2020 की हार के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कैसे की वापसी ?
2020 की हार के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कैसे की वापसी, 2024 की यह जीत ऐतिहासिक क्यों?
आइये जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप की यह जीत क्यों ऐतिहासिक है? ट्रंप ने कैसे 2020 में हारने के बाद यह चुनाव जीता? उनकी जीत के कारण क्या हैं? किन मुद्दों पर ट्रंप कमला हैरिस से आगे निकल गए?
2016 में अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने ट्रंप 2020 के चुनाव में हार गए। ट्रंप से पहले बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश और बराक ओबामा तीनों ने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए थे। अमेरिका में ट्रंप से पहले 21 राष्ट्रपति ऐसे रहे जिन्होंने दो बार देश के सर्वोच्च पद का चुनाव जीता। इनमें से सिर्फ एक राष्ट्रपति ऐसे थे जो पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद अगले चुनाव में हार गए। चार साल बाद तीसरी बार चुनाव लड़ा और जीतकर दूसरी बार राष्ट्रपति बने। ट्रंप से पहले ऐसा करने वाले इकलौते राष्ट्रपति का नाम ग्रोवर क्लीवलैंड था। कीवललैंड एक चुनाव हारने के बाद 1892 में दोबारा राष्ट्रपति चुने गए थे। यानी अमेरिका के इतिहास में 132 साल पहली बार पूर्व राष्ट्रपति एक चुनाव हारने के बाद दूसरे चुनाव में निर्वाचित हुआ है।
ट्रंप ने उपराष्ट्रपति हैरिस को एक ऐसे चुनाव में हराया, जिसमें कई अप्रत्याशित घटनाक्रम देखने को मिले। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप से जुड़ा एक आपराधिक मुकदमा, पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ दो हत्या की नाकाम कोशिशें और राष्ट्रपति बाइडन के दौड़ से बाहर होने के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी में उम्मीदवार का बदलाव।
ट्रंप और कमला हैरिस के बीच तक लगभग 100 दिनों तक चुनाव प्रचार चला और आखिरकार रिपब्लिकन नेता ने व्हाइट हाउस पहुंचने के लिए जरूरी 270 इलेक्टोरल वोट हासिल किए। सात प्रमुख स्विंग राज्यों में मतदान में दोनों उम्मीदवारों के बीच चुनाव के दिन तक बहुत कम अंतर दिखाया गया।
पूर्व राष्ट्रपति ने अंततः बड़ी जीत हासिल की और जॉर्जिया को फिर से अपने पाले में ला लिया। उत्तरी कैरोलिना में डेमोक्रेटिक पार्टी की ‘नीली दीवार’ को तोड़कर वहां भी सफलता दर्ज की। अनुमान लगाया गया था ट्रंप जनता द्वारा दिए गए ‘लोकप्रिय वोट’ जीतेंगे जो वे 2016 में करने में असफल रहे और रिपब्लिकन ने 1992 के बाद से केवल एक बार ऐसा किया है। ये अनुमान भी सही निकला।
अमेरिका में 7 स्विंग स्टेट हैं। ये राज्य ही अमेरिका चुनाव में जीत हार तय करते हैं। दरअसल, जहां अमेरिका के ज्यादातर राज्य पार्टियों के पारंपरिक समर्थन को ही तवज्जो देते हैं, वहीं इन स्विंग स्टेट्स में पार्टियों का समर्थन बदलता रहता है। ऐसे में जो भी उम्मीदवार इन स्विंग स्टेट्स को अपनी तरफ कर लेता है, वह चुनाव में विजेता के तौर पर उभरता है। इसीलिए स्विंग स्टेट्स को राष्ट्रपति उम्मीदवार का भाग्य तय करने वाला माना जाता है।
इन 7 राज्यों में पेंसिलवेनिया, उत्तरी कैरोलिना, जॉर्जिया, मिशिगन, एरिजोना, विस्कॉन्सिन, नेवाडा शामिल हैं। 2020 में इन सात में से छह राज्यों में जो बाइडन को जीत मिली थी। ट्रंप सिर्फ उत्तरी कैरोलिना में जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। इस बार ये सभी राज्य रिपब्लिकन पार्टी के लाल रंग में रंगते दिख रहे हैं। तीन राज्यों पेंसिलवेनिया, उत्तरी कैरोलिना और जॉर्जिया में ट्रंप जीत दर्ज कर चुके हैं। वहीं, बाकी चार राज्यों में बढ़त बनाए हुए हैं।
पूर्व राष्ट्रपति और उनके साथी सीनेटर जेडी वेंस (उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार) ने महंगाई, दक्षिणी सीमा पर लगातार प्रवासियों की बढ़ती संख्या और बाइडन प्रशासन के दौरान विदेशों में अस्थिरता के कारण मतदाताओं के असंतोष का फायदा उठाया और मतदाताओं को अपनी नीतियों की ओर लौटने में कामयाब दिखे।
चुनाव से पहले हुए तमाम सर्वे में अमेरिकियों के लिए अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी चिंता के रूप में सामने आई। यही कारण है कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही प्रचार के अंतिम दिनों में मतदाताओं को यह विश्वास दिलाने की पुरजोर कोशिश कि वे बेहतर ढंग से अर्थव्यवस्था के मुद्दे को हल कर सकते हैं।
ट्रंप उपराष्ट्रपति हैरिस को राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल के दौरान हुए कामों के साथ जोड़ने में सफल रहे। उन्होंने लगातार मतदाताओं के सामने देश की मौजूदा स्थिति को नकारात्मक और राष्ट्रपति के रूप में अपने दिनों को बेहतर बताया। अब नतीजों से संकेत मिलता है कि ट्रंप की इन बातों ने मतदाताओं को उनकी ओर आकर्षित किया।
चुनाव के दौरान हुए सर्वे में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मतदाताओं की बेचैनी सामने आई। अक्तूबर में न्यूयॉर्क टाइम्स/सिएना कॉलेज के सर्वेक्षण में 75 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है। एबीसी/इप्सोस पोल में 74 फीसदी मतदाताओं को ऐसा लगा कि देश गलत दिशा में जा रहा है। 1980 के बाद से इतना बड़ा आंकड़ा काफी निर्णायक माना गया।
2024 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की जीत की एक बड़ी वजह उसका पॉपुलर यानी लोकप्रिय वोट जीतना भी रहा। दरअसल, 2004 में जॉर्ज बुश के बाद से ही रिपब्लिकन पार्टी में किसी को लोकप्रिय वोटिंग में बढ़त नहीं मिली थी। उन्हें 6,20,40,610 वोट मिले थे, जबकि जॉन केरी को 5,90,28,444 पॉपुलर वोट मिले थे। इसके जरिए जॉर्ज बुश इलेक्टोरल कॉलेज में 286 इलेक्टोरल वोट जीतने में सफल रहे। दूसरी तरफ इस चुनाव में केरी सिर्फ 251 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीत पाए थे।
हालांकि, 2008 और 2012 में बराक ओबामा ने 50 फीसदी से ज्यादा पॉपुलर वोट हासिल किए और अपनी जीत सुनिश्चित की। लोकप्रिय वोट न जीत पाने का एक उदाहरण 2016 में ट्रंप ही रहे, जब वह राष्ट्रपति बने, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी पॉपुलर वोट के मामले में डेमोक्रेट पार्टी की हिलेरी क्लिंटन से पिछड़ गई थीं। हिलेरी को इस चुनाव में 48.2 फीसदी पॉपुलर वोट मिले थे, जबकि ट्रंप को 46.1 फीसदी लोकप्रिय मत हासिल हुए थे। हालांकि, अलग सिस्टम की वजह से ट्रंप 304 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करने में सफल हुए थे।
2020 में भी लोकप्रिय वोट्स के मामले में जो बाइडन आगे निकल गए। लोगों की लोकप्रिय पसंद होने की वजह से वह इलेक्टोरल कॉलेज में भी आसानी से ट्रंप से आगे निकल गए और 306 इलेक्टोरल वोट्स हासिल करने में सफल हुए। जहां बाइडन ने इस चुनाव में 51.3 फीसदी यानी 8,12,83,501 पॉपुलर वोट हासिल किए, वहीं ट्रंप 7,42,23,975 लोकप्रिय मत ही हासिल कर पाए और अहम जंग में बाइडन से पिछड़ गए।