सीट समझौते की लड़ाई में कौन सा गठबंधन आगे निकला?
महाविकास अघाड़ी या महायुति.. महाराष्ट्र में सीट समझौते की लड़ाई में कौन सा गठबंधन आगे निकला?
महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर महाविकास अघाड़ी और महायुति लगातार बैठकें कर रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीटों के समझौते पर कौन सा गठबंधन आगे निकल चुका है? विधानसभा की 288 सीटों वाली महाराष्ट्र में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं.
महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव सिर पर है, लेकिन अभी तक न तो महाराष्ट्र विकास अघाड़ी और न ही महायुति गठबंधन में सीट शेयरिंग फाइनल हुआ है. सीटों के समझौते के लिए दोनों ही गठबंधन में कई दौर की मीटिंग भी हो चुकी है, लेकिन अब तक फाइनल बात नहीं बन पाई है.
महायुति यानी एनडीए में कहां-कहां फंसा पेच?
महायुति मतलब बीजेपी और उसके सहयोगियों के बीच का गठबंधन. इस गठबंधन में अजित पवार की एनसीपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और रामदास अठावले की आरपीआई शामिल है. इन दलों के बीच लंबे वक्त से सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा चल रही है.
कहा जा रहा है कि महायुति में सीट शेयरिंग को लेकर मौटे तौर पर समझौता हो गया है. 24 सितंबर को अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे के दौरान इस पर फाइनल मुहर लग सकती है.
एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर अब तक जो इनपुट सामने आया है, उसके मुताबिक बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में होगी. बीजेपी कम से कम 140 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. एनसीपी के अजित गुट को 60 के आसपास सीटें दी जा सकती है.
इसी तरह शिवसेना (शिंदे) 80 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. आरपीआई और अन्य छोटी पार्टियों के लिए भी कुछ सीटें छोड़ने की रणनीति है. हालांकि, सीट शेयरिंग में कई पेच भी है.
सीट शेयरिंग का पहला पेच अजित पवार की दावेदारी है. अजित गुट कम से कम शिंदे इतनी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इसके अलावा पवार मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के साथ-साथ मुंबई जोन की भी सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं.
इसी तरह शिवसेना (शिंदे) की दावेदारी कोंकण-ठाणे के साथ-साथ मराठवाड़ा की सीटों पर है.
एक पेच रामदास अठावले की पार्टी की दावेदारी भी है. अठावले ने हाल ही में 12 सीटों की मांग की है. कहा जा रहा है कि अठावले की दावेदारी को भी इग्नोर करना बीजेपी के लिए आसान नहीं है.
महाविकास अघाड़ी में कहां-कहां फंसा है पेच?
महाविकास अघाड़ी मतलब कांग्रेस और उसके सहयोगियों का गठबंधन. महाविकास अघाड़ी में वर्तमान में कांग्रेस के साथ-साथ शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना शामिल हैं. तीनों ही दल लोकसभा में साथ मिलकर चुनाव लड़ चुकी है.
एनसीपी के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख के मुताबिक तीनों ही दलों के बीच 130 सीटों पर सहमति बन गई है. बाकी के 158 सीटों का पेच बातचीत कर सुलझाया जा रहा है. पेच न सुलझने की वजह कांग्रेस की दावेदारी है.
कांग्रेस महाविकास अघाड़ी में सबसे बड़ी पार्टी बनने की जद्दोजेहद में जुटी है. पार्टी इसके लिए लोकसभा के आंकड़ों को आधार बना रही है. वहीं शिवसेना (ठाकरे) का कहना है कि राज्य में उद्धव ठाकरे चेहरा हैं, इसलिए शिवसेना को दरकिनार नहीं किया जा सकता है.
महाविकास अघाड़ी में विदर्भ और मुंबई की सीटों पर सबसे ज्यादा पेच है. मुंबई ठाकरे का गढ़ माना जाता है और यहां की करीब 36 सीटों में से करीब 20 सीटों पर कांग्रेस दावा कर रही है. इसी तरह विदर्भ में कांग्रेस की परंपरागत सीटों पर शिवसेना (ठाकरे भी दावा ठोक रही है.
एक पेच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भी
शिवसेना (ठाकरे) की मांग है कि उद्धव ठाकरे को चेहरा घोषित किया जाए. शिवसेना का तर्क है कि 2019 में उद्धव के चेहरे पर ही महाविकास अघाड़ी का गठन हुआ था और महाविकास अघाड़ी को जो वोट मिला है, वो उद्धव की सिंपैथी से ही मिला है.
दूसरी तरफ कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को लेकर फैसला करने की बात कह रही है. इन दोनों ही दलों का कहना है कि सीट के हिसाब से यह फैसला होगा. सीट शेयरिंग का पेच इस वजह से भी फंसा हुआ है.