कैसे बनती है अमेरिकी राष्ट्रपति की कैबिनेट, क्या गैर-अमेरिकी को मिलती है उसमें जगह?

कैसे बनती है अमेरिकी राष्ट्रपति की कैबिनेट, क्या गैर-अमेरिकी को मिलती है उसमें जगह?

Donald Trump Cabinet: अमेरिकी में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सरकार का स्वरूप तय कर रहे हैं. उन्होंने भारतवंशी विवेक रामास्वामी को टेस्ला के CEO एलन मस्क के साथ डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) का दायित्व सौंपा है. भारतवंशी तुलसी गबार्ड को नई राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के पद पर नियुक्त किया है. जानिए कैसी बनती है अमेरिका की कैबिनेट, इसमें कितने डिपार्टमेंट होते हैं और क्या हैं इससे जुड़े कायदे-कानून.

कैसे बनती है अमेरिकी राष्ट्रपति की कैबिनेट, क्या गैर-अमेरिकी को मिलती है उसमें जगह?

अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में भारतवंशियों को भी शामिल किया गया है….

अमेरिकी चुनाव में बाजी मारने के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2025 को होने वाले शपथ ग्रहण की तैयारियों में जुट गए हैं. इसके लिए वह अपनी सरकार का स्वरूप तय कर रहे हैं और अलग-अलग विभागों के अहम पदों पर नियुक्तियां कर रहे हैं. इसके तहत उन्होंने भारतवंशी विवेक रामास्वामी को टेस्ला के CEO एलन मस्क के साथ डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) का दायित्व सौंपा है. इनके अलावा भारतवंशी तुलसी गबार्ड को नई राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के पद पर नियुक्त किया है. इस तरह से धीरे-धीरे वह अपनी कैबिनेट तैयार कर रहे हैं.

अमेरिकी कैबिनेट में ये होते हैं शामिलअमेरिका में राष्ट्रपति विधायिका का प्रमुख होता है. वह केंद्र सरकार का अगुवा और अमेरिकी सेनाओं के चीफ कमांडर की भी भूमिका निभाता है. इसके बाद उपराष्ट्रपति का पद होता है, जो राष्ट्रपति का सपोर्ट करता है. अगर राष्ट्रपति अपनी भूमिका नहीं निभा पाते तो उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की भूमिका सौंप दी जाती है. इसके बाद कैबिनेट के सदस्य होते हैं. इनमें उपराष्ट्रपति, प्रमुख विभागों के मुखिया और दूसरे उच्च पदस्थ अफसर शामिल होते हैं.

भारत की तरह संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में स्पष्ट तौर पर कैबिनेट की कोई व्यवस्था नहीं है. कैबिनेट की भूमिका में प्रमुख विभागों के मुखिया राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में निभाते हैं. इस कैबिनेट में शामिल प्रमुख विभागों के मुखिया के बहुमत से उपराष्ट्रपति के पास यह अधिकार होता है कि वह यह घोषित कर सके कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों और कर्तव्यों के निर्वहन में सक्षम नहीं हैं.

Donald Trump

डोनाल्ड ट्रंप. (फाइल फोटो)

राष्ट्रपति तय करते हैं विभाग प्रमुख के नाम, सीनेट की मंजूरी जरूरीइन सभी विभागों के प्रमुखों और दूसरी अन्य केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के नाम राष्ट्रपति तय करते हैं. इसके बाद इनको सीनेट के सामने मंजूरी के लिए रखा जाता है. अगर सीनेट साधारण बहुमत से इन नामों को मंजूरी दे देती है तो संवंधित लोग नियुक्त कर दिए जाते हैं. पहले ये लोग शपथ ग्रहण करते हैं और फिर अपना-अपना कामकाज संभाल लेते हैं. अगर सीनेट का सत्र नहीं चल रहा होता है तो राष्ट्रपति विभागों के कार्यकारी प्रमुख नियुक्त करते हैं. अपने कार्यकाल की शुरुआत में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ऐसा ही करते हैं. हालांकि, उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है, इसलिए उनकी नियुक्ति के लिए सीनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे ही व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ की नियुक्ति के लिए भी सीनेट की मंजूरी जरूरी नहीं होती.

सवाल उठता है कि क्या कैबिनेट में गैर-अमेरिकियों को जगह मिलती है. इसका जवाब है, न. कैबिनेट का हिस्सा बनने के लिए उस शख्स को अमेरिका का नागरिक होना अनिवार्य है.

यूएस की कैबिनेट में 26 सदस्य होतेअमेरिकी कैबिनेट के पास सामूहिक रूप से कोई शक्ति नहीं होती है. वे केवल राष्ट्रपति को सलाह देते हैं और अपने-अपने विभागों से जुड़े फैसले ले सकते हैं. अमेरिकी कैबिनेट में 26 सदस्य होते हैं, जिनमें उपराष्ट्रपति, 15 विभागों के मुखिया और 10 कैबिनेट स्तर के अफसर शामिल होते हैं. कैबिनेट की बैठक के दौरान सभी विभागों के मुखिया अपने विभाग के गठन के आधार पर बैठते हैं. यानी जिस विभाग का गठन सबसे पहले हुआ है, उसका मुखिया राष्ट्रपति के सबसे करीब बैठता है. जो विभाग एकदम नया होता है, उसका मुखिया राष्ट्रपति से सबसे ज्यादा दूर होता है.

राष्ट्रपति की इच्छा पर करते हैं कामकैबिनेट के ये सभी सदस्य राष्ट्रपति की इच्छा पर ही कार्य करते हैं. उपराष्ट्रपति को छोड़कर राष्ट्रपति इन्हें किसी भी समय सीनेट की मंजूरी के बिना पद से हटा सकते हैं. आमतौर पर राष्ट्रपति विभागों के प्रमुखों यानी कैबिनेट के सदस्यों को अपने-अपने विभागों के बारे में फैसले लेने का अधिकार देते हैं और कई बार कानूनी रूप से कैबिनेट के सदस्य राष्ट्रपति की अनिच्छा के बावजूद अपने विभाग से जुड़े फैसले ले सकते हैं. हालांकि, आमतौर पर ऐसा नहीं होता क्योंकि राष्ट्रपति के पास उनको हटाने का अधिकार होता है और यह डर हमेशा बना रहता है.

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वाइट हाउस. फोटो: Getty Images

राष्ट्रपति बैठक की अध्यक्षता करते पर कैबिनेट के सदस्य नहीं होतेअमेरिका में दूसरे सभी अफसरों के समान ही कैबिनेट के सदस्यों के खिलाफ भी घूसखोरी, गलत व्यवहार या दूसरे बड़े अपराध पर हाउस ऑफ रीप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग लाया जा सकता है और सीनेट में ट्रायल चल सकता है. यह जानना सबसे दिलचस्प है कि अमेरिका के राष्ट्रपति की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक व्हाइट हाउस में होती है पर वह औपचारिक तौर पर कैबिनेट के सदस्य नहीं होते. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कैबिनेट के लिए कई नामों की घोषणा कर दी है. इनकी सूची नीचे दी गई है.

ये हैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के घोषित कैबिनेट सदस्य

नाम पद
विवेक रामास्वामी-एलन मस्क डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी
सूसन विल्स व्हाइट हाउस की चीफ ऑफ स्टाफ
पीट हेगसेथ रक्षा मंत्री
जॉन रैटक्लिफ सीआईए चीफ
क्रिस्टी नोएम होमलैंड सुरक्षा मंत्री
स्टीवन सी. विटकॉफ पश्चिम एशिया के विशेष दूत
बिल मैकगिनले व्हाइट हाउस अधिवक्ता
माइक हुकाबी इजरायल के राजदूत
माइक वाल्ट्स राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
टॉम होमन बॉर्डर सुरक्षा
एलिस स्टेफानिक संयुक्त राष्ट्र में राजदूत
स्टीफन मिलर डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ फॉर पॉलिसी
ली जेल्डिन पर्यावरण संरक्षण एजेंसी
1773 में पहली बार दिया गया कैबिनेट नामअमेरिका में साल 1773 में राष्ट्रपति के सलाहकारों को पहली बार कैबिनेट नाम दिया गया. इस कैबिनेट की बैठक नियमित रूप से हफ्ते में एक बार होती है पर इसकी कोई भी बात सार्वजनिक नहीं की जाती है. इसका कोई लिखित विवरण भी नहीं होता है. सिर्फ उन मुद्दों पर चर्चा होती है, जिसके बारे में राष्ट्रपति चर्चा करना जरूरी समझते हैं. इसमें सामान्य तौर पर प्रशासन से जुड़ी नीतिगत बातें या फिर संसद में विचार के लिए रखे जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की जाती है.

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