बुलडोजर से एनकाउंटर तक पर हो रही सियासत !

बुलडोजर से एनकाउंटर तक पर हो रही सियासत, खबरों के खिलाड़ी ने बताई योगी-अखिलेश की रणनीति

उत्तर प्रदेश में बुलडोजर पर सियासत जारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक दूसरे पर हमलावर हैं। बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अखिलेश यादव सरकार पर तंज कस रहे हैं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आक्रामक तरीके से जवाब दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश के राजनीति लोकसभा चुनाव के बाद किस तरह से करवट ले रही है। इसी मुद्दे पर इस हफ्ते के ‘खबरों के खिलाड़ी’ में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, सुनील शुक्ल, अवधेश कुमार और पूर्णिमा त्रिपाठी मौजूद रहे। 

रामकृपाल सिंह: लोकसभा चुनाव अखिलेश यादव ने देख लिया कि कौन सा औजार काम कर गया। जो औजार काम कर गया उसे और धार दी जा रही है। अब इसे हर चुनाव में आजमाया जाएगा। अगर यह सफल होता रहा तो इसे आप 2029 के चुनाव में भी देखेंगे। मैं हमेशा कहता हूं कि सफलता हमेशा अहंकार लेकर आती है। मैं हमेशा कहता हूं कि आप अपने औजार का चतुराई से इस्तेमाल करिए, लेकिन अहंकार इसे खत्म भी कर सकता है। इसके बाद भी मेरा मामना है कि जो सक्रिय रहता है वही सफल होता है। पहली बार मैं देख रहा हूं कि कांग्रेस और विपक्ष का नरेटिव हवा में गूंज रहा है और भाजपा उसका काट नहीं ढूंढ पाई है। यह जातीय कार्ड लंबे दौर तक खेला जाएगा। जब तक कि यह असफल नहीं होता है। 

अवधेश कुमार: इस समय उत्तर प्रदेश में भाजपा का नरेटिव भी बढ़ा है। दोनों ओर से जो वार पलटवार चल रहे थे वो भी दिलचस्प थे, लेकिन एक घोषित अपराधी की जाति की बात करना कहां की राजनीति है। डकैत एक जाति के आधार पर देखा जाएगा। यह राजनीति नहीं है। क्या आप राजनीति के लिए आग लगा देंगे। यह समाज विरोधी हरकत है। इसकी घोर निंदा होनी चाहिए। 

सुनील शुक्ल: लखनऊ में एक घटना हुई थी मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दो नाम लिए थे एक मुस्लिम और एक यादव क्या यह जातिवादी राजनीति नहीं है। ऐसा नहीं हो सकता है कि जो आप नरेटिव बनाना चाहते हैं कि वही नरेटिव चले। यह जाति की लड़ाई नहीं है यह धर्म की लड़ाई का पराजय है और यह सामाजिक न्याय की लड़ाई है। यह राजनीति आज से नहीं शुरू हुई है। बयानों से आपका परसेप्शन नहीं बनेगा। आपको गवर्नेंस पर काम करना होगा। 

पूर्णिमा त्रिपाठी: राजनीतिक दलों को जो जाति का नुक्शा मिल गया है, कोई भी दल इसे छोड़ना नहीं चाहता है। जाति जनगणना से जो मामला उठा है यह आगे जाएगा। इस तरह के बयान हम दोनों तरफ से देखेंगे और हमारे समाज को इस तरह की राजनीति के लिए तैयार रहना होगा। 

विनोद अग्निहोत्री: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एनकाउंटर में जाति का यह सवाल पहली बार नहीं आया है। वीपी सिंह जब मुख्यमंत्री थे तब भी इस तरह के सवाल उठे थे। तब विपक्ष में मुलायम सिंह यादव थे तब उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था। सवाल यह है कि परसेप्शन क्यों बना। यह सोचने समझने की बात है। अखिलेश यादव पीडीए के फार्मूले से लोकसभा चुनाव में सफलता पा चुके हैं। इसलिए उसे वो उपचुनाव में भी लेकर आएंगे और आगे के चुनाव में भी लेकर आएंगे। इसी तरह बुलडोजर को भी दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से लेकर आएंगे।

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