आनुवंशिक कोड यानी दो एक्स क्रोमोसोम बनाम एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम का साधारण-सा फर्क हृदय रोग में बड़े अंतर का कारण बन सकता है। शोध से पता चला है कि सिर्फ जननांगों और जन्म के वक्त निर्धारित लिंग से कहीं ज्यादा आनुवंशिक फर्क हृदय रोग को प्रभावित करते हैं और मूल रूप से हृदय रोग विकसित होने के तरीके को बदल देते हैं।
लिंग हृदय रोग के विकास तंत्र को प्रभावित करता है, जबकि लैंगिकता की भूमिका इस बात में है कि स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता इसे कैसे पहचानते और प्रबंधित करते हैं। लिंग शब्द जैविक विशेषताओं जैसे आनुवंशिकता, हार्मोन, शरीर रचना आदि को बताता है, जबकि लैंगिकता शब्द सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक संदर्भों को।
शोध से पता चलता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दिल का दौरा पहले पड़ने या स्ट्रोक के बाद मरने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा, महिलाओं में छाती में दर्द के अलावा भी दिल को दौरे के दूसरे लक्षण पाए जाने की आशंका ज्यादा रहती है, जैसे- मतली आना, जबड़े में दर्द, चक्कर आना और थकान।
अध्ययन बताता है कि जिन महिलाओं ने रजोनिवृत्ति में प्रवेश नहीं किया है, उनमें पुरुषों की तुलना में हृदय रोग का खतरा कम होता है, जबकि रजोनिवृत्ति के बाद उनके हृदय संबंधी जोखिम तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा, यदि किसी महिला को टाइप-2 मधुमेह है, तो उसे दिल का दौरा पड़ने का खतरा पुरुषों के बराबर हो जाता है, भले ही वह तब तक रजोनिवृत्ति से नहीं गुजरी हो। लेकिन मुख्य बात यह है कि दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग के दूसरे रूप सेक्स या जेंडर की परवाह किए बिना सभी लोगों की मृत्यु का प्रमुख कारण होते हैं।
हमने महिलाओं और पुरुषों में हृदय रोग के विकसित होने और अलग-अलग तरीके से प्रकट होने के तरीकों का अध्ययन किया है। हृदय रोग में लिंग और लैंगिक भेद के पीछे के कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं। शोधकर्ता यह जानते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए हृदय की अच्छी देखभाल कैसी होनी चाहिए, लेकिन इससे संबंधित साक्ष्यों में काफी खामियां हैं।
साथ में जूडिथ रेगेनस्टीनर (द कन्वर्सेशन से)