साइबर फ्रॉड की शिकार महिला ने ठगों से किया समझौता … निरस्त की FIR. ?

साइबर फ्रॉड की शिकार महिला ने ठगों से किया समझौता, MP High Court ने निरस्त की FIR

ग्वालियर में 71 वर्षीय आशा भटनागर ने डिजिटल अरेस्ट मामले में ठगों से समझौता किया, जिसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एफआइआर निरस्त कर दी। ठगों ने 51 लाख रुपये वापस किए और महिला ने स्वास्थ्य कारणों से कोर्ट आने में असमर्थता जताई।

Digital Arrest: साइबर फ्रॉड की शिकार महिला ने ठगों से किया समझौता, MP High Court ने निरस्त की FIRविधि विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर धोखाधड़ी जैसे अपराधों में समझौता नहीं होना चाहिए….
  1. डिजिटल अरेस्ट पीड़िता ने ठगों से कर लिए समझौता
  2. ठगों ने महिला से ट्रांसफर करा लिए थे 51 लाख रुपये
  3. साइबर ठगी जैसे अपराध समझौता योग्य नहीं; विशेषज्ञ

ग्वालियर : मध्य प्रदेश के ग्वालियर में डिजिटल अरेस्ट के मामले में पीड़िता 71 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक आशा भटनागर ने ठगों के साथ समझौता कर लिया है। इस आधार पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हाल ही में उस केस की एफआइआर निरस्त कर दी। महिला ने हाई कोर्ट में कह दिया कि ठगों ने उनका पैसा वापस कर दिया है, इसलिए वह समझौता करना चाहती हैं।

स्वास्थ्य का हवाला दिया

स्वास्थ्य का हवाला देते हुए आशा भटनागर ने कहा कि उन्हें हृदय की बीमारी है और वह बार-बार कोर्ट नहीं आ सकतीं। पीड़िता के समझौता करने के बाद हाई कोर्ट की ओर से एफआइआर निरस्त होने से आरोपितों पर लगे आरोपों को खत्म हो गए हैं। हालांकि ऐसे अपराध को ‘समाज के विरुद्ध अपराध’ की श्रेणी में रखा जाता है।

51 लाख रुपये ठगे थे

उल्लेखनीय है कि आशा भटनागर को गत 14 मार्च को डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने उनसे 51 लाख रुपये अपने दो खातों में ट्रांसफर करवा लिए थे। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपित बनाया था। हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और विधि विशेषज्ञ भी साइबर धोखाधड़ी के मामले में समझौता किए जाने की संभावना को नकारते हैं।

संगीन और समाज के विरुद्ध अपराधविधि विशेषज्ञों के अनुसार, कोर्ट में आने वाले कई मामले ऐसे होते हैं, जिन्हें दोनों पक्षों के बीच समझौते के आधार पर खत्म कर दिया जाता है, लेकिन कई ऐसे संगीन और समाज के विरुद्ध अपराध होते हैं, जिनमें समझौते की गुंजाइश नहीं होती है। खासतौर पर दुष्कर्म, हत्या, डकैती, साइबर धोखाधड़ी और डिजिटल अरेस्ट सहित ऐसे मामले जिनमें समाज पर बुरा असर पड़ता है।

यह था मामलासेवानिवृत्त शिक्षक आशा भटनागर को 14 मार्च 2024 को ठगों ने मुंबई पुलिस का फर्जी अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट किया था। झूठा मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी देकर उनसे 51 लाख रुपये ऐंठ लिए। महिला ने बैंक जाकर अपनी एफडी तोड़कर आरोपित ठग मीर मुदस्सिर के खाते में 46 लाख रुपये और दूसरे आरोपित अक्षय बागड़िया के खाते में पांच लाख रुपये भेजे।

आशा को जब समझ में आया कि उसके साथ ठगी हुई है तो उन्होंने ग्वालियर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया। निचली अदालत में चालान पेश हुआ, आरोपित जेल भी गए। इस बीच आरोपितों ने मप्र हाई कोर्ट में याचिका लगाकर पीड़िता से समझौता होने की जानकारी दी।

हाई कोर्ट ने समझौते के आधार पर एफआइआर रद कर उन्हें आरोप मुक्त कर दिया है। समझौता पत्र में आरोपित मणिशंकर, सुनील, कुणाल जैसवाल, कांजी, अक्षय बागड़िया, कुणाल कोश्ती, विकास विश्नोई, सोहेल पाखरी, ध्रुव कुमार और बंटी के नाम हैं। हालांकि एक आरोपित मीर मुदस्सिर से समझौते का उल्लेख नहीं है।

ऐसे चला केसमामले में 21 जून तक 11 आरोपित को पकड़कर पुलिस ने यह केस ग्वालियर के जिला एवं सत्र न्यायालय में 9 अगस्त 2024 को दाखिल किया। इसी बीच आरोपितों की ओर 14 अक्टूबर को हाई कोट में एफआइआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की।

इसमें सात नवंबर को हुई सुनवाई में आरोपितों के वकील अरुण पटैरिया ने कहा, शिकायतकर्ता ने इस मामले में राजीनामा कर लिया है। अत: एफआइआर निरस्त कर दी जाए। बता दें फरियादिया की शिकायत पर पुलिस ने आइपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 384 और आइटी एक्ट के सेक्शन 66(डी) में केस दर्ज किया था।

इस मामले में शिकायतकर्ता ने ही राजीनामा कर लिया है, इस आधार पर उच्च न्यायालय ने एफआइआर को निरस्त कर दिया है। -अरुण कुमार पटेरिया, आरोपित के अधिवक्ता

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