देश में सर्वाधिक 785 बाघ मध्य प्रदेश में !
देश में सर्वाधिक 785 बाघ मध्य प्रदेश में, संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी शाबासी
मध्य प्रदेश के लिए सबसे खुशी की बात यह है कि यहां टाइगर रिजर्व के बाहर भी बाघों की संख्या बढ़ रही है। मध्य प्रदेश में बाघों की आबादी 526 से बढ़कर 785 पहुंच गई है। यह देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में चार-पांच सालों में 259 बाघ बढ़े हैं।
मध्य प्रदेश को मिल चुका है टाइगर स्टेट का दर्जा
- मप्र के टाइगर रिजर्व के बाहर भी बढ़ी बाघों की संख्या
- हर चार साल में एक बार होती है बाघों की गिनती
- महाराष्ट्र में भी बाघों की संख्या अच्छी बढ़ी है
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने बाघ संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों और सफलता के लिए केंद्र सरकार की सराहना करते हुए इस बात पर संतोष जाहिर किया है कि विश्व के 75 प्रतिशत बाघ भारत में हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और पीवी संजय कुमार की बैंच ने केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा कि बाघ संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास किए गए हैं।
इसके सफल नतीजे सामने आए हैं। उल्लेखनीय है कि देश में बाघों की संख्या वर्ष 2014 में 2226 से बढ़कर अब 3682 हो गई है। इसमें मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बाघों की पुनर्स्थापना का अत्यंत कठिन काम था, जो मध्य प्रदेश ने दिन-रात की मेहनत से कर दिखाया।
बता दें कि बाघों की गणना हर चार साल में एक बार होती है। वर्ष 2006 से बाघों की संख्या का आंकड़ा देखें तो वर्ष 2010 में बाघों की संख्या 257 तक हो गई थी। इसे बढ़ाने के लिए बाघों के उच्चस्तरीय संरक्षण और संवदेनशील प्रयास जरूरी थे।
इस तरह किया बाघों का संरक्षण
- मप्र में मानव और वन्यप्राणी संघर्ष के प्रभावी प्रबंधन के लिए 16 रीजनल रेस्क्यू स्क्वाड और हर जिले में जिला स्तरीय रेस्क्यू स्क्वाड बनाए गए।
- वन्यप्राणी अपराधों की जांच के लिए वन्यप्राणी अपराध की खोज में विशेषज्ञ 16 श्वान दलों का गठन किया गया।
- राज्य स्तरीय स्ट्राइक फोर्स ने पिछले आठ वर्षों में वन्यप्राणी अपराध करने वाले 550 अपराधियों को 14 राज्यों से गिरफ्तार किया गया है।
- संरक्षित क्षेत्र के बाहर वन्यप्राणी प्रबंधन के लिए बजट की व्यवस्था की गई। वन्य प्राणी पर्यटन से होने वाली आय की स्थानीय समुदाय के साथ साझेदारी की गई।
- इन सब प्रयासों के चलते बाघ संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिली।
मप्र के टाइगर स्टेट बनने के प्रमुख कारण
- विस्थापन : वर्ष 2010 से 2022 तक टाइगर रिजर्व में बसे छोटे-छोटे 200 गांवों का विस्थापन किया गया। सर्वाधिक 75 गांव सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बाहर किए गए।
- ट्रांसलोकेशन : कान्हा के बारहसिंगा, बायसन और वाइल्ड बोर का ट्रांसलोकेशन कर दूसरे टाइगर रिजर्व में उन्हें बसाया गया। इससे बाघ के लिए भोजन आधार बढ़ा।
- हैबिटेट विकास : जंगल के बीच में जो गांव और खेत खाली हुए वहां घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए, जिससे शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी और बाघ के लिए आहार भी उपलब्ध हुआ।
- सुरक्षा व्यवस्था: पन्ना टाइगर रिजर्व में ड्रोन से सर्वेक्षण और निगरानी रखी गई। वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल कर अवैध शिकार को पूरी तरह से रोका गया। क्राइम इन्वेस्टीगेशन और पेट्रोलिंग में तकनीकी का इस्तेमाल बढ़ाया गया।
तेंदुओं की संख्या में भी मप्र आगे
वन्यजीव सुरक्षा के कारण तेंदुओं की संख्या में भी मध्य प्रदेश देश में सबसे आगे है। देश में 12 हजार 852 तेंदुए हैं। अकेले मध्य प्रदेश में यह संख्या 4100 से ज्यादा है। देश में तेंदुओं की आबादी औसतन 60 प्रतिशत बढ़ी है जबकि प्रदेश में यह 80 प्रतिशत है। देश में तेंदुओं की संख्या का 25 प्रतिशत अकेले मध्य प्रदेश में है।