भारत के लिए मॉडल बन सकता है प्रयागराज का हरित महाकुंभ महाअभियान !
भारत के लिए मॉडल बन सकता है प्रयागराज का हरित महाकुंभ महाअभियान
450 साल बाद इलाहाबाद नहीं अपने पुरातन नाम प्रयागराज का महाकुंभ-2025 भारत के लिए हरित महाकुंभ अभियान के साथ मॉडल बन सकता है. उत्सवों के देश भारत में सालभर तीर्थाटन, पर्यटन, बड़े धार्मिक मेले अनुष्ठान और तमाम तरह के आयोजन निरंतर चलते हैं. इनका प्रभाव साधारण और खास कारोबारी से लेकर राजस्व प्राप्ति और पूरी अर्थ व्यवस्था पर होता है. मगर इनमें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में समय समय पर लगने वाले महाकुंभ, अर्धकुंभ, कुरुक्षेत्र गीता जयंती महोत्सव और सूर्यग्रहण मेलों में उमड़ने वाली भीड़ के लिए तमाम तरह की व्यवस्था के साथ हरित महाकुंभ जैसे महाअभियान की सोच जरूरी है. इस तरह के मॉडल सामने आये तो इनका महत्व उन लोगों के लिए भी होगा, जिनके लिए इस तरह के विषय रुचिकर नहीं होते.
प्रयागराज महाकुंभ की व्यवस्थाओं के साथ जिस तरह का प्रयास हरित महाकुंभ महाअभियान की शक्ल में आगे बढ़ रहे है, निस्संदेह भविष्य में स्नान, ध्यान और दान के अलावा अन्य विषयों पर भी अच्छी पहल हो सकती है. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस तरह की अच्छी पहल उन लोगों का भी ध्यानाकर्षण करेगी, जिन्हें यह आयोजन गैर आवश्यक,अंध विश्वास से भरे लगते हैं. सनातन परंपराओं में मेलों का अपना महत्व रहा है. इनके प्रति नजरिया अलग अलग हो सकता है, मगर सदियों से राष्ट्र हित, मानव कल्याण और समाज हित में इनकी भूमिका सिद्ध होती रही है. अब इसी श्रृंखला में प्रयागराज महाकुंभ के प्रयास नये अध्याय जोड़ने के साक्षी होंगे.
प्रयागराज महाकुंभ के लिए शासन, प्रशासन और मेला प्रबंधन सभी तरह की व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर जु़टा है, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट और जो अनुमान लगाया जा रहा है, उसके अनुसार इस बार प्रयागराज महाकुंभ के दौरान देश दुनिया से करीब 45 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. इसलिए पहला फोकस लोकल परिवहन सेवा पर किया है. इसके लिए ऑनलाइन ई-रिक्शा और ई-ऑटो बुकिंग की सुविधा के लिए जो एप बनाई गई है. इस एप के माध्यम से मेला क्षेत्र में आवागमन के लिए सुविधा उपलब्ध होगी. मेला प्रबंधन इस एप के माध्यम जो ई-वाहन उपलब्ध कराएगा, उन पर यात्रियों के प्रति अच्छा व्यवहार रखने वाले पारंगत महिला और पुरुष चालक ही उपलब्ध होंगे. मेला प्रबंधन ने महिला यात्रियों के लिए विशेष रुप से पिंक टैक्सी की सुविधा को शामिल किया है, इन्हें महिला चालक ही ड्राइव करेंगी.
प्रायः इस तरह के आयोजनों के दौरान बाहरी यात्रियों से मनमाना किराया वसूल करने और अभद्रता के अलावा असुरक्षित सफर की शिकायतें सामने आती रही हैं, इनका हल प्रशासन ने एप के माध्यम से दी जाने वाली सुविधा से किया है. हालांकि मेले के लिए 7000 से अधिक राज्य परिवहन की बसों और 550 शटल बसों का संचालन भी होगा, मगर देशभर से आने वाले यात्रियों के लिए करीब 1000 अतिरिक्त ट्रेनें भी उपलब्ध होंगी, यानी यात्रियों के लिए करीब 3000 से ज्यादा रेलगाड़ियां भारत सरकार की तैयारी है. मेला प्रबंधन का उद्देश्य अर्बन ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहनों को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करके वायु प्रदूषण को कम करना है. दावों और तैयारी के अनुसार इसके सकारात्मक परिमाण आए तो यह भगीरथ प्रयास सफल महायज्ञ से कम नहीं होंगे.
450 साल बाद इलाहाबाद नहीं प्रयागराज नाम वाले शहर में महाकुंभ
इलाहाबाद में 2013 के बाद 2025 में प्रयागराज महाकुंभ कई मायनों में ऐतिहासिक होगा,क्योंकि अक्टूबर 2018 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इलाहाबाद नाम बदल कर इसका पुरातन नाम प्रयागराज कर चुकी है और प्रयागराज 2019 में पहला अर्धकुंभ अपने असली नाम के साथ देख चुका है.अब प्रयागराज 29 जनवरी 2025 को सिद्धि योग में महाकुंभ की शुरुआत के साथ दर्शन करेगा. इस महासंगम में 29 जनवरी से लेकर 8 मार्च तक पवित्र गंगा स्नान का संयोग बनेगा.
मुगलराज की हिमाकत के समक्ष हिमालय बन कर खड़ा रहा प्रयागराज नाम
यहां विशेष बात यह है कि भारत के जिन चार पवित्र नगरों में महाकुंभ और अर्धकुंभ जैसे अवसर 12 और छह साल बाद आते हैं उनमें इकलौता प्रयागराज रहा है, जिसका अतीत में विदेशी आक्रांताओं वंशजों ने नाम बदला और हाल ही में वह अपने पुरातन नाम के साथ दुनिया के समक्ष है. इतिहास में दर्ज मुगल सम्राट अकबर ने प्रयाराज का नाम 1575 में बदला था. तब मुगल शासन में प्रयागराज नई पहचान के साथ सामने आया था.इसे नाम दिया गया था “इलाहाबास”यानी “अल्लाह का शहर”. सनातन धर्म के इस बड़े केंद्र पर महाकुंभ और अर्ध कुंभ जैसे पवित्र अवसरों का ही प्रभाव रहा कि किसी बादशाह द्वारा बदले गए नाम के बावजूद प्रयागराज नाम कभी गौण नहीं हुआ.
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