पांच साल ऐसे चली महाराष्ट्र की सत्ता ?
फडणवीस की चंद दिनों की सरकार से शिंदे-अजित की बगावत तक, पांच साल ऐसे चली महाराष्ट्र की सत्ता
Maharashtra Election: चुनाव आयोग की टीम विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर है। शुक्रवार को आयोग ने आगामी चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से उनके सुझाव मांगे। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है।


महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग की टीम महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियों का जायजा लेने के लिए राज्य के दो दिवसीय दौरे पर है। आयोग दो दिन तक राज्य में चुनावी तैयारी की समीक्षा करेगा। वहीं दूसरी ओर तमाम सियासी दल भी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं ने हाल में राज्य का दौरा किया है। राज्य के दोनों प्रमुख गठंबधनों महायुति और महाविकास अगाड़ी चुनावी कवायद में जुट गए हैं।
महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति की सरकार है जिसमें भाजपा, शिवसेना और एनसीपी शामिल हैं। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीति में बहुत कुछ बदल चुका है। 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ीं भाजपा और शिवसेना को नतीजों में बहुमत मिला, लेकिन मुख्यमंत्री के मुद्दे पर दोनों दलों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद राज्य में कई राजनीतिक उठापटक हुई। चुनाव नतीजों के बाद राज्य तीन अलग-अलग गठबंधनों की सरकारें देख चुका है। कभी सुबह का सूरज उगने से पहले सरकार का शपथ ग्रहण हुआ तो कभी सरकार में शामिल सबसे बड़े दल में टूट के बाद नई सरकार बनी। कभी शिवसेना में बगावत हुई तो कभी एनसीपी में बगावत हुई। इन पांच वर्षों में राज्य के सभी प्रमुख दलों ने सत्ता का सुख भोगा। राज्य में बड़े राजनीतिक दलों की संख्या भी चार से बढ़कर छह हो गई। आइए जानते हैं राज्य में बीते पांच साल में हुए सियासी उठापटक के बारे में…
21 सितंबर 2019 को चुनाव आयोग ने राज्य में विधानभा चुनावों का एलान किया। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला दो प्रमुख गठबंधनों के बीच था। पहला भाजपा और शिवसेना का गठबंधन जिसकी उस वक्त सरकार थी। वहीं, विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और एनसीपी शामिल थे। महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 21 अक्तूबर, 2019 को वोट डाले गए। 24 अक्तूबर, 2019 को मतगणना कराई गई थी। जब नतीजे आए तो 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिलीं। वहीं, भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना को 56 सीटें आई थीं। इस तरह इस गठबंधन को कुल 161 सीटें मिलीं, जो बहुमत के आंकड़े 145 से काफी ज्यादा था। दूसरी ओर एनसीपी को 54 सीटें जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं।
कुछ दिन बाद अचानक आधी रात को राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया और 23 नवंबर 2019 की अल सुबह देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। हालांकि, भाजपा बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक संख्या हासिल करने में नाकाम रही। तीन दिन के बाद फडणवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया। इससे एक बार फिर राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया।
यह राजनीतिक संकट तब समाप्त हुआ जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच चर्चा के बाद एक नए गठबंधन, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का गठन हुआ। नए सियासी समीकरण के बाद 28 नवंबर, 2019 को उद्धव ठाकरे ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
नवंबर 2019 से मई 2022 तक एमवीए सरकार चली। 2022 में हुए विधान परिषद चुनाव के दौरान कुछ ऐसी स्थिति बनी जिसके कारण राज्य राज्य में एक बार फिर सियासी संकट खड़ा हो गया। दरअसल, जून 2022 में महाराष्ट्र में विधान परिषद की 10 सीटों पर चुनाव हुए। इसके लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे। एमवीए की तरफ से शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने छह उम्मीदवार उतारे थे तो भाजपा ने पांच। खास बात ये है कि शिवसेना गठबंधन के पास सभी छह उम्मीदवारों को जिताने के लिए पर्याप्त संख्या बल था, लेकिन वह एक सीट हार गई। इन पांच में कांग्रेस को केवल एक सीट मिली और एनसीपी-शिवसेना के खाते में दो-दो सीटें आईं।
वहीं, भाजपा के पास केवल चार सीटें जीतने भर की संख्या बल थी, लेकिन पांचवीं सीट भी निकालने में पार्टी सफल रही। एमएलसी चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई। इसके बाद महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायक पहले गुजरात फिर असम चले गए। कई दिन चले सियासी ड्रामे के बाद उद्धव ठाकरे ने 29 जून, 2022 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से 30 जून, 2022 को मुख्यमंत्री बन गए।
करीब एक साल बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासी उठापटक हुई। 2 जुलाई 2023 को, अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी का समूह भाजपा-शिवसेना गठबंधन में शामिल हो गया। इसके साथ ही महायुति में सरकार में अजित ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। अजित के साथ एनसीपी के कुल आठ विधायकों ने मंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
2022 में शिवसेना और 2023 में एसीपी में बगावत हुई। इसके बाद दोनों दलों के दो टुकड़े हो गए। शिवसेना में बगावत के बाद पार्टी के ज्यादातर विधायक और सांसद एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर शिंदे और उद्धव गुट की लड़ाई कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक में चली। लंबी लड़ाई के बाद पार्टी का नाम और निशान शिंदे गुट को मिल गया। वहीं, उद्धव गुट की शिवसेना का नाम शिवसेना (यूबीटी) हो गया। इसी तरह अजित वार और शरद पवार गुट में हुई लड़ाई में एनसीपी का नाम और चुनाव निशान अजित गुट को मिला। वहीं, शरद पवार गुट की एनसीपी को एनसीपी (शपा) नाम मिला।
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की कुल 48 लोकसभा सीटों के लिए दो प्रमुख गठबंधनों के बीच लड़ाई हुई। एनडीए में भाजपा के साथ एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी ने चुनाव लड़ा। वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एसीपी (शपा) ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। चुनाव नतीजे आए तो राज्य में सबसे 13 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) नौ सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही। शरद पवार की एनसीपी (शपा) ने आठ सीटों पर जीत दर्ज करके विपक्षी गठबंधन की सीटों की संख्या 30 कर दी।
राज्य की सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टियों की बात करें तो भाजपा को नौ, शिवसेना को सात और एसीपी को महज एक सीट पर जीत मिली। इस तरह एनडीए को राज्य में केवल 17 लोकसभा सीटों पर जीत मिल सकी। यानी, लोकसभा चुनाव में उद्धव और शरद पवार को जनता ने सत्ता में काबिज एकनाथ शिंद और अजित पवार के मुकाबले ज्यादा सीटें दीं।
विधानसभा की मौजूदा स्थिति का बात करें तो 288 सदस्यीय विधानसभा में 202 सदस्य सत्ता पक्ष के हैं। इनमें 102 भाजपा, 40 एसीपी, 38 शिवसेना और 22 अन्य छोटे दलों के सदस्य हैं। वहीं, विपक्ष में कांग्रेस के 37, शिवसेना(यूबीटी) के 16, एसीपी (शपा) के 16 और छह अन्य छोटे दलों के हैं। वहीं, 15 सीटें रिक्त हैं।

चुनाव आयोग के महाराष्ट्र दौरे में क्या हो रहा है?
ईसी की टीम महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियों का जायजा लेने गुरुवार देर शाम मुंबई पहुंची। महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, सुखबीर सिंह संधू के साथ लगभग 12 अधिकारियों का दल है। शुक्रवार को आयोग ने आगामी चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से उनके सुझाव मांगे।
आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान मुंबई शहर में मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को हुई असुविधा पर असंतोष व्यक्त किया और शीर्ष अधिकारियों को आगामी विधानसभा चुनावों में बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए कहा। राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ समीक्षा बैठक में अधिकारियों को मतदान केंद्रों पर बेंच, पंखे, पेयजल और शेड सहित सभी सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए कहा गया। आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस प्रमुख से आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अधिकारियों के तबादले के अपने आदेशों को पूरी तरह लागू न करने पर स्पष्टीकरण मांगा है।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। आयोग अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में कभी भी चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है। संभावना जताई जा रही है कि दोनों राज्यों में नवंबर में एक साथ विधानसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में पिछली बार अक्तूबर में ही विधानसभा के चुनाव हुए थे।