क्या इस साल 7 फीसदी से ज्यादा रहेगी भारत की ग्रोथ ?

क्या इस साल 7 फीसदी से ज्यादा रहेगी भारत की ग्रोथ, लंदन से आई ये रिपोर्ट?

हाल के दिनों में जो आर्थिक आंकड़ें सामने आए हैं, वो ग्रोथ में नरमी का संकेत दे रहे हैं. मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई सितंबर में गिरकर 56.5 पर आ गया, जबकि सर्विस पीएमआई जनवरी 2024 के बाद पहली बार 60 से नीचे देखने को मिला, जो उत्पादन और नए ऑर्डर में मंदी का संकेत है.

क्या इस साल 7 फीसदी से ज्यादा रहेगी भारत की ग्रोथ, लंदन से आई ये रिपोर्ट?

भारतीय अर्थव्यवस्था

बीते कुछ बरस से भारत की इकोनॉमी के चक्के तेजी के साथ घूम रहे हैं. हर साल देश की जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 7 फीसदी से ऊपर ही नहीं है, बल्कि दुनिया में तमाम देशों के मुकाबले सबसे बेहतर भी है. उसके बाद भी मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. आईएमएफ से लेकर वर्ल्ड बैंक और तमाम रेटिंग एजेंसी देश की ग्रोथ का आउटलुक 7 फीसदी या उससे ऊपर ही बता रहे हैं, लेकिन क्या वाकई ऐसा हो सकेगा? इस बात पर भी शंका देखने को मिल रही है.

जिसका प्रमुख कारण देश में महंगाई के आंकड़ें और कम होता सरकारी खर्च बताया जा रहा है. ब्रिटेन की बड़ी कंपनियों में शुमार अर्न्स्ट एंड यंग यानी ईवाई की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगर चाहता है कि उसकी ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष में 7 फीसदी या ऊपर रहे तो ये दो बातों पर डिपेंड करेगी पहला सरकारी निवेश मजबूत बना रहे और दूसरा महंगाई पर कंट्रोल रहे. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट में किस तरह की बातें कहीं गई हैं?

क्या कहती है ईवाई की रिपोर्ट

अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी ग्रोथ को 7 फीसदी से अधिक रखने के लिए सरकारी निवेश और महंगाई को कंट्रोल में रखने की जरुरत होगी. ईवाई के अनुसार हाल में जो रिपोर्ट सामने आई हैं, उसमें भारत की ग्रोथ को लेकर जो आउटलुक है वो काफी मिक्स्ड है. वहीं दूसरी ओर बढ़ती महंगाई के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मॉनेटरी पॉलिसी पर सतर्क रुख बनाए रखा है.

लगातार बढ़ रही है महंगाई

सितंबर 2024 में, सीपीआई महंगाई 5.5 फीसदी देखने को मिली थी, जिससे वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही के लिए औसत महंगाई बढ़कर 4.2 फीसदी हो गई, जो आरबीआई के अपेक्षित लक्ष्य 4.1 फीसदी से थोड़ा अधिक है. तीसरी तिमाही के अनुमानों से पता चलता है कि सीपीआई महंगाई 4.8 फीसदी तक बढ़ सकती है, जिससे संभावित रूप से आरबीआई द्वारा ब्याज दर में कटौती में देरी हो सकती है, खासकर जब महंगाई एवरेज टारगेट से ज्यादा है.

अपनी अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी समीक्षा के दौरान, आरबीआई ने अपने रेपो रेट को लगातार 10वीं बार फ्रीज करके रखा था. जबकि सितंबर के महीने में अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी. इसके बावजूद, आरबीआई वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ को लेकर काफी आशावादी बना हुआ है, और अनुमानित मजबूत पर्सनल कंजंप्शन और इंवेस्टमेंट ग्रोथ के कारण 7.2 फीसदी की दर का अनुमान लगाया है.

रेवेन्यू में गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ी बात तो ये है कि हाल के दिनों में सरकारी निवेश में काफी कमी देखने को मिली है. जोकि 19.5 फीसदी के करीब है. ये सरकारी खर्च देश की ग्रोथ को आगे बढ़ाने में काफी अहम माना जाता है. वहीं दूसरी ओर मौजूदा वित्त वर्ष के बाकी बचे दिनों के लिए पर्सनल इनकम टैक्स रेवेन्यू में इजाफा देखने को मिल रहा है, जिसकी ग्रोथ 25.5 फीसदी है. वहीं कॉरपोरेट टैक्स रेवेन्यू में 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. जोकि सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. जिसकी वजह से सरकार को कैपिटल एक्सपेंडिचर में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.

आर्थिक आंकड़ें बेहतर नहीं

हाल के दिनों में जो आर्थिक आंकड़ें सामने आए हैं, वो ग्रोथ में नरमी का संकेत दे रहे हैं. मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई सितंबर में गिरकर 56.5 पर आ गया, जबकि सर्विस पीएमआई जनवरी 2024 के बाद पहली बार 60 से नीचे देखने को मिला, जो उत्पादन और नए ऑर्डर में मंदी का संकेत है. इसके अलावा, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर 2022 के बाद पहली बार कम हुआ है, जो व्यापक आर्थिक चुनौतियों को दर्शाता है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने हाल ही में भारत की ग्रोथ का अनुमान 7 फीसदी रखा है, जोकि पिछले वित्त वर्ष 8.2 फीसदी के मुकाबले में कम है. वित्त वर्ष 2026 में ग्रोथ का अनुमान 6.5 फीसदी है. इस मंदी के लिए दबी हुई मांग को जिम्मेदार ठहराया है.

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