नोएडा जिला अस्पताल के CMO ऑफिस के तल पर लगे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर ?
…….की पड़ताल: नोएडा जिला अस्पताल के CMO ऑफिस के तल पर लगे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर, Video में खौफनाक सच
झांसी के जिला अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लगने के बाद लगी आग में जलकर 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत होने के बावजूद ऐसी घटना से नोएडा के जिला अस्पताल के प्रशासन से सबक नहीं लिया। अमर उजाला की टीम ने जब नोएडा के जिला अस्पताल के अग्निशमन यंत्रों की स्थिति को लेकर पड़ताल की तो चौंका देने वाले खुलासे हुए। स्थिति इतना खराब है कि अगर झांसी के जिला अस्पताल जैसा हाल हुआ तो आग बुझने वाले एक्सपायर अग्निशमन यंत्र से भला कैसे आग बुझाएंगे और अन्य फ्लोर में आपातकालीन स्थिति में अस्पताल से भागने के लिए बने आपातकालीन सीढ़ियों के रास्ते तक जाने से पहले ही गेट पर जंजीरों से जकड़ी और ताले से बंद पड़े हैं। आखिर इतनी बड़ी लापरवाही के बीच कैसे अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी, यह सबसे बड़ा प्रश्नचिन्ह बन चुका है।
जब अमर उजाला टीम ने नोएडा के सेक्टर 39 स्थित जिला अस्पताल के अग्निशमन उपकरणों की जांच की तो हाल खस्ताहाल निकले। आठ मंजिल के बने इस बड़े जिला अस्पताल में आठवें मंजिल में पूरे गौतमबुद्धनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकतर बड़े स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कार्यालय बना है। उस आठवें मंजिल का आलम ये है वहां पर लगे हर एक अग्निशमन उपकरण एक साल पहले ही एक्सपायर हो गए थे। जिनकी समय सीमा 4 नवंबर 2022 से लेकर 3 नवंबर 2023 तक ही थी, इस तरह के करीब 4 से अधिक अग्निशमन यंत्र एक्सपायर मिले। ठीक उसी के बगल से कुछ यंत्र तो ऐसे भी निकले जिनमें कुछ भी नहीं लिखा था, क्या वह एक्सपायर हुए हैं या नहीं यह भी नहीं पता किया जा सकता, ऐसी स्थित में भला कैसे आग पर काबू पाया जायेगा।
सातवें फ्लोर में कैंटीन, रसोई घर बना है। अगर भविष्य में कैंटीन में किसी भी तरह से आग लगने की घटना सामने आती है तो वहां से जन बचाकर भागने के लिए बने एग्जिट गेट के पास तो फर्नीचर का सामान भरा पड़ा ही है। साथ ही वो जगह जहां पर अग्निशमन यंत्र को प्रयोग किया जाएगा और जहां पर वह स्थापित है, वहां तक पहुंचना भी दुश्वार है, क्योंकि करीब वहां से लेकर संकरी 100 मीटर की गैलरी में फर्नीचर का ही सामान भरा पड़ा है। ऐसे में ये आग बुझाने की समस्या को दूर क्या बल्कि आग को और बढ़ाने में मदद करेंगे।
तीसरे फ्लोर पर स्त्री एवं प्रसूति रोग और बच्चों से संबंधित वार्ड बने हैं। इस फ्लोर पर लगे अग्निशमन यंत्र तो ठीक मिले लेकिन ठीक इनके बगल से बने जीने के रास्ते के गेट पर जंजीर और ताले से बंद मिला। यह रास्ता भी आग लगने की स्थिति में काम आ सकता है, क्योंकि यह फ्लोर के मध्य में बना है, यहां से सीधा नीचे की ओर सीढ़ियों के माध्यम से जाया जा सकता है, पर मजाल है कोई उस पर ध्यान दे, हालांकि जो अन्य आम मार्ग हैं वह संचालित हैं, लेकिन बात उस आपातकालीन स्थिति की जब आग लगने से जैसे घटना हुई तो भला लोग कैसे जिला अस्पताल जान बचाकर भागेंगे ? इसके अलावा वहां पर भी ऐसे अग्निशमन उपकरण दिखाई पड़ा जिसकी जानकारी अस्पष्ट दिखी।
मैने मुख्य अग्निशमन अधिकारी को जिला अस्पताल की फायर सेफ्टी को लेकर ऑडिट कराया है, उसके आधार पर आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। – डॉ सुनील कुमार शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गौतमबुद्ध नग