क्या था दिल्ली शराब घोटाला ..सीबीआई की जांच ईडी से अलग कैसे?
Excise Policy: क्या था दिल्ली शराब घोटाला, जिसमें गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल; सीबीआई की जांच ईडी से अलग कैसे?
Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। CBI ने 26 जून को केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था। कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की थी।
इससे पहले केजरीवाल को 21 मार्च को कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी जेल में बंद हैं लेकिन अब वह बाहर आ जाएंगे।
आइये जानते हैं कि दिल्ली शराब नीति मामले में अभी क्या हो रहा है? ईडी के बाद सीबीआई ने केजरीवाल को क्यों गिरफ्तार किया? सीबीआई की जांच ईडी की जांच से क्यों अलग है? आप नेता पर एजेंसी ने क्या आरोप लगाए हैं? आरोपों पर आप का क्या कहना है?
कोरोना काल के बीच दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22’ लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया।
सीबीआई ने अगस्त 2022 में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। बाद में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी।
ईडी और सीबीआई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई की जांच नीति बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।
ईडी और सीबीआई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई की जांच नीति बनाते समय हुईं कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।
दिल्ली शराब नीति अनियमितता मामले की जांच कर रही सीबीआई साऊथ ग्रुप समेत कुल 17 आरोपियों के खिलाफ चार आरोप-पत्र दायर कर चुकी है। जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए हैं उनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता भी शामिल हैं। इसके अलावा साऊथ ग्रुप समेत कई आरोपी भी हैं।
जांच एजेंसियों ने अदालत में दावा किया कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 आप के शीर्ष नेताओं द्वारा बनाई गई थी, ताकि लगातार अवैध धन कमा कर और उसे अपने पास लाया जा सके। दावा है कि यह नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए जानबूझकर कमियों के साथ बनाई गई थी।
इस नीति की वजह से पिछले दरवाजे से गुटबंदी को बढ़ावा मिला। इसके साथ ही नीति में 12% का अत्यधिक थोक लाभ मार्जिन और 185% का भारी खुदरा लाभ मार्जिन दिया गया। ऐसा करने से AAP के शीर्ष नेताओं को व्यवसायियों से भारी रिश्वत मिली।
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने हाल ही में अदालत को बताया कि केजरीवाल कथित घोटाले के सरगना हैं। एजेंसी के मुताबिक, केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ से 100 करोड़ रुपये की मांग की थी। वहीं इस पैसे का एक हिस्सा करीब 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल आप ने 2022 में हुए गोवा विधानसभा के चुनाव में किया था।
सीबीआई ने जब 2022 में शराब नीति मामले में हुए कथित भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, उसमें केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया गया था। दरअसल, इसी साल मार्च में जब ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था, तब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दिल्ली की अदालत से कहा था कि पीएमएलए के तहत आरोपी होने के लिए किसी को पहले से तय अपराध में आरोपी होने की जरूरत नहीं है। अप्रैल में सीबीआई ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उनके वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि यह पूछताछ गवाह के तौर पर की गई थी, आरोपी के तौर पर नहीं। केजरीवाल को अब तक भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है।
इसी साल 26 जून को सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अदालत ने आबकारी मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई हिरासत में भेज दिया। अदालत ने कहा था कि आरोपी से मामले में पूछताछ करने के लिए रिमांड जरूरी है। सीबीआई ने अदालत में कहा था कि वह केजरीवाल से शराब नीति को लेकर पूछताछ करना चाहती है। सीबीआई ने अदालत को बताया था कि 17 आरोपियों के खिलाफ चार आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं। वह जांच के लगभग निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं।