क्या अपनी ईमानदारी पर जनता की मुहर चाहते हैं केजरीवाल?

Arvind Kejriwal: क्या अपनी ईमानदारी पर जनता की मुहर चाहते हैं केजरीवाल? इस्तीफा देकर छवि मजबूत बनाने की रणनीति
आम आदमी पार्टी सूत्रों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल को 13 सितंबर को जमानत मिली थी। इसके ठीक एक दिन बाद 14 सितंबर को केजरीवाल ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ एक बड़ी बैठक की थी। इस बैठक में ही अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की जानकारी पार्टी नेताओं को दे दी थी। इस मुद्दे पर उन्होंने पार्टी के सभी नेताओं की राय भी जानी थी। 

अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को एक बार फिर यह कहकर चौंका दिया है कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। उनके इस्तीफा देने को अपनी छवि चमकाने की कोशिश की तौर पर देखी जा रही है। शराब घोटाले के आरोपों के कारण अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की छवि जनता के बीच बहुत प्रभावित हो गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देते हुए भी मुख्यमंत्री कार्यालय न जाने और किसी महत्वपूर्ण फ़ाइल पर हस्ताक्षर न करने का आदेश दे दिया था। ऐसे में भाजपा के पास उन पर लगातार हमला करने और अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव होता। इससे दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जनता के बीच उनकी छवि और अधिक खराब होती। ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर पूरा मुद्दा ही दूसरी ओर मोड़ दिया है। इसे भी उनकी बड़ी चतुराई के तौर पर देखा जा रहा है। 

आम आदमी पार्टी सूत्रों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल को 13 सितंबर को जमानत मिली थी। इसके ठीक एक दिन बाद 14 सितंबर को केजरीवाल ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ एक बड़ी बैठक की थी। इस बैठक में ही अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की जानकारी पार्टी नेताओं को दे दी थी। इस मुद्दे पर उन्होंने पार्टी के सभी नेताओं की राय भी जानी थी। 

सूत्रों के अनुसार, अपना इस्तीफा देकर केजरीवाल न केवल भाजपा के हाथ से अपने इस्तीफे का मुद्दा छीनना चाहते थे, बल्कि वे उसी शराब घोटाले से अपनी छवि चमकाने की भी रणनीति अपना रहे हैं जिसके सहारे उनकी छवि को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। पार्टी नेताओं की राय है कि कथित शराब घोटाले के कारण उनकी जो छवि खराब हुई है, उसके बाद भी वे सत्ता में लौटने में कामयाब रहेंगे। ऐसे में चुनाव के बाद जब वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे तब केजरीवाल के पास यह कहने की नैतिक ताकत रहेगी कि जनता ने उन पर लगे तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है, जबकि यदि वे इस्तीफा न देते तो उन्हें लगातार भाजपा के आरोपों पर घिरे रहना पड़ता। यानी केजरीवाल का यह निर्णय हर तरीक़े से उनके अनुसार फिट बैठता है। 

जल्द चुनाव सम्भव 
आप सूत्रों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देने के बाद उपराज्यपाल से विधानसभा भंग कर चुनाव में जाने की मांग भी कर सकते हैं। यदि वे ऐसा करते हैं तो दिल्ली विधानसभा चुनाव भी महाराष्ट्र के साथ-साथ हो सकते हैं। कुछ समय से लगातार यह आशंका जाहिर की जा रही थी कि दिल्ली में समय पूर्व चुनाव की संभावना बन सकती है। इस पर अभी कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन परिस्थिति उसी तरफ मुड़ती दिखाई दे रही है। 

भाजपा ने किया हमला
भाजपा नेता हरीश खुराना ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल इस्तीफा नहीं देने जा रहे हैं। वे केवल इस्तीफा देने का नाटक कर रहे हैं जिससे बाद में वे यह कह सकें कि जनता और कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण उन्हें अपने इस्तीफा देने के निर्णय से वापस होना पड़ा। उन्होंने कहा कि यदि अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा देना होता तो वे अब तक इस्तीफा दे चुके होते। दो दिन का समय लेना ही यह बताता है कि उनके इरादे साफ नहीं हैं।

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