बिना फायर एनओसी के चल रहे जिला अस्पताल ?

ये लापरवाही हो सकती है जानलेवा
बिना फायर एनओसी के चल रहे जिला अस्पताल, बीएमसी और भाग्योदय, 1 दिसंबर से रोज 500 रुपए जुर्माना लगेगा

झांसी में अस्पताल में हुए हादसे और मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक वार फिर सतर्क रहने व अस्पतालों में आग से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने के निर्देश जारी करने की औपचारिकता पूरी कर दी है। पहले प्रदेश सरकार ने, इसके बाद केंद्र सरकार ने इस तरह के निर्देश जारी किए हैं।

निर्देशों के बाद स्वास्थ्य विभाग व अन्य अफसर औपचारिकता ही निभा रहे हैं। शहर के प्रमुख अस्पतालों जिला अस्पताल 400 बिस्तर, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज 700 बिस्तर व भाग्योदय अस्पताल 308 बिस्तर के पास फायर एनओसी नहीं है। बावजूद इसके प्रबंध पुख्ता करने के उपाय नहीं किए जा रहे हैं। बीते महीने ही भाग्योदय में हादसा हुआ था, इसमें नुकसान हुआ, मरीजों को भी दिक्कत हुई। इससे पहले जिला अस्पताल में बिजली लोड बढ़ने से हादसा हुआ था। इस तरह के हादसे अस्पताल में अक्सर होते रहे हैं। इसके बाद भी अस्पतालों के प्रबंधन सतर्क नहीं हैं।

इसकी जानकारी स्थानीय अफसरों से लेकर भोपाल स्तर तक है। बावजूद इसके केवल औपचारिकता दिखाई जा रही है। अधिकार विहीन नगर निगम के भरोसे छोड़ दिया है। निगम अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन बड़ी बात यह कि अब तक इन प्रमुख अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं ली है। अव निगम ने एक दिसंबर के बाद से प्रत्येक अस्पताल पर 500 रुपए रोज का जुर्माना लगाने का नोटिस दिया है। यानी अब एक दिसंबर तक यदि यह अस्पताल फायर एनओसी नहीं लेते हैं तो हर रोज 500 रुपए जुर्माना देना होगा। साल पूरा होने के बाद यह जुर्माना 1000 रुपए कर दिया जाएगा।

शहर के तीन निजी अस्पतालों को छोड़कर बाकी किसी के पास फायर ऑडिट का स्थाई प्रमाण पत्र नहीं है। बार-बार नोटिसों के बाद भी बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में तक फायर ऑडिट का प्रमाण पत्र नहीं है। यहां आग से सुरक्षा के उपाय हैं लेकिन ये कितने कारगर हैं इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसा ही हाल 400 बिस्तर वाले जिला अस्पताल व शहर के तीसरे प्रमुख अस्पताल भाग्योदय का है। इनके अलावा जिले में 62 छोटे बड़े अस्पताल हैं। आगजनी से बचाव के पुख्ता प्रबंध करने का ध्यान किसी को नहीं है।

केवल इन अस्पतालों के पास है निगम की स्थाई फायर एनओसी

चैतन्य महाप्रभु हॉस्पिटल • शिवाजी हॉस्पिटल • सूर्या हॉस्पिटल

इलेक्ट्रिकल, फायर ऑडिट अनिवार्य रूप से कराएं

अस्पताल प्रमुखों के नाम लिखे पत्र में कहा है कि संस्थाओं का इलेक्ट्रिकल और फायर ऑडिट अनिवार्य रूप से कराएं। फायर सिस्टम और फायर एक्सटिंग्विशर की स्थिति चालू होनी चाहिए। इन्हें समय-समय पर रिफिल कराया होना भी अनिवार्य है। नियमित अंतराल पर फायर ड्रिल कराई जाए और इसका लेखा-जोखा भी रखें।

चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिलाएं

निर्देशों में यह भी साफ कहा गया है कि सभी चिकित्सकों, पैरामेडिकल और सहायक स्टाफ को आपातकालीन स्थितियों में वार्ड खाली कराने का प्रशिक्षण दिलाया जाए। ध्यान रखा जाए कि विद्युत उपकरणों के उपयोग के दौरान खुले तारों या बिना प्लग के उपकरणों का उपयोग न हो।

चूक के लिए संस्था प्रमुख व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार

उपायों की जिम्मेदारी संस्था प्रमुख की होगी। किसी भी चूक के लिए वे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। इनकी जांच के लिए विभाग द्वारा औचक निरीक्षण किया जाएगा। इस दौरान यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो ऐसे संस्थानों को तुरंत बंद कर दिया जाएगा। यही नहीं, संचालकों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।

तीन अस्पतालों ने ली स्थाई एनओसी, जुर्माना करेंगे

नगर निगम में फायर शाखा प्रभारी सईदउद्दीन कुरैशी ने बताया कि निगम से 50 बिस्तर से अधिक क्षमता वाले अस्पताल को प्रमाण पत्र लेना है। शहर के तीन निजी अस्पतालों ने फायर एनओसी स्थाई रूप से ली है। कुछ ने प्राविजनल एनओसी ली है। अब तक स्थाई एनओसी नहीं ले पाए हैं।

 

 

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