप की जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार रोजाना यहां से करीब 500 ट्रैक्टर निकलते हैं।
ये फोटो आरंग के पारागांव घाट की है। दूसरे छोर पर महानदी से रेत निकालकर घाट किनारे डंप की जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार रोजाना यहां से करीब 500 ट्रैक्टर निकलते हैं।

रात के हालात देखने के बाद अगले दिन टीम दोपहर में फिर रेत घाट पहुंची। इस बार हम पारागांव रेत घाट होते हुए बरबसपुर गांव पहुंचे। यहां भी रेत घाट के किनारे बड़ी मात्रा में रेत डंप दिखी। स्थानीय लोगों से पूछताछ कि तो पता चला, कि किसी दुबे नाम के व्यक्ति की है।

इस रेत को महानदी से निकलवाकर डंप कराया गया थाा। इन रेत माफिया और दबंगों का डर स्थानीय लोगों में भी है। लोगों ने माफिया के डर से कैमरे के सामने बोलने से मना कर दिया। उनका कहना था कि वे लोग (माफिया) बाद में आकर विवाद करते हैं।

महानदी से निकाली गई रेत को रेत माफिया के कर्मचारी हाइवा में लोड करवाकर भेजते हैं। बताते हैं कि सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है।
महानदी से निकाली गई रेत को रेत माफिया के कर्मचारी हाइवा में लोड करवाकर भेजते हैं। बताते हैं कि सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है।

हर घाट में 100 हाइवा उत्खनन का टारगेट

अवैध उत्खनन करने वाले स्थानीय लोगों से खरीदार बनकर रिपोर्टर ने बात की और 100 हाइवा से ज्यादा रेत खरीदने का आश्वासन दिया। इस पर वे तुरंत तैयार हो गए। कुछ ने बताया कि हर दिन 100 हाइवा उत्खनन का टारगेट है।

कुम्हारी गांव में रेत माफिया के कर्मचारी अजय कुमार ने बताया कि साढ़े ग्यारह में रेत यहीं मिल जाएगी। गाड़ी का भाड़ा देना होगा। गाड़ी रायपुर पहुंचने की गारंटी है। बिल के नाम पर पर्चियां देने की बात अजय ने दोहराई।

इसके बाद रिपोर्टर ने पारागांव के एक रेत सप्लायर से मोबाइल नंबर 700XXXX044 पर बात की। उसने रेत देने की बात कही, लेकिन बिल कच्चा ही देने को कहा। कहा कि, रायपुर तक पहुंचा देंगे। दिक्कत नहीं है।

रिपोर्टर : क्या रेट पड़ेगा रेत?
सोनू : 20 रुपए में रायपुर डाल रहे है भैया।
रिपोर्टर : कुछ कम करवाओ 20 गाड़ी चाहिए?
सोनू : भैया हमको खुदी महंगी पड़ रही है। 10 चक्का में दूंगा 800 फीट आएगा।
रिपोर्टर : 800 फीट कितने का पड़ेगा?
सोनू : 6 हजार का पड़ेगा।
रिपोर्टर : 14 चक्के वाली रेत की गाड़ी मिल जाएगी क्या?
सोनू : मारे पास एक हजार फीट की गाड़ी है, उससे बड़ी कोई नहीं है। इसी को दे पाएंगे।
रिपोर्टर : 10 गाड़ी चाहिए, कितना रेट लोगे फाइनल बताओ?
सोनू : भैया रेत का रेट उतना ही पड़ेगा, आप 50 पैसे कम दे देना। इससे ज्यादा कम नहीं कर पाऊंगा।
रिपोर्टर : रायल्टी मिलेगी ना, क्योंकि बिल लगाना है?
सोनू : रायल्टी नहीं मिल पाएगी भैया। बिना रायल्टी की रेत मिलेगी। आप बोलोगे तो कच्चा बिल दे देंगे।

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