स्कूली बच्चों के नारे ने कैसे बदल दिया सीरिया का नक्शा ….. जानें कैसा है सीरिया का एजुकेशन सिस्टम ?

Syria Civil War: मौत के बीच पढ़ाई करते हैं बच्चे, जानें कैसा है सीरिया का एजुकेशन सिस्टम

Syria Education System: सीरिया में अब भले ही राष्ट्रपति बशर अल असद के परिवार का 50 साल का शासन खत्म हो गया है, लेकिन यहां करीब डेढ़ दशक से चल रहे गृहयुद्ध ने यहां की शिक्षा व्यवस्था को एकदम बर्बाद कर दिया है. यहां के बच्चे अक्सर मौत के साये मे पढ़ाई करते हैं. आइए जानते हैं कि यहां का एजुकेशन सिस्टम आखिर कैसा है?

Syria Civil War: मौत के बीच पढ़ाई करते हैं बच्चे, जानें कैसा है सीरिया का एजुकेशन सिस्टम

कैसा है सीरिया का एजुकेशन सिस्टम?Image Credit source: Getty Images

सीरिया में करीब डेढ़ दशक से चल रहा गृहयुद्ध अपने चरम पर पहुंच चुका है. विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क समेत सीरिया के कई शहरों पर कब्जा कर लिया है और वहां के राष्ट्रपति बशर अल असद के परिवार का 50 साल का शासन खत्म कर दिया है. इसके बाद बशर अल असद को देश छोड़कर जाना पड़ा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना के अधिकारियों का कहना है कि वह किसी अज्ञात जगह पर चले गए हैं. जब से यहां सिविल वॉर शुरू हुआ था, तब से लेकर अब तक इसने बच्चों की पढ़ाई को काफी प्रभावित किया है. यहां के बच्चे कुछ बनने, कुछ करने का सपना लिए अक्सर मौत के बीच पढ़ाई करते हैं. आइए एक नजर डालते हैं सीरिया के एजुकेशन सिस्टम पर.

यूनिसेफ की एक पुरानी रिपोर्ट बताती है कि गृहयुद्ध ने यहां की शिक्षा व्यवस्था पर बहुत बुरा असर डाला है. यहां 7 हजार से भी अधिक स्कूल या तो क्षतिग्रस्त हो गए हैं या पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. इस वजह से करीब 2 मिलियन यानी 20 लाख बच्चे स्कूलों से बाहर हो गए हैं. इसके अलावा कई बच्चे तो ऐसे भी हैं, जिनका कभी स्कूल में एडमिशन ही नहीं हुआ और जो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें भी जरूरी स्टडी मैटेरियल की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

इंटरनेट सुविधा नहीं मिलना बड़ी परेशानीसीरिया में अधिकतर छात्र यूनिवर्सिटी का ऑनलाइन डिग्री कोर्स ही करना पसंद करते हैं, कॉलेज कैंपस बहुत कम छात्र ही जाते हैं, क्योंकि घर से बाहर निकलने पर उनके साथ कब, क्या हो जाए, कोई नहीं जानता. कई छात्र को कंप्यूटर की पढ़ाई भी करना चाहते हैं, लेकिन इंटरनेट सुविधा सुचारू रूप से नहीं मिल पाने की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

सीरिया की स्कूली पढ़ाईसीरिया के एजुकेशन सिस्टम की बात करें तो यहां प्राथमिक स्तर पर ग्रेड 1 से 6 तक की पढ़ाई होती है. इसके बाद ग्रेड 7 से 9 तक की पढ़ाई मिडिल स्कूल और ग्रेड 10 से 12 तक की पढ़ाई माध्यमिक स्कूल के तहत आती है. यहां 6 से 15 साल की उम्र तक की शिक्षा निःशुल्क और अनिवार्य है. सीरिया में शिक्षा का माध्यम अरबी है और ग्रेड 1 से अंग्रेजी की भी पढ़ाई होती है. इसके अलावा ग्रेड 7 से यहां फ्रेंच और रूसी भाषा की भी पढ़ाई होती है.

भरी पड़ी हैं यूनिवर्सिटीजसीरिया में सार्वजनिक और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भरी पड़ी हैं, जहां छात्रों को उच्च शिक्षा मुहैया कराई जाती है. सार्वजनिक यूनिवर्सिटीज में दमिश्क विश्वविद्यालय टॉप पर है, जो सीरिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. इसके अलावा यहां अलेप्पो यूनिवर्सिटी, अल-बाथ यूनिवर्सिटी समेत और भी कई सार्वजनिक यूनिवर्सिटीज हैं, जबकि अल रशीद इंटरनेशनल प्राइवेट यूनिवर्सिटी फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और कलामून विश्वविद्यालय जैसी बेहतरीन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी हैं.

बशर अल असद ने कहां से की थी पढ़ाई?सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने दमिश्क यूनिवर्सिटी ने पढ़ाई की थी. उन्होंने यहां से मेडिकल की डिग्री ली थी और उसके बाद सीरियाई सेना में डॉक्टर के रूप में काम करना शुरू किया था. दमिश्क यूनिवर्सिटी में मुख्य रूप से मेडिकल और लॉ यानी कानून की पढ़ाई होती है.

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‘असद अब तुम्हारी बारी है’, स्कूली बच्चों के नारे ने कैसे बदल दिया सीरिया का नक्शा? ढह गई असद परिवार की 50 साल पुरानी सत्ता

सीरिया में विद्रोही गुटों की बड़ी जीत हुई है। 24 साल बाद बशर अल असद का किला ढह चुका है। राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे से पहले बशर अल असद और उनके परिवार को देश छोड़ना पड़ा है। सीरिया की सत्ता पर असद परिवार का कब्जा पिछले 50 साल थे। 30 सालों तक उनके पिता हाफिज ने देश की कमान संभाली और 24 साल तक बशर अल असद ने।

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Fall of Syria: बशर अल असद का फटा हुआ पोस्टर। ( फोटो- रॉयटर्स )
  1. देश छोड़कर भागे सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद।
  2. 2000 में बशर अल असद ने संभाली थी देश की सत्ता।
  3. 2011 में शुरू हुआ गृहयुद्ध, अब विद्रोहियों ने छीनी सत्ता।
 नई दिल्ली। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का सबसे मजबूत किला दमिश्क ढह चुका है। असद को अपने परिवार समेत भागना पड़ा है। यह न केवल असद की हार है बल्कि उसके सहयोगी रूस और ईरान की भी शिकस्त है। असद परिवार ने 50 साल से अधिक समय तक सीरिया पर राज किया। मगर इस दौरान उनका इतिहास कत्लेआम और खून खराबे से भरा रहा। मौजूदा समय में सीरिया के अधिकांश भूभाग पर विद्रोही गुटों का कब्जा हो चुका है।

बशर अल असद का ताल्लुक अलावी समुदाय से है। यह समुदाय सीरिया में अल्पसंख्यक है। सीरिया में अलावी समुदाय की आबादी लगभग 12 फीसद है। मगर सत्ता इसी अलावी राजवंश के पास थी। जबकि देश सुन्नी बहुल है। पांच दशक तक सीरिया की सत्ता पर रहा असद परिवार का दबदबा अब खत्म हो चुका है।

सीरिया में क्या हो रहा है?

बशर अल असद के भागने के बाद नई सरकार बनाने की कवायद में विद्रोही जुटे हैं। पूरे देश में जश्न का माहौल है। दमिश्क स्थित ईरान के दूतावास पर भीड़ ने हमला किया है। इराक ने सीरिया से जुड़ी अपनी सीमा को बंद कर दिया है। सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दमिश्क स्थित इराकी दूतावास को भी खाली करा दिया गया है। उधर, इजरायल ने गोलान हाइट्स में अपनी सेना की तैनाती बढ़ा दी है। 50 साल बाद इजरायल की सेना ने सीरिया सीमा पर लगी बाड़ को पार किया है।
पिता ने तख्तापलट करके हथियाई थी सत्ता
13 नवंबर 1970 को बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने सीरिया में तख्तापलट किया था और सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। उन्होंने साल 2000 तक देश पर राज किया। सत्ता संभालने से पहले हाफिज सीरिया के वायु सेना में कमांडर और रक्षा मंत्री भी रह चुके थे। हाफिज ने अलावी समुदाय के लोगों और अपने विश्वास पत्रों को सरकारी नौकरी में तवज्जो दी। इससे अन्य समुदायों में आक्रोश फैला।

हाफिज सीरिया की सत्ता अपने सबसे बड़े बेटे बैसेल को सौंपना चाहते थे। मगर 1994 में एक सड़क दुर्घटना में बैसेल की मौत हो गई। इसके बाद 2000 में हाफिज की मौत के बाद बशर अल असद ने देश की सत्ता संभाली। उस वक्त जनमत संग्रह में असद को 97 फीसद वोट मिले। पिछले 24 साल से सीरिया की सत्ता पर बशर अल असद का कब्जा रहा है।असद ने अपनाई पिता की रणनीति

बशर अल असद ने अपने पिता की ही तर्ज पर विद्रोह को दबाने की रणनीति पर काम किया। मगर उनकी यह रणनीति अब धराशयी हो गई। असद के पिता हाफिज ने साल 1982 में सीरिया के हामा शहर में मुस्लिम ब्रदरहुड के विद्रोह को कुचला था। इसमें करीब 40 हजार लोगों की जान गई थी।
दमन की यह रणनीति असद को विरासत में मिली। उन्होंने कई मौकों पर इसका इस्तेमाल भी किया। सीरिया सरकार के उच्च पदों पर असद के रिश्तेदारों की भरमार रही। असद के चेचेरे भाई रामी मखलौफ के पास सीरिया की 60 फीसदी अर्थव्यवस्था का नियंत्रण रहा। इन सभी लोगों ने सीरिया की आम जनता का दमन भी किया।

टर्निंग प्वाइंट

2011 में लीबिया, ट्यूनीशिया और मिस्र में विद्रोह भड़का। इन तीनों ही देशों में सरकारें ढह गईं। इस घटनाक्रम का असर सीरिया की जनता पर भी हुआ। असद सरकार से पीड़ित लोगों ने भी सीरिया में कुछ ऐसा ही करने का सोचा। इसकी शुरुआत एक स्कूल से हुई।
सीरिया के शहर दारा में एक स्कूल में कुछ छात्रों ने असद के खिलाफ नारे लिखे। नारा यह था कि ‘असद अब तुम्हारी बारी है’। सरकार को जब इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने सेना का इस्तेमाल किया और स्कूल के छात्रों पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। बच्चों को दीवार पर टांग दिया गया। करेंट के झटके लगाए गए।

इस बीच सीरिया की आम जनता भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन से परेशान थी। बच्चे पर हुई हिंसा ने आग में घी का काम किया। देखते ही देखते पूरे सीरिया में विद्रोह फैल गया। जगह-जगह प्रदर्शन होने लगे। जवाब में असद ने सेना को उतार दिया। लोगों पर सेना ने कहर बरपाना शुरू किया। पहले तो लोगों ने अपने बचाव में हथियारों को उठाया। बाद में यही हथियार विद्रोह के सबसे बड़े यंत्र बने। कुछ ही समय में सीरिया के अंदर तमाम सशस्त्र विद्रोह गुटों का उदय हुआ।11 दिन में ढहा असद का किला

सीरिया के कई हिस्सों पर कुर्द समेत कई गुटों का पहले से ही कब्जा है। मगर प्रमुख शहर अलेप्पो, होम्स, हामा और दमिश्क पर सीरिया की सेना का नियंत्रण रहा है। 20211 में शुरू हुए गृह युद्ध के लगभग एक दशक बाद हयात तहरीर अल शाम (HTS) ने 27 नवंबर को अलेप्पो पर हमला किया और उसे अपने कब्जे पर ले लिया। इसके बाद लड़ाके होम्स की तरफ बढ़े। हामा पर कब्जा करने के बाद जल्द ही होम्स भी उनके नियंत्रण में आ गया। देखते ही देखते विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर धावा बोला दिया। दमिश्क पर विद्रोहियों के घुसने से पहले ही बसर अल असद ने परिवार समेत देश छोड़कर भाग निकले।

सीरिया के प्रमुख विद्रोही गुट
  • आईएसआईएल गुट: इस गुट ने इराक के बड़े क्षेत्र पर कब्जा किया। इसके बाद सीरिया के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में लिया।
  • फ्री सीरियन आर्मी: इस गुट को तुर्किये, अमेरिका और कई खाड़ी देशों का समर्थन प्राप्त है। इसका गठन सीरिया सेना के भगाड़े जवानों ने किया है।
  • सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज: इस गुट पर कुर्द पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स का प्रभुत्व है।
  • जबात फतेह अल-शाम और ईरान समर्थित हिजबुल्लाह भी सीरियाई जंग का हिस्सा हैं।

क्या है सीरिया का HTS गुट?

सीरिया से बशर अल असद को भागने वाले गुट का नाम हयात तहरीर अल शाम (HTS) है। इस गुट में कई विद्रोही समूह शामिल है। तुर्किये समर्थित गुट भी एचटीएस को अपना समर्थन दे रहे हैं। हमले से पहले एचटीएस का इदबिल प्रांत पर पिछले कई सालों से कब्जा रहा है। गुट का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहे हैं। इस सशस्त्र गुट में नेशनल फ्रंट फॉर लिबरेशन, अहरार अल-शाम, जैश अल-इज्जा और नूर अल-दीन अल-जेंकी मूवमेंट और सीरियाई राष्ट्रीय सेना शामिल है

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