सड़क पर बच्चे नहीं मांगेंगे भीख …भीख को नहीं शिक्षा को दें बढ़ावा !
सड़क पर बच्चे नहीं मांगेंगे भीख
कलेक्टर ने शुरू किया जागरूकता अभियान, सभी से अपील-भीख को नहीं शिक्षा को दें बढ़ावा
शहर के चौराहों और सड़कों पर छोटे बच्चों को भिक्षावृत्ति में लिप्त देखना आम बात हो गई है। लेकिन ये बच्चे कहां से आते हैं, उनके माता-पिता क्या उन्हें इसके लिए भेजते हैं, और क्या वे भी इसमें शामिल होते हैं ? ये एक बड़ा सवाल है। जबलपुर जिला प्रशासन ने इस गंभीर समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए बच्चों को भिक्षावृत्ति से निकालकर शिक्षा की ओर लाने की कवायद शुरु कर दी है।
जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बाल भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस अभियान में पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, और विभिन्न समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर काम किया जाएगा। अभियान का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा में जोड़कर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाना है। इसके लिए एनजीओ की भी मदद ली जा रही है ताकि बाल भिक्षावृत्ति को प्रभावी रूप से रोका जा सके।
पात्र व्यक्तियों को ही भिक्षा दें, बच्चों को देने से बचें
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि बाल भिक्षावृत्ति को खत्म करने के लिए समाज की सक्रिय भूमिका आवश्यक है। लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे केवल पात्र व्यक्तियों को ही भिक्षा दें और बच्चों को भीख देने से बचें, क्योंकि इससे उनका भविष्य और बिगड़ता है। प्रशासन इन बच्चों के पुनर्वास के लिए भी विशेष प्रयास करेगा।
कलेक्टर का कहना है कि पुलिस और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद पूर्व में बाल भिक्षावृत्ति रोकने के प्रयासों की समीक्षा की गई है। इसके बाद नए सिरे से जागरूकता अभियान की शुरुआत की जाएगी। इस बार की योजना में समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर व्यापक पैमाने पर काम किया जाएगा, ताकि बाल भिक्षावृत्ति पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।
एनजीओ की भूमिका महत्वपूर्ण
कलेक्टर ने एनजीओ की भूमिका को इस अभियान का अहम हिस्सा बताया। एनजीओ और समाजसेवी संगठनों की मदद से उन लोगों को समझाया जाएगा, जो बच्चों को भिक्षा मांगने के लिए मजबूर करते हैं। बच्चों को सड़क से हटाकर स्कूल भेजने के प्रयास किए जाएंगे, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि लोग इन बच्चों को भीख देने से परहेज करें, क्योंकि भीख से मिले पैसे अक्सर बच्चों को नशे की लत में डाल देते हैं।
भीख मांगना है कानूनी अपराध
कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने कहा कि आईपीसी की धारा 133 के तहत भीख मांगना सार्वजनिक परेशानी (पब्लिक न्यूसेंस) माना गया है, और इसके लिए सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर दो साल और दूसरी बार पकड़े जाने पर दस साल की सजा का प्रावधान है। इस कानून को प्रभावी रूप से लागू करने की जिम्मेदारी पुलिस, सामाजिक न्याय विभाग और बाल संरक्षण आयोग पर है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं, बावजूद इसके बाल भिक्षावृत्ति पर रोक नहीं लगाई जा सकी। अब देखना यह है कि एक बार फिर से शुरू किया जा रहे हैं, अभियान का कितना असर दिखाई देता है।