ग्वालियर रेलवे स्टेशन नाम बदलने की मांग पर MP में गरमाई सियासत ?
146 साल पहले बना था ग्वालियर रेलवे स्टेशन, अब नाम बदलने की मांग पर MP में गरमाई सियासत
रेलवे स्टेशन के नामकरण के मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि ग्वालियर का नाम पहले से ही पूरी दुनिया में रोशन है, ऐसे में नाम बदलना गलत है. उनका कहना है कि कांग्रेस के जमाने का ही पुराना स्टेशन है, कोई नया तो बन नहीं रहा है. गालव ऋषि के नाम पर रेलवे स्टेशन का नाम है, जो पहले से ही बेहतर है.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर सियासत गरमा गई है. यहां के भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर किए जाने की मांग उठाई है. बीजेपी सांसद की इस मांग के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक भी आगे आए हैं और उन्होंने ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम माधवराव सिंधिया के नाम पर किए जाने की मांग की है. ऐसे में ग्वालियर रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर भारतीय जनता पार्टी दो गुटों में नजर आ रही है.
ग्वालियर रेलवे स्टेशन के नाम पर सियासत
ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने बाकायदा इस मुद्दे पर दिल्ली में जाकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र देकर ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग की है. सांसद की ओर से ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग करने के बाद इस मुद्दे पर सिंधिया राज परिवार के करीबी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल का बयान भी सामने आया है,
उन्होंने ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम माधवराव सिंधिया के नाम पर किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि मेरा मन है कि रेलवे स्टेशन का नाम कैलाश वासी माधव राव सिंधिया के नाम पर होना चाहिए.
नाम को लेकर गरमाई सियासत
ऐसे में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया की रेल मंत्री रहते हुए रेलवे स्टेशन के विकास सहित इलाके के कई विकास कार्यों को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वहीं अटल बिहारी वाजपेई भी जाने-माने बड़े नेता रहे हैं. लेकिन जिस तरह से ग्वालियर रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने को लेकर राजनीति हो रही है इससे भाजपा के अंदर गुटबाजी साफ झलक रही है.
ऐसे में यह साफ दिख रहा है कि रेलवे स्टेशन के नाम बदलने का यह मुद्दा बीजेपी सांसद भारत सिंह कुशवाह, विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर बनाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हो गया है. इस कारण ग्वालियर का विकास अवरुद्ध हो रहा है.
…………………………………………
बीजेपी में नाम पर सियासत, दो हस्तियों के नाम पर बंटा ग्वालियर, क्या फैसला लेगा केंद्रीय वर्चस्व
पिछले 10 सालों में बहुत कुछ बदला है देश में ट्रांसपोर्टेशन को नई गति मिली है रेलवे का विस्तार हुआ है कई रेलवे स्टेशन को नए नाम की पहचान मिली है और अब एक बार फिर मध्य प्रदेश के महानगरों में शुमार ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई लेकिन यहाँ एक बड़ा पेंच है क्योंकि स्टेशन के नए नाम को लेकर सियासत भी गर्माती नज़र आ रही है
ग्वालियर: वैसे तो योजना के तहत देश भर में चरणबद्ध तरीके से रेलवे स्टेशन का विस्तार किया जा रहा है. उन्हें भव्य रूप दिया जा रहा है और इनमें ग्वालियर का नाम भी शुमार है. जहां स्टेशन का जीर्णोद्धार कर वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस किया जा रहा है, लेकिन अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित यह रेलवे स्टेशन एक और वजह से चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि रेल मंत्रालय से इस स्टेशन का नाम बदलने की तो चर्चा की जा रही है, लेकिन जो नाम बदल कर रखना है उसे लेकर सियासत तेज है.
ग्वालियर सांसद ने की रेल मंत्री से मुलाकात
असल में 130 साल पुराना ग्वालियर रेलवे स्टेशन से जल्द ही नए रूप में दिखाई देगा. इसके सा-साथ अब इसका नाम बदलने को लेकर भी प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाहा ने दिल्ली में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर इस स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की मांग की है.
वाजपेयी के नाम पर स्टेशन का नाम रखने की मांग
मंत्री को सौंपे पत्र में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि ग्वालियर ने देश को कई बार गौरवान्वित किया है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी इस ग्वालियर से पुराना नाता है. यह उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है. अपने राजनीतिक जीवन में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा की है और उनके सम्मान में ग्वालियर का नाम बदल कर उनके नाम पर रखा जाए.
सिंधिया समर्थक कर रहे माधवराव सिंधिया के नाम की मांग
ग्वालियर के बीजेपी सांसद भारत कुशवाहा द्वारा उठायी गई मांग का जहां पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं बीजेपी का ही एक धड़ा सहमत नहीं है. पूर्व विधायक और सिंधिया समर्थक बीजेपी नेता रमेश अग्रवाल का कहना है कि ‘साल 1895 में बना ग्वालियर रेलवे स्टेशन सिंधिया राज घराने की देन है, सिंधिया राज परिवार ने ही इस स्टेशन का निर्माण कराया था. जब माधवराव सिंधिया केंद्र में रेल राज्यमंत्री थे.
उस दौरान उन्होंने भी रेलवे के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाई है. इसलिए ग्वालियर रेलवे स्टेशन का अगर नाम बदला जाए तो स्व माधवराव सिंधिया के नाम पर होना चाहिए.’
‘स्टेशन के नाम पर दिख रही गुटबाजी’
इधर कांग्रेस भी इस मुद्दे पर सधा हुआ जवाब दे रही है. प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि ‘इस बात में कोई दो राय नहीं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश की बड़ी शख्सियत रहे हैं. उन्होंने अपने समय में एक स्वच्छ राजनीति का उदाहरण पेश किया है. वहीं यदि ग्वालियर के हिसाब से देखें तो इस स्टेशन को अच्छे स्तर का रेलवे स्टेशन बनाने में स्व. माधवराव सिंधिया की भी बड़ी भूमिका रही है. उन्होंने रेल मंत्री रहते इस क्षेत्र में रेलवे को बढ़ाने का काम किया है. अब यह बीजेपी सरकार को तय करना है. केंद्र दोनों में से वे किस का नाम को चुनते हैं, लेकिन कहीं न कहीं इस तरह 2 नामों से यह तो साफ है कि बीजेपी में गुटबाजी अब खुलकर दिख रही है. यहां भारत सिंह कुशवाहा, नरेंद्र सिंह तोमर वर्सेस सिंधिया दिखाई दे रहा है.’