क्या होता है न्यूक्लियर फूटबॉल?
क्या होता है न्यूक्लियर फूटबॉल? राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप के हाथ लगेगा सबसे खतरनाक ‘हथियार’
अमेरिका में ऐसी परंपरा रही है कि जब नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण हो जाता तो उन्हें पूर्व राष्ट्रपति एक ब्लैक ब्रीफकेस सौंपते हैं. मामूली सा दिखने वाले इस ब्रीफकेस को अमेरिका में न्यूक्लियर फुटबॉल के नाम से जाना जाता है. इस बैग के मिलते ही अमेरिका के राष्ट्रपति को न्यूक्लियर बम कंट्रोल करने की ताकत भी मिल जाती है.
ये बात 2018 की है. जब अमेरिका के सबसे ताकतवर पद यानी राष्ट्रपति की जिम्मेदारी डोनाल्ड ट्रंप संभाल रहे थे. उस वक्त ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उंग के बीच जुबानी-जंग शुरू हुई. किम जोंग ने नए साल पर देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि उनके ऑफिस की टेबल पर न्यूक्लियर बटन है और पूरा अमेरिका हमारी न्यूक्लियर मिसाइलों की जद में है.
फिर ट्रंप ने भी अपने अंदाज में किम जोंग उन को जवाब दिया. उन्होंने कहा मेरे पास भी न्यूक्लियर बटन है, जो किम के बटन से ज्यादा बड़ा और शक्तिशाली है. सबसे बड़ी बात कि मेरा बटन काम भी करता है. तो ट्रंप जिस न्यूक्लियर बटन की बात करे रहे थे वो दरअसल में बटन जैसा तो कुछ नहीं है बल्कि काले रंग के चमड़े का ब्रीफकेस होता है.
जिसे न्यूक्लियर फूटबॉल के नाम से जाना जाता है. दिखता तो ये बैग साधारण सा है लेकिन इस बैग में न्यूक्लियर वॉर का पूरा खाका होता है. यानी दुनिया को तबाह करने की ताकत नए राष्ट्रपति के पास आ जाती है. ट्रंप चूंकि अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं तो उन्हें ये ब्रीफकेस शपथ ग्रहण के दिन दोबारा सौंपा जाएगा. ये कई दशको से अमेरिका में परंपरा रही है.
आइए जानते हैं इस न्यूक्लियर फुटबॉल के बारे में, इसमें क्या क्या होता है, अमेरिकी राष्ट्रपति क्या किसी खतरे के बिना अपनी ओर से परमाणु मिसाइल लॉन्च करने का आदेश दे सकता है?
बैग में क्या-क्या होता है?काले रंग के चमड़े के इस ब्रीफकेस के अंदर ऐसे चार उपकरण है जिसमें न्यूक्लियर वॉर का प्लान होता है. इसमें परमाणु हमले के लिए कोड होते हैं. जो किसी भी आपातकाल की स्थिति में अमेरिकी राष्ट्रपति को परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का आदेश दे सकता है.
-इस बैग में एक ‘ब्लैक बुक’ जिसमें अमेरीका पर परमाणु हमला हो जाने की स्थिति में जवाबी हमला करने का तरीका लिखा होता है.
-दूसरी एक और किताब होती है जिसमें खुफिया ठिकानों की जानकारी होती है.
-तीसरा एक फोल्डर होता है जिसमें एमरजेंसी ब्रॉडकास्ट सिस्टम से जुड़ी जानकारी से जुड़े कुछ कागज होते हैं.
-चौथा एक कार्ड होता है जिसपर ऑथेंटिकेशन कोड लिखे रहते हैं. इसे बिस्किट कहते हैं. राष्ट्रपति को हमेशा ये कार्ड अपने साथ रखना होता है.
अमेरिका में चूंकि मिसाइल लॉन्च करने की प्रक्रिया की शुरूआत पेंटागन वॉर रूम से होती है. मगर इसके लिए वॉर रूम को राष्ट्रपति के आदेश की जरूरत होती है. और राष्ट्रपति का आदेश भी तब माना जाता है जब वो मिसाइल लॉन्च ऑफिसर को अपनी एक खास पहचान बताते हैं और ये पहचान इसी बिस्कुटनुमा प्लास्टिक कार्ड में ही होती है.
न्यूक्लियर फुटबॉल नाम कैसे पड़ा?शुरुआत में राष्ट्रपति के एक इमरजेंसी बैग या ब्लैक बैग हुआ करता था. 1950 के दशक के आखिरी सालों में अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर और उनके सलाहकार ने अमेरिका पर अचानक परमाणु हमला होने की स्थिति से निपटने के लिए प्लान बनाया.
इसके बाद से राष्ट्रपति के सैन्य सहयोगियों ने दस्तावेजों का एक बैग साथ रखना शुरू किया जिसकी मदद से वो पेंटागन के साथ न्यूक्लियर हथियारों और हमलों से जुड़ी बातचीत कर पाए. फिर आइजनहावर ने वो बैग अपने उत्तराधिकारी जॉन एफ कैनेडी को सौंप दिया. 1960 के दशक की शुरुआत में इसे फुटबॉल के तौर पर जाना जाने लगा. शायद इसलिए क्योंकि कैनेडी के परिवार को टच फुटबॉल पसंद था.
तो क्या बिना खतरे के भी आदेश दिया जा सकता हैरिपोर्ट्स की मानें तो अगर बिना किसी खतरे के भी राष्ट्रपति न्यूक्लियर अटैक करने का आदेश देते है तो ऐसी सूरत में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख इस आदेश को मानने से इनकार कर सकते हैं. मगर इसकी उम्मीद काफी कम ही है क्योंकि राष्ट्रपति के अंडर काम करने वाले लोगों को आदेश मानने की ट्रेनिंग दी जाती है. इसलिए अगर कोई राष्ट्रपति अपनी तरफ से परमाणु मिसाइल लॉन्च करने का आदेश देता है, तो उसे रोक पाना एकतरह से मुश्किल ही है.
एक और बात किसी भी एमरजेंसी की स्थिति में अमेरिका में न्यूक्लियर कोड के 4 ब्लैक ब्रीफकेस पहले से ही तैयार रखे गए है. ताकि किसी आपात समय में परमाणु हमले का आदेश दिया जा सके. एक कंट्रोल तो राष्ट्रपति के पास ही रहता है. दूसरे की जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति के पास होती है. बाकी के दो अन्य फुटबॉल स्टैंडबाई में रखे होते हैं.
पहली बार जब नए प्रेसिडेंट को नहीं सौंपा गया बैगजब 2021 की जनवरी में जो बाइडेन का शपथ ग्रहण होना था तब डोनाल्ड ट्रम्प इस समारोह में शामिल नहीं हुए थे. ट्रंप के इस ऐलान को देश की लोकतांत्रिक परंपरा को तोड़ने वाला बताया गया था. ट्रंप के नहीं जाने से अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा था जब किसी पूर्व राष्ट्रपति ने नए राष्ट्रपति को न्यूक्लियर लॉन्च कोड ट्रांसफर नहीं किया.
दरअसल ट्रंप पहले ही ऐलान कर चुके थे कि वो समारोह में शामिल नहीं होंगे. उस दिन वो व्हाइट हाउस से फ्लोरिडा के लिए रवाना हो गए. उनके साथ न्यूक्लियर फुटबॉल भी फ्लोरिडा चला गया. लेकिन, इसमें रखे न्यूक्लियर लॉन्च कोड बाइडेन के शपथ लेने के साथ ही डेड यानी एक्सपायर हो गए. फिर जाकर बाइडेन के लिए वॉशिंगटन डीसी के कैपिटल से न्यूक्लियर फुटबॉल और न्यूक्लियर लॉन्च कोड का दूसरा सेट आया जिसे अमेरिकी सेना के कमांडर इन चीफ ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को ट्रांसफर किया.