सदन में सांसदों के लिए क्या करने और क्या नहीं करने का है नियम?
नोट की गड्डी मिलने पर मचा बवाल, सदन में सांसदों के लिए क्या करने और क्या नहीं करने का है नियम?
Rules For MPs: राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने का मामला लगातार गरमाया हुआ है। कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान नोटों की गड्डी कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित सीट से मिली थी। एक ओर जहां भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने घटना को सदन की गरिमा पर चोट बताया है तो, वहीं दूसरी ओर सिंघवी ने कहा कि वो सदन में सिर्फ पांच सौ का एक नोट लेकर जाते हैं। इस सब के बीच आइये जानते हैं सदन में सदस्यों के लिए नियम-कायदे क्या होते हैं?
संसद में नोटों की गड्डी मिलने का मामला सुर्खियों में है। शुक्रवार को संसद में उस वक्त हंगामा हो गया जब राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने की जानकारी सामने आई। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान नोटों की गड्डी कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित सीट से मिली थी। हालांकि, सिंघवी ने कहा कि वह केवल 500 रुपये की एक नोट लेकर संसद जाते हैं। केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि यह घटना सामान्य नहीं है और ये सदन की गरिमा पर चोट है। फिलहाल घटना की जांच हो रही है।
आइये जानते हैं कि संसद में नोटों की गड्डी मिलने का मामला क्या है? इस मामले का खुलासा कैसे हुआ? संसद में सदस्यों के लिए नियम-कायदे क्या होते हैं? सांसदों के लिए किन चीजों की मनाही होती है?
पहले जानते हैं संसद में नोटों की गड्डी मिलने का मामला क्या है?
राज्यसभा में शुक्रवार को नोटों की गड्डी मिलने की खबर के बाद जमकर हंगामा हुआ। नोट गुरुवार को सदन की कार्यवाही के बाद जांच के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंधवी के आवंटित सीट से मिले। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों को बताया कि गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद नियमित जांच पड़ताल के दौरान सुरक्षा अधिकारियों ने सीट संख्या 222 से 500 रुपये के नोटों की एक गड्डी बरामद की। गड्डी में 100 नोटें हैं। यह सीट तेलंगाना से सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। मामला मेरे संज्ञान में लाया गया और मैंने सुनिश्चित किया कि जांच हो और जांच चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि नोट असली हैं या नकली। वहीं, इस मामले में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सदन में मिले पैसे उनके नहीं है और वे सदन में सिर्फ 500 का नोट लेकर गए थे।
राज्यसभा में शुक्रवार को नोटों की गड्डी मिलने की खबर के बाद जमकर हंगामा हुआ। नोट गुरुवार को सदन की कार्यवाही के बाद जांच के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंधवी के आवंटित सीट से मिले। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों को बताया कि गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद नियमित जांच पड़ताल के दौरान सुरक्षा अधिकारियों ने सीट संख्या 222 से 500 रुपये के नोटों की एक गड्डी बरामद की। गड्डी में 100 नोटें हैं। यह सीट तेलंगाना से सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। मामला मेरे संज्ञान में लाया गया और मैंने सुनिश्चित किया कि जांच हो और जांच चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि नोट असली हैं या नकली। वहीं, इस मामले में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सदन में मिले पैसे उनके नहीं है और वे सदन में सिर्फ 500 का नोट लेकर गए थे।
इस मामले का खुलासा कैसे हुआ?
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि नियमित प्रोटोकॉल के अनुसार सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद एंटी-सैबोटेज टीम ने सीटों की जांच की। उस प्रक्रिया के दौरान नोट की गड्डी पाई गई और सीट नंबरों को डिकोड किया गया। रिजिजू ने सवाल किया कि जब हम डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहे हैं, तो सदन में नोटों का बंडल ले जाना उचित है? हम सदन में नोटों का बंडल नहीं ले जाते। इसकी गंभीर जांच होनी चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि नियमित प्रोटोकॉल के अनुसार सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद एंटी-सैबोटेज टीम ने सीटों की जांच की। उस प्रक्रिया के दौरान नोट की गड्डी पाई गई और सीट नंबरों को डिकोड किया गया। रिजिजू ने सवाल किया कि जब हम डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहे हैं, तो सदन में नोटों का बंडल ले जाना उचित है? हम सदन में नोटों का बंडल नहीं ले जाते। इसकी गंभीर जांच होनी चाहिए।
क्या है एंटी-सैबोटेज चेक जिस दौरान मिलीं नोटों की गड्डी?
संसद सत्र के दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की एंटी-सैबोटेज टीमें हर दिन जांच करती हैं। टीमों के पास खोजी कुत्ते होते हैं जिन्हें विस्फोटकों का पता लगाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। हर सुबह करीब तीन घंटे तक दोनों सदनों की हर सीट की जांच की जाती है। संसद के कर्मचारी बाहर निकल जाते हैं और सदन को सीआईएसएफ सुरक्षा दस्ते को सौंप दिया जाता है। बता दें कि 20 मई 2024 को सीआईएसएफ ने संसद परिसर की पूरी सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले ली थी। यह बदलाव 13 दिसंबर 2023 को परिसर में हुए गंभीर सुरक्षा उल्लंघन के कारण किया गया था।
संसद सत्र के दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की एंटी-सैबोटेज टीमें हर दिन जांच करती हैं। टीमों के पास खोजी कुत्ते होते हैं जिन्हें विस्फोटकों का पता लगाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। हर सुबह करीब तीन घंटे तक दोनों सदनों की हर सीट की जांच की जाती है। संसद के कर्मचारी बाहर निकल जाते हैं और सदन को सीआईएसएफ सुरक्षा दस्ते को सौंप दिया जाता है। बता दें कि 20 मई 2024 को सीआईएसएफ ने संसद परिसर की पूरी सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले ली थी। यह बदलाव 13 दिसंबर 2023 को परिसर में हुए गंभीर सुरक्षा उल्लंघन के कारण किया गया था।
संसद में सदस्यों के लिए नियम-कायदे क्या हैं?
सांसदों को सदन में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों का उल्लेख राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों की नियम पुस्तिका में है जो समय-समय पर जारी की जाती है। जब सदन चल रहा हो, तो सदस्यों से संसदीय शिष्टाचार के कुछ नियमों का पालन करना होता है। ये नियम राज्य सभा और लोकसभा दोनों में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों और समय-समय पर सभापति या अध्यक्ष द्वारा दिए गए नियमों पर आधारित हैं।
सांसदों को सदन में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों का उल्लेख राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों की नियम पुस्तिका में है जो समय-समय पर जारी की जाती है। जब सदन चल रहा हो, तो सदस्यों से संसदीय शिष्टाचार के कुछ नियमों का पालन करना होता है। ये नियम राज्य सभा और लोकसभा दोनों में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों और समय-समय पर सभापति या अध्यक्ष द्वारा दिए गए नियमों पर आधारित हैं।
सांसदों के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम:
- सदस्यों को निर्धारित समय से कुछ मिनट पहले सदन में उपस्थित होना चाहिए, जो कि सामान्यतः सुबह 11 बजे है।
- सदस्य को सदन में प्रवेश करते या छोड़ते समय और अपनी सीट पर बैठने या छोड़ने से पहले भी चेयर को अभिवादन करना चाहिए।
- जब सदन की बैठक चल रही हो, तो सदस्य को सदन में इस तरह से प्रवेश करना और छोड़ना चाहिए कि सदन की कार्यवाही में कोई व्यवधान न आए।
- सदस्य को कभी भी अध्यक्ष और बोलने वाले सदस्य के बीच से नहीं गुजरना चाहिए।
- सदस्यों को चेयर की ओर पीठ करके नहीं बैठना चाहिए या खड़ा नहीं होना चाहिए।
- बैठक के दौरान, यदि कोई सदस्य चाहे, तो सदन में कोई व्यवधान पैदा किए बिना अपनी सीट के पास के पिछले दरवाजे से जल्दी से बाहर जा सकता है।
- सदस्यों को आपस में इस तरह बातचीत नहीं करनी चाहिए कि सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हो।
- सदस्यों को अपनी सीटों पर बैठकर समाचार पत्र, पत्रिकाएं, किताबें या पत्र नहीं पढ़ने चाहिए, जो कार्यवाही से सीधे संबंधित न हों या उसके लिए जरूरी न हों।
- जब कोई सदस्य बोलना चाहता है, तो उसे सभापति का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने स्थान पर खड़ा होना चाहिए।
- जैसे ही अध्यक्ष बोलने के लिए खड़े होते हैं या ‘ऑर्डर’ कहते हैं, हर सदस्य को अपनी सीट पर वापस आ जाना चाहिए।
- जब अध्यक्ष सदन को संबोधित कर रहे हों, तो किसी भी सदस्य को उठना या सदन छोड़ना नहीं चाहिए।
- अध्यक्ष की पूर्व अनुमति के बिना, किसी भी सदस्य को लिखित भाषण नहीं पढ़ना चाहिए, हालांकि नोट्स का उल्लेख किया जा सकता है।
- सदस्य को सदन में दूसरे सदस्य की उपस्थिति के दौरान भाषण पढ़ने की अनुमति नहीं है।
- सदस्यों को अपना भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद सदन नहीं छोड़ना चाहिए।
- किसी वाद-विवाद में भाग लेने वाले सदस्यों को उस समय सदन में उपस्थित रहना चाहिए जब मंत्री वाद-विवाद का उत्तर दे।
- जहां तक संभव हो, किसी सदस्य को नाम से नहीं, बल्कि किसी अन्य उपयुक्त तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए।
- बोलते समय किसी सदस्य को व्यक्तिगत सदस्य को सीधे संबोधित नहीं करना चाहिए, बल्कि हमेशा सभापति को संबोधित करना चाहिए।
- किसी सदस्य को दूसरे सदस्य के बोलने के समय उससे बहस नहीं करनी चाहिए।
- सभापति ने जिस सदस्य को बाहर जाने का आदेश दिया गया है, उसे तुरंत बाहर चले जाना चाहिए और शेष दिन की बैठक के दौरान अनुपस्थित रहना चाहिए।
- आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्तियों वाले शब्दों का प्रयोग करने से पूरी तरह बचना चाहिए।
- अपने भाषणों में, सदस्यों को सरकारी अधिकारियों का नाम लेकर उल्लेख नहीं करना चाहिए।
- दो सदस्यों को एक ही समय पर खड़े नहीं रहना चाहिए।
- जब कोई सदस्य अपना पहला भाषण दे रहा हो, तो उसे बीच में नहीं रोकना चाहिए।
- कोट को बांह पर लटकाकर सदन में प्रवेश करना अनुचित है और सदन की मर्यादा के विरुद्ध है।
- सदस्यों को संसद भवन परिसर में कोई भी साहित्य, प्रश्नावली या पुस्तिका आदि नहीं बांटनी चाहिए, जब तक कि सभापति से लिखित में पहले से अनुमति न ली गई हो।