ग्वालियर में अपने ही अपनों के खून के प्यासे…?
ग्वालियर में अपने ही अपनों के खून के प्यासे…तबाह हो रही पीढ़ियां
अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो गए। कहीं बेटी को पिता तो पति को पत्नी और कहीं पत्नी ने पति की हत्या कर दी। यह घटनाएं चिंताजनक हैं, यह भविष्य के लिए खतरा हैं…क्योंकि इस तरह की घटनाओं से पीढ़ियां बर्बाद हो रही हैं। अपराधी मानसिकता इस कदर बढ़ रही है, अब लोग अपनों की जान लेने तक से नहीं चूक रहे।
- तबाह हो रही है पीढि़यां, एक दूसरे की ले रहे हैं जान
- अपनों से ही करीब 80 फीसदी घटनाएं अचानक होती हैं
- अपनों की हत्या जैसी वारदात आवेशपूर्ण कृत्य है
ग्वालियर। ग्वालियर और चंबल अंचल…कभी कोख में ही बेटियों की हत्या, डकैतों के लिए बदनाम हुआ करता था। अब न तो डकैत बचे न ही बेटियों के लिए ऐसी सोच रखने वाले। कुछ प्रतिशत लोगों को छोड़कर। अब अंचल पर दाग है- अपनों की हत्या का। ऐसी घटनाएं आम हो गई हैं, ग्वालियर और चंबल अंचल के अलग-अलग जिलों में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं।
इसमें अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो गए। कहीं बेटी को पिता तो पति को पत्नी और कहीं पत्नी ने पति की हत्या कर दी। यह घटनाएं चिंताजनक हैं, यह भविष्य के लिए खतरा हैं…क्योंकि इस तरह की घटनाओं से पीढ़ियां बर्बाद हो रही हैं। अपराधी मानसिकता इस कदर बढ़ रही है, अब लोग अपनों की जान लेने तक से नहीं चूक रहे। इन घटनाओं को लेकर मनोवैज्ञानिकों का मानना है- ऐसी घटनाएं व्यक्तित्व विकार (पर्सनालिटी डिस्आर्डर) की वजह से होती हैं। अपनों की हत्या जैसी वारदात आवेशपूर्ण कृत्य (इंपल्सिव एक्ट) है, यह सोची समझी साजिश के तहत बहुत ही कम होती है। ऐसी जितनी घटनाएं होती हैं, उनमें से करीब 80 प्रतिशत घटनाएं अचानक होती हैं।
- शहर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा.कमलेश उदैनिया ने बाकायदा ऐसी घटनाओं का विश्लेषण किया। केस स्टडी करने के बाद वैज्ञानिक कारण तक पहुंचे। उन्होंने बताया ऐसी घटनाओं के लिए दो तरह व्यक्तित्व जिम्मेदार है। पहली समाज विरोधी व्यक्तित्व (एंटी सोशल पर्सनालिटी) और दूसरी सीमा रेखा व्यक्तित्व (बार्डर लाइन पर्सनालिटी)।
- इस तरह के व्यक्तित्व में मस्तिष्क में विचार बनने की जो प्रक्रिया होती है, वह बाधित हो जाती है। जब भी इस तरह की व्यक्तित्व वाले व्यक्ति को कोई इंपल्स यानी आवेश आता है तो मस्तिष्क में एक सिस्टम काम करता है। इसे विचार बनने की प्रक्रिया कहते हैं। इसमें कोई विचार मस्तिष्क में थेलेमस से हाइपोथेलेमस में फिर एमिजडाला में जाता है। यहां कोई कार्य करने से पहले मस्तिष्क से सिग्नल मिलता है, उसके परिणाम क्या होंगे। यह विचार संपूर्ण होता है और व्यक्ति को अहसास होता है, यह कार्य करने से उसके साथ गलत होगा।
- यह प्रक्रिया दो तरह की व्यक्तित्व विकार वाले व्यक्तियों में बाधित हो जाती है। इसे ही विवेक शून्यता की स्थिति कहते हैं। इसलिए ऐसी घटनाओं के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण ही होते हैं।
आसान है ऐसे व्यक्ति को पहचानना
यह हैं लक्षण तो हो जाएं सावधान: मनोचिकित्क बताते हैं- ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है, बशर्ते परिवार में ऐसे व्यक्ति की पहचान हो जाए। ऐसे व्यक्ति अक्सर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होते हैं, घर में सामान फेंक देते हैं, सड़क पर अक्सर इनके झगड़े होते हैं, चिड़चिड़ा स्वभाव और सबसे बड़ी वजह अत्यधिक नशा। अगर परिवार में कोई ऐसा है तो ऐसा व्यक्ति कोई भी घटना कर सकता है, इसलिए सावधान हो जाएं। उसका मनोचिकित्सक से परामर्श कराएं। काउंसलिंग, व्यवहार थैरेपी (विहेवियर थैरेपी) जैसे बेहतर विकल्प अब मौजूद हैं।
केस-1
17 अगस्त को गिरवाई क्षेत्र में रहने वाली संजना प्रजापति की हत्या उसके पिता राधाकिशन प्रजापति ने गला घोंटकर कर दी थी। संजना अपनी मर्जी से शादी करना चाहती थी। अचानक गुस्सा आया और बेटी को मार डाला।
केस-2
16 जुलाई को मुरार स्थित सीपी कालोनी में रहने वाली सीमा राजावत की हत्या उसके पति किशन राजावत ने गोली मारकर कर दी। वह शराब पीने जा रहा था, पत्नी ने टोका तो गोली मार दी।
केस-3
22 अगस्त को मुरार के बड़ागांव क्षेत्र में रहने वाले दलवीर की हत्या उसकी पत्नी सुनीता और बेटे राज उर्फ गोलू ने कर दी। मां-बेटे दलवीर से अलग रहते थे। पुश्तैनी मकान में हिस्सा मांगने आए और घर के बाहर ही पीट-पीटकर मार डाला।
पीढ़ियां क्यों हो रही बर्बाद
ऐसी घटनाओं में जो अपराध करता है, वह जेल जाता है। मृत व्यक्ति पर आश्रित लोग, खासकर छोटे बच्चों की पढ़ाई, भरण-पोषण तक पर संकट आ जाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें मां ने पिता की या पिता ने मां की हत्या कर दी। एक की मौत हो गई, दूसरा जेल में और छोटे बच्चे दर-दर भटकने को मजबूर हो गए।