स्कूल भेजने में डर लगता है ?
22 दरिंदों की फांसी सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट में अटकी
पीड़ित परिवार को सजा का इंतजार; पेरेंट्स बोले- स्कूल भेजने में डर लगता है
मैं अब बच्ची को स्कूल भेजने से डरती हूं। डर लगता है कि कहीं वो लोग उसे किडनैप न कर लें। अभी तो बेटी के कोर्ट में बयान भी नहीं हो पाए हैं।
ये दर्द उस मां का है, जिसकी बेटी से 29 अप्रैल 2024 को भोपाल के एक नामी स्कूल में रेप की कोशिश हुई। आरोपी स्कूल संचालक जमानत पर जेल से बाहर है। ये सिर्फ एक पीड़ित की मां का डर नहीं है। दरिंदों का शिकार बने परिवार तिल-तिल कर मर रहे हैं। वो सवाल पूछ रहे हैं कि गुनहगारों को फांसी क्यों नहीं होती?
मध्यप्रदेश में पिछले एक हफ्ते में बच्चियों से रेप की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन्हें लेकर विपक्ष तो सवाल उठा ही रहा है, सत्ता पक्ष के नेता भी आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं।
राज्य में रेप के बढ़ते मामलों के बीच …… पीड़ित परिवारों से बात की, जिन्हें आज भी अपनी बेटियों के लिए इंसाफ का इंतजार है। साथ ही एक्सपर्ट से बात कर समझा कि रेप के आरोपियों की कोर्ट से सजा और बरी होने की दर क्या है? नया कानून रेप जैसे जघन्य अपराध से निपटने में कितना कारगर है?
पहले 3 केस से समझिए, पीड़ित परिवारों का गुस्सा और दर्द…
केस 1
- तारीख- 30 अप्रैल 2019
- भोपाल की मनुआभान टेकरी पर 12 साल की बच्ची से रेप
- मामले की सीबीआई ने जांच की लेकिन आरोपी अब तक नहीं पकड़ा गया
पिता बोले- क्या हमारे जिंदा रहते बेटी को न्याय मिलेगा…
30 अप्रैल 2019 को 12 साल की बच्ची अपनी 16 साल की बुआ के साथ मनुआभान की टेकरी पर घूमने गई थी। यहां इस बच्ची की रेप के बाद हत्या कर दी गई। 4 साल पहले इस केस में सीबीआई ने जांच शुरू की लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
बच्ची के माता-पिता कहते हैं कि 6 साल बाद भी हमारी बच्ची के हत्यारे खुले घूम रहे हैं। आखिर बेटी को कब न्याय मिलेगा? सीबीआई जैसी एजेंसी भी जब एक केस को सॉल्व नहीं कर पा रही है तो फिर कैसे इस तरह के आरोपियों को सजा मिल पाएगी?
माता-पिता अब भी अपनी बेटी की किताबों, कपड़े और खिलौने देखकर रोने लगते हैं। कहते हैं- अब न्याय की उम्मीद भी खत्म हो गई है। पता नहीं हमारे जिंदा रहते हमारी बेटी के कातिल पकड़े जाएंगे या नहीं?
केस 2
- तारीख- 29 अप्रैल 2024
- भोपाल के प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली 8 साल की मासूम से रेप
- 5 महीने से मिसरोद थाने की एसआईटी जांच कर रही, आरोपी जमानत पर
मां बोलीं- आरोपी जेल से बाहर, बेटी को स्कूल भेजने में डर लगता है
अप्रैल में भोपाल के नामी स्कूल में एक बच्ची के साथ रेप की कोशिश हुई थी। आज भी ये परिवार इस वारदात से उबर नहीं पाया है। मासूम की मां कहती हैं- मेरी बेटी के साथ हुई वारदात ने मेरी पूरी जिंदगी ही बदल दी है। अब हर पल डर और दहशत में गुजरता है।
आरोपी जमानत पर है। मैं बच्ची को डर-डर कर स्कूल भेजती हूं, कहीं उसका किडनैप न हो जाए। कहीं मेरे साथ कोई वारदात न हो जाए। कई धमकियां मिल चुकी हैं।
केस 3
- तारीख- 16 जनवरी 2021
- भोपाल के कोलार इलाके में एमबीए कर चुकी युवती से रेप की कोशिश
- 26 दिसंबर 2023 को कोर्ट ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए, आरोपी छूट गया
मां बोलीं- मेरी बेटी 8 महीने तक बिस्तर पर रही, आरोपी कैसे छूट गया?
16 जनवरी 2021 को एमबीए पास युवती भोपाल के कोलार एरिया में शाम के वक्त टहल रही थी। इसी दौरान दरिंदे ने उसे गड्ढे में धकेलकर उसके साथ जबरदस्ती की कोशिश की। युवती की रीढ़ की हड्डी टूट गई। 26 दिसंबर 2023 को कोर्ट ने फैसले में पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
पीड़िता कहती है- दो साल इंतजार के बाद फैसला आया तो मैं ही गुनहगार बन गई। आरोपी के वकील ने कोर्ट में साबित कर दिया कि मैं खुद गड्ढे में गिरी थी। पुलिस के साथ मिलकर मैंने इस तरह की झूठी कहानी रची थी।
पीड़िता की मां ने दैनिक भास्कर को बताया, ‘मेरी बेटी 8 महीने तक बेड पर पड़ी रही। हमारे लिए तो एक-एक पल जीना मुश्किल हो गया था। इस तरह के घाव भरने में सालों गुजर जाया करते हैं। आरोपी पुलिस की लचर जांच के चलते छूट गया। मेरी बेटी ने जो दर्द सहा, उसका न्याय कौन करेगा?’
रेप-मर्डर के आरोपियों को फांसी देने की मांग
भोपाल में 26 सितंबर को 5 साल की बच्ची की लाश मिलने के बाद लोग सड़क पर उतरे। मासूम की उसके पड़ोसी ने ही अपहरण कर रेप के बाद हत्या कर दी थी। इसके अलावा हरदा में इसी उम्र की बच्ची के साथ रेप की वारदात होने के बाद लोग गुस्से में हैं। हरदा में तो पुलिस ने पहली बार आरोपी को ढूंढ़ने के लिए थर्मल विजन ड्रोन की मदद ली है।
लोग ऐसे आरोपियों को सरेआम फांसी देने की मांग कर रहे हैं। पूर्व मंत्री और विधायक उषा ठाकुर ने सरकार से मांग करते हुए सलाह दी है कि आरोपियों को सरेआम चौराहे पर फांसी दी जाए। उनके शवों को चील-कौओं को खाने के लिए छोड़ दिया जाए। तब जाकर ऐसे अपराधियों के दिलों में खौफ पैदा होगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी सार्वजनिक तौर पर बयान दे चुके हैं कि बच्चियों के साथ ऐसे घृणित कार्य करने वाले आरोपियों का गला दबा देना चाहिए। कांग्रेस भी प्रदेश में हो रही रेप और हत्या की वारदातों को लेकर मुखर है। महिला कांग्रेस द्वारा राजधानी भोपाल में प्रदर्शन कर पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन तक सौंपा गया।
अब वो दो केस, जिनमें कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई लेकिन अमल नहीं हो पाया…
1. 23 दिन के ट्रायल के बाद फांसी लेकिन 6 साल बाद भी इंतजार
20 अप्रैल 2018 को इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र में माता-पिता के साथ सो रही तीन महीने चार दिन की बच्ची को आरोपी अजय गड़के तड़के चार बजे उठा ले गया। आरोपी ने बच्ची के साथ रेप कर हत्या कर दी। पुलिस ने 8वें दिन कोर्ट में चालान पेश किया।
कोर्ट में 29 लोगों की गवाही हुई। 23वें दिन कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। देश में ये पहला फैसला था, जो केंद्र सरकार के पॉक्सो एक्ट में बदलाव के बाद आया था। मगर 6 साल बाद भी आरोपी को सजा नहीं मिल पाई है।
2. ढाई साल बाद फांसी की सजा मिली, लेकिन तारीख तय नहीं
सितंबर 2024 में सोहागपुर की कोर्ट ने पांच साल की बच्ची के साथ रेप व हत्या करने वाले आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। सजा सुनने के बाद आरोपी कोर्ट में ही फूट-फूट कर रोने लगा था। 25 दिसंबर 2021 को सोहागपुर से एक बच्ची दोपहर 3 बजे गायब हो गई थी। बाद में बच्ची की लाश उसके ही घर की छत पर मिली।
पुलिस ने इस मामले में उसके ही एक करीबी रिश्तेदार किशन माछीया उर्फ चिन्नू को गिरफ्तार किया। आरोपी ने बच्ची के साथ रेप करने के बाद गला दबाकर हत्या कर दी थी। कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, मगर तारीख मुकर्रर नहीं हुई है।
कानून कठोर, मगर सजा का अनुपात कम
हरदा के एडवोकेट शेख मुईन खान कहते हैं कि कानून में कठोर सजा का प्रावधान तो है, लेकिन अपराधियों को सजा मिलने का अनुपात बेहद कम है। वे हरदा जिले का ही उदाहरण देते हुए कहते हैं कि साल 2023 में जिले में पहले के 300 केस पेंडिंग थे। नए 103 केस दर्ज हुए।
कुल 403 केस में से 94 केस की सुनवाई के बाद कोर्ट ने केवल 6 केस में आरोपी को दोषी मानते हुए सजा सुनाई और 88 केस में आरोपी बरी हो गए।
रेप-हत्या के 22 आरोपियों के प्रकरण सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट में लंबित
बच्चियों के साथ रेप व हत्या के प्रकरण में पॉक्सो एक्ट में बदलाव के बाद फांसी की सजा का प्रावधान जोड़ा जा चुका है। फैसले के बाद आरोपी को तुरंत सजा मिल जाए, ऐसा संभव नहीं है। प्रदेश में मौत की सजा पाए 41 दोषियों में से 22 को रेप और हत्या का दोषी पाया गया है। ये सभी मामले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित हैं।
अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख कहते हैं कि सेशन कोर्ट फांसी की सजा सुनाता है। उसके बाद हाईकोर्ट से कंफर्मेशन जरूरी होता है। हाईकोर्ट के बाद दोषी के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार होता है। सुप्रीम कोर्ट भी यदि फांसी की सजा यथावत रखता है तो फिर राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास दया याचिका फाइल की जाती है।
राष्ट्रपति या राज्यपाल दया याचिका फाइनल करते हैं, तब जाकर फांसी की सजा पर अमल होता है। ये सारी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि बरसों तक चलती रहती है। वे कहते हैं कि अब भारतीय न्याय संहिता में इसमें बदलाव किया गया है। इसमें ऐसे मामलों का निराकरण जल्दी होगा।
आंकड़ों से समझें, कैसे 4 साल में रेप के मामले दोगुने हुए
मध्यप्रदेश में 2022 के मुकाबले 2023 में रेप के मामलों में 66 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। प्रदेश में हर दिन औसतन 14 महिलाओं और लड़कियों के साथ रेप की घटना हुई है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में प्रदेश में 5,348 रेप के मामले दर्ज हुए।
वहीं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक राज्य में 2022 में 3,046, 2021 में 2,947 और 2020 में 2,341 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। 2019 में यह आंकड़ा 2,490 था। ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार साल में महिलाओं और लड़कियों पर यौन हमलों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
पुलिस का दावा- 2023 के मुकाबले 2024 में शुरुआती सात महीने में मामले घटे
15 सितंबर को मध्यप्रदेश पुलिस ने 2023 और 2024 के शुरुआती सात महीनों के तुलनात्मक आंकड़े जारी किए थे। इसमें बताया गया कि हत्या के मामलों की संख्या 2023 के पहले सात महीनों में 1,174 से घटकर 2024 में इसी अवधि में 1,090 हो गई है, इसमें लगभग 7 प्रतिशत का सुधार है।
वहीं, बलात्कार के मामलों की संख्या 2023 में 2,583 से घटकर 2024 की अवधि में 2,319 हो गई है, जो लगभग 10.2 प्रतिशत की कमी है। डकैती के मामलों में 51 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है जबकि सामूहिक बलात्कार में 19 प्रतिशत की कमी आई है।
छेड़छाड़ के मामले 2023 में 2,151 से घटकर 2024 में 1,939 हो गए हैं। 2023 के शुरुआती सात महीनों में अपराध के कुल मामले 189,178 से घटकर 2024 के शुरुआती सात महीने में 182,714 हो गए यानी 3.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।