PMT घोटाले में बड़ा खुलासा …. CBI ने कार्रवाई के लिए चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा; स्टेट कोटे की सीटों पर मनमर्जी से दिए थे एडमिशन
PMT 2013 में घोटाले को लेकर CBI ने मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी का पत्र लिखा है। CBI ने एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (AFRC) के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई को कहा है। MP-PMT 2013 की काउंसलिंग के दौरान 6 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने MBBS की स्टेट कोटे की सीटों पर मनमर्जी से एडमिशन दिए थे। काउंसलिंग के दौरान इस मामले की शिकायत होने के बाद भी कमेटी ने कार्रवाई नहीं की थी। विश्वविद्यालयों को इन छात्रों की परीक्षा कराने और रिजल्ट घोषित करने के लिए कहा था। CBI ने जांच में कमेटी के संचालन में खामियां पाई।
CBI ने चीफ सेक्रेटरी को एक सेल्फ कंटेंट नोट भी भेजा है। इसमें AFRC के तत्कालीन चेयरमैन और महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी (छतरपुर) के कुलपति प्रो. टीआर थापक व चार अन्य सदस्यों के नाम शामिल हैं। तत्कालीन सदस्यों में लॉ डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी डॉ. आरके वर्मा, तत्कालीन डीएमई डॉ. एसएस कुशवाह, टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के तत्कालीन डायरेक्टर आशीष डोंगरे और हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर एनसी टेकाम थे। CBI के लेटर के बाद राज्य शासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। AFRC की नोडल डिपार्टमेंट तकनीकी शिक्षा विभाग ने जानकारी मांगी है।
जानबूझकर दी गलत जानकारी, खाली सीटें अपात्रों से भरीं
जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि MP-PMT 2013 की ऑनलाइन काउंसलिंग में राज्य के 6 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने एडमिशन और स्टेट कोटे की एक्चुअल वैकेंट सीट की जानबूझकर बार-बार गलत जानकारी दी। इन खाली सीटों पर कॉलेजों में अपात्र उम्मीदवारों को प्रवेश की अंतिम तारीख में अनियमित रूप से दाखिला दिया। गलत जानकारी देने वाले कॉलेजों में ये शामिल….
- पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर, भोपाल
- चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भोपाल
- एनएल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भोपाल
- इंडेक्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, इंदौर
- श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज एंड पीजी इंस्टीट्यूट, इंदौर
- आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज, उज्जैन
काउंसलिंग के दौरान आनंद राय ने की थी शिकायत
व्हिसल ब्लोअर आनंद राय ने काउंसलिंग के दौरान ही कॉलेजों की शिकायत की थी। 25 से 50 लाख रुपए में अपात्र उम्मीदवारों को एडमिशन देने के आरोप लगाए थे। CBI की जांच में खुलासा हुआ कि इसके बाद भी AFRC ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की और मेडिकल कॉलेजों की इस अनियमितता को जारी रखने की अनुमति दी। मेडिकल कॉलेजों द्वारा दिए गए अनियमित प्रवेश पर तत्कालीन एडमिशन फीस रेगुलेटरी कमेटी के संचालन में खामियां पाई गईं।
अपात्र उम्मीदवारों को रेगुलर करना उचित नहीं माना
अपात्र उम्मीदवारों के संबंध में कमेटी ने विश्वविद्यालयों को यह पत्र भी जारी किया कि इनकी परीक्षा ली जाए और उनका परिणाम भी घोषित किया जाए। CBI ने जांच में कमेटी द्वारा इस तरह अपात्र उम्मीदवारों को रेगुलर कराना अनुचित माना है। इसके लिए CBI ने संबंधित विश्वविद्यालयों के अधिकारियों से पूछताछ भी थी। इसमें यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की ओर से बताया कि AFCR के कहने पर इन उम्मीदवारों का नामांकन कर परीक्षा कराई गई।
DME ने कमेटी को नहीं दी जानकारी
CBI ने जांच में पाया कि 2009 से 2012 तक के एडमिशन संबंधी जानकारी DME से मांगी गई, लेकिन DME ने एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी को डाटा इंफोर्मेशन उपलब्ध नहीं कराई। CBI ने कहा कि DME द्वारा AFRC को जानकारी उपलब्ध नहीं कराना अपने आप में संदिग्ध है।
जानबूझकर खाली रखीं फिर अपनी पसंद के 196 उम्मीदवारों को एडमिशन दिए
CBI ने चीफ सेक्रेटरी को बताया कि जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि DME द्वारा रेफर किए गए उम्मीदवारों में से अंतिम रूप में 171 ने दाखिला लिया। इसमें चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 21, पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर में 15, एलएन मेडिकल कॉलेज में 21, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में 6, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 56, श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज एंड पीजी इंस्टीट्यूट में 52 एडमिशन हुए। कॉलेजों द्वारा स्टेट कोटे की 378 में से 207 सीट जानबूझकर खाली रखी गईं।
इन 207 उम्मीदवारों को जो सीट अलॉट की गई थी, उस पर उनके द्वारा पहली, दूसरी, तीसरी और चौथे राउंड की काउंसलिंग में से किसी भी काउंसलिंग में एडमिशन नहीं लिया और यह सीट खाली रहीं। इन 207 सीट खाली रहने की सूचना मेडिकल कॉलेजों द्वारा DME को नहीं दी गई। इसके बाद एडमिशन प्रक्रिया का उल्लंघन कर कॉलेजों ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को एडमिशन देकर अंतिम तारीख में 196 सीट भर दी।
हमने कॉलेजों पर लगाया था जुर्माना
AFRC के तत्कालीन चेयरमैन प्रो. टीआर थापक का कहना है कि जब यह गड़बड़ी हुई तो मैं विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति था। AFRC में बाद में चेयरमैन बना। चेयरमैन बनने के बाद स्टेट कोटे की सीट पर मनमर्जी से एडमिशन देने के मामले में हमने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर जुर्माने की कार्रवाई की थी। इस दौरान RGPV के वर्तमान कुलपति प्रो. सुनील कुमार AFRC के OSD थे। आप उनसे भी पूछ सकते हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग भी खंगाल रहा अधिकारियों का रिकॉर्ड
सीबीआई ने 22 जुलाई 2021 को चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा। इस पत्र के आधार पर तकनीकी शिक्षा विभाग और एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी से पत्राचार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार तकनीकी शिक्षा विभाग द्वार एएफआरसी को चार बार पत्र भेजकर मामले स संबंधित जानकारी मांगी गई। पहला पत्र अगस्त 2021 में, दूसरा पत्र 16 सितंबर 2021 को, तीसरा पत्र 24 सितंबर 2021 और चौथा पत्र 29 सितंबर 2021 को लिखकर वर्ष 2012, 2013 और 2014 में कार्यरत कमेटी और यहां कार्यरत अधिकारियों की वर्षवार जानकारी मांगी है। एएफआरसी सचिवालय द्वारा विभाग को भी जानकारी भेज दी है। लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।