भोपाल में उद्योगों को आवंटित जमीन पर क्या कारोबार हो रहा, जिम्मेदारों को नहीं पता ?
भोपाल में उद्योगों को आवंटित जमीन पर क्या कारोबार हो रहा, जिम्मेदारों को नहीं पता, बगरोदा में ड्रग्स फैक्ट्री खुलासे के बाद उठे सवाल
मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (एमपीआईडीसी) द्वारा बगरोदा, अचारपुरा में प्रोजेक्ट, फैक्ट्री और उद्योग स्थापित करने के लिए बड़े उद्योगपतियों को 30 साल की लीज पर जमीनें आवंटित की गई हैं, लेकिन इन जमीनों पर क्या उद्योग स्थापित किया जा रहा है, इस पर विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।
अचारपुरा स्थित औद्योगिक क्षेत्र, जहां प्रोजेक्ट लगाने दी गई हैं एमपीआइडीसी द्वारा जमीनें ।
- करोड़ों की औद्योगिक जमीन का हो रहा दुरुपयोग।
- बगरोदा में चल रही ड्रग्स फैक्ट्री के खुलासे से हड़कंप।
- उद्योगों के लिए आवंटित जमीनों पर अवैध कब्जे हो रहे।
भोपाल। शहर के बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्ट्री में ड्रग्स बनाए जाने का मामला सामने आने के बाद अब अन्य फैक्ट्रियों और आवंटित जमीनों को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (एमपीआईडीसी) द्वारा बगरोदा, अचारपुरा में प्रोजेक्ट, फैक्ट्री और उद्योग स्थापित करने के लिए बड़े उद्योगपतियों को 30 साल की लीज पर जमीनें आवंटित की गई हैं, लेकिन इन जमीनों पर क्या उद्योग स्थापित किया जा रहा है, इस पर विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। यही कारण है कि इन जमीनों पर या तो अवैध कब्जे हो जाते हैं या फिर जिस प्रोजेक्ट के लिए जमीन दी गई थी, उसकी जगह कुछ और ही कारोबार शुरू हो जाता है।
बता दें कि पिछले चार वर्ष में 57 विभागों और निजी संस्थाओं को बगरोदा, अचारपुरा सहित अन्य जगहों जमीनें आवंटित की गईं हैं। इन जमीनों का आवंटन होने के बाद इन पर प्रोजेक्ट स्थापित हुआ है या नहीं। कहीं जमीन पर कोई अवैध गतिविधि तो संचालित तो नहीं की जा रही है। बंद पड़ी फैक्ट्रियों में कोई अवैध कारोबार तो नहीं किया जा रहा है, इसकी जानकारी एमपीआईडीसी को नहीं रहती है। दरअसल, एक बार जमीन आवंटित करने या प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद अधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं किया जाता है। यही कारण है कि करोड़ों की औद्योगिक जमीन का दुरुपयोग होने लगता है और विभाग अनजान बना रहता है।
निरीक्षण की कमी से हो रहे कब्जे
मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा राजधानी के पास अचारपुरा में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया है। यहां प्रोजेक्ट लगाने व फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जमीनें दी गईं। इसके बाद कुछ ने काम शुरू किया तो वहीं अधिकांश निजी व शासकीय संस्थाओं द्वारा जमीन खाली छोड़ दी गई। यही वजह है कि अब जमीनों पर लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है। दरअसल, यहां उद्योग केंद्र, प्राधिकरण और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कोई निरीक्षण समय-समय पर नहीं किया जाता है। यही वजह है कि वहां कौन सा प्रोजेक्ट चल रहा है इसका भी पता नहीं रहता है।
इन संस्थानों द्वारा ली गई है जमीन
जिला व्यापार उद्योग केंद्र, स्कूल शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास निगम, मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल, विद्युत विनियामक आयोग, संस्कृति विभाग, गांधी चिकित्सालय, स्वास्थ्य विभाग, जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, मध्यप्रदेश सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, अनुसूचित जाति विभाग, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल, खेल एवं युवा कल्याण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, लोक निर्माण, राजस्व, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान और लावण्य गुरुकुल संस्था आदि।
इन इलाकों में जमीन आवंटित
– नगर निगम ने बागमुगालिया, पलासी, रासलाखेड़ी, करोंद कला, कलखेड़ा, नीलबड़, कान्हासैया, हिनौतिया आलम, कोटरा सुल्तानाबाद, बेहटा, बावड़ियाकला में झुग्गी मुक्त पीएम आवास और पुलिस आवास आदि के नाम पर 12 जगह करीब 30 हेक्टेयर सरकारी जमीन ली।
– उद्योग विभाग ने अचारपुरा-करारिया, पातालपुर वीरान में चार जगह करीब 100 हेक्टेयर जमीन प्रोजेक्ट के लिए ली है।
– पुलिस ने महाबड़िया, नरेला संकरी, बैरागढ़ व अन्य जगह पुलिस चौकी और थाना बनाने के लिए जमीन ली।
– जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र ने हज्जामपुरा में ऑक्सीजन प्लांट के लिए जमीन ले रखी है।
– औद्योगिक नीति के तहत कल्याणपुरा, मुगालिया कोट, मुगालिया खुर्द मिलाकर करीब 42 हेक्टेयर जमीन रिजर्व की गई है।
बगरोदा, अचारपुरा में स्थापित उद्योगों का निरीक्षण किया जाएगा, ताकि पता चल सके कि जिन उद्योगों के लिए जमीन दी गई थी, वही संचालित हो रहे हैं या फिर अन्य कोई कारोबार किया जा रहा है। उद्योग बंद हो गए हैं उनके मालिकों से चर्चा की जाएगी। जिन जमीनों पर कब्जे हो गए हैं, उन्हें हटाने की कार्रवाई करेंगे।
-विशाल सिंह चौहान, कार्यकारी निदेशक, एमपीआईडीसी