संभल-वाराणसी में खुले पुराने बंद मंदिर !
सबसे पहले पिछले 5 दिनों की कुछ खबरें और उनकी क्रोनोलॉजी देखिए…
- 12 दिसंबर 2024: सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर नए केस और कोई आदेश देने पर रोक लगाई।
- 14 दिसंबर 2024: संभल के मुस्लिम बहुल खग्गू सराय इलाके में करीब 46 साल से बंद पुराना मंदिर मिला।
- 16 दिसंबर 2024: UP विधानसभा में CM योगी आदित्यनाथ ने कहा- संभल में 1947 के बाद से 209 हिंदुओं की हत्या दंगों में हुई है, हिंदुओं के नरसंहार पर सभी ने चुप्पी साधे रखी।
- 17 दिसंबर 2024: वाराणसी में दशकों से बंद पुराना मंदिर मिला। संभल में एक और बंद मंदिर खोजा गया।
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद संभल में मिले पुराने बंद मंदिरों की कहानी और CM योगी के बयान के मायने; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: संभल, ज्ञानवापी जैसी मस्जिदों के सर्वे पर अचानक रोक क्यों लगी?
जवाबः सुप्रीम कोर्ट में CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली 6 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 12 दिसंबर यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में CJI ने निर्देश जारी करते हुए कहा- जब मामला हमारे सामने लंबित है, तो यह सही नहीं होगा कि अन्य अदालतें इन मामलों की सुनवाई करें।
इसी के साथ देशभर के हाईकोर्ट और निचली अदालतों को धार्मिक स्थलों के मालिकाना हक से जुड़े नए मुकदमे दर्ज करने या फैसला सुनाने पर रोक लग गई। सर्वे के आदेश देने पर भी प्रतिबंध लग गया।
इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया। CJI खन्ना ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत सरकार का रुख रिकॉर्ड पर लाया जाए।’ केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और याचिकाओं की सुनवाई के बाद ही इस मामले पर कोई फैसला लिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले का हवाला देते हुए कहा,
ऐतिहासिक गलतियों को सही करने के लिए कानून को हाथ में लेना उचित नहीं है।
इस आदेश के 3 बड़े असर होंगे…
- भोजशाला, ज्ञानवापी, संभल और श्रीकृष्ण जन्मभूमि जैसे मामलों पर सुनवाई तो चलती रहेगी, लेकिन अंतिम आदेश जारी नहीं होगा।
- किसी पूजा स्थल पर विवाद का नया केस दर्ज नहीं किया जाएगा और न ही सर्वे के आदेश दिए जाएंगे।
- केंद्र सरकार जब तक अपना जवाब दायर नहीं कर देती है, तब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कोई सुनवाई शुरू नहीं करेगा।
सवाल-2: इस बीच संभल में जामा मस्जिद से इतर एक नया मंदिर मिलने का मामला क्या है?
जवाबः 14 दिसंबर 2024 को संभल में बिजली चोरों को पकड़ने के लिए प्रशासनिक अधिकारी चेकिंग कर रहे थे। तभी खग्गू सराय इलाके में बुलडोजर से खुदाई करते हुए अचानक शिव मंदिर मिला। धूल और मिट्टी से भरे इस मंदिर में भगवान हनुमान, शिवलिंग, नंदी और कार्तिकेय की मूर्तियां और एक कुआं मिला। पुलिस ने एक्शन लेकर मंदिर को अवैध कब्जे से आजाद कराया।
यह मंदिर संभल के सपा सासंद जियाउर्रहमान के घर से 200 मीटर की दूरी पर मिला। संभल के कलेक्टर राजेन्द्र पेनसिया ने कहा,
यह मंदिर 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर पर कब्जा करने की तैयारी थी और अगर बिजली चोरी की चेकिंग नहीं होती तो मंदिर हमें कभी नहीं मिलता।
पुलिस-प्रशासन की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, 1978 के बाद यह मंदिर कभी नहीं खोला गया। इस इलाके में पहले बड़ी संख्या में हिन्दू परिवारों की मौजूदगी का दावा किया गया। 1978 में यहां दो बड़े दंगे होने के बाद खग्गू सराय में रहने वाले 100 हिंदू परिवार पलायन कर गए। इनमें ज्यादातर कारोबारी थे।
सवाल-3: UP के CM योगी आदित्यनाथ ने संभल पर ऐसा क्या कहा, जिसकी चर्चा हो रही है?
जवाबः 16 दिसंबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान CM योगी आदित्यनाथ ने 1978 के संभल दंगे का मुद्दा उठाया। योगी ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 1978 के दंगों में 184 हिंदुओं को जिंदा जला दिया था। पुलिस की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें कई लोगों की लाशें तक नहीं मिलीं। उनके पुतले बनाकर दाह संस्कार किए गए थे।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘1947 से अब तक संभल में हुए दंगों में 209 हिंदुओं की हत्या हुई। घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों ने निर्दोष हिंदुओं के बारे में दो शब्द नहीं कहे। 1978 में दंगा हुआ। तब एक वैश्य ने सबको पैसा उधार दे रखा था। दंगा होने के बाद हिंदू उनके घर में इकट्ठे हुए, तो उन्हें घेर लिया गया। उनसे कहा गया कि इन हाथों से सूद का पैसा मांगोगे। इसलिए पहले हाथ, फिर पैर और फिर गला काट दिया गया। सौहार्द की बात करने पर इन्हें शर्म नहीं आती।’
सवाल-4: संभल में 1978 में क्या हुआ था, जिसका जिक्र योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं?
जवाबः UP पुलिस-प्रशासन की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, 25 मार्च 1978 को होली थी। इस दिन संभल में दो समुदायों के बीच टकराव हुआ। अफवाह फैली कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के दुकानदार को मार दिया। इसके तीन दिन बाद 29 मार्च 1978 को संभल में सबसे बड़ा दंगा हुआ। कई लोगों ने उस वक्त के SDM रमेश चंद्र माथुर के ऑफिस में छिपकर जान बचाई थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि तब खग्गू सराय को बनियों का मोहल्ला कहते थे। वहां रहने वाला एक वैश्य, लोगों को उधार देता था। दंगों के बाद हिंदू उनके घर में इकट्ठा हो गए, तो उन्हें घेर लिया गया। उनसे कहा गया कि इन हाथों से सूद का पैसा मांगोगे। इसलिए पहले हाथ, फिर पैर और फिर गला काट दिया गया। इसके बाद दंगे और भड़क गए।
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 मार्च से 20 मई यानी 53 दिन तक कर्फ्यू लगा रहा था। इन दंगों से जुड़े 169 मामले दर्ज हुए थे। इनमें 3 मामले पुलिस ने और बाकी 166 मामले दोनों समुदायों के लोगों ने दर्ज कराए थे। इस दौरान लूटमार व भगदड़ के साथ आगजनी हुई थी।
1978 के संभल दंगे में 184 हिंदू मारे गए, पलायन से डेमोग्राफी बदली संभल नगर पालिका एरिया में आजादी के वक्त 55% मुस्लिम और 45% हिंदू रहते थे। लेकिन संभल में 1978 के दंगों के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए।
इतिहासकार संजय शंखधर ने बताया कि 184 हिंदूओं को जिंदा जला देने वाली घटना के बाद हिंदू आबाद इस जगह से पलायन करने लगी। 1978 में हुए दंगों से पहले संभल में 65% मुस्लिम और 35% हिंदू थे। अब करीब 80 % मुस्लिम हैं। हिंदू करीब 20% ही बचे हैं।
संभल के रहवासी सगीर खान ने कहा,
आखिरी हिंदू फैमिली 15-20 साल पहले गई थी। कुछ लोग दुर्गा कॉलोनी चले गए। कुछ पढ़ाई के लिए, तो कुछ बिजनेस के लिए बाहर चले गए। यहां हीरा लाल रहते थे। उनके बच्चे सबसे आखिर में गए। उन बच्चों से आप पूछ सकते हैं। उन्हें कोई परेशानी होती थी, तब हम उनके घर जाते थे।
संभल के एक और रहवासी मुकेश रस्तोगी का कहना है कि ‘पहले यहां रोज पूजा होती थी। दीये जलाते थे। फिर लोग चले गए, तभी से मंदिर बंद था। एक पुजारी कभी-कभार पूजा करने आते थे। उनके पास मंदिर की चाबी भी है।’
सवाल-5: क्या UP में दशकों से बंद पड़े और मंदिर भी खोजे जा रहे हैं?
जवाबः 17 दिसंबर को संभल में एक और मंदिर मिला। यह हयात नगर के सरायतरीन में स्थित है। शिव मंदिर और इस नए मंदिर के बीच 2 किलोमीटर की दूरी है। प्रशासन को बिना नाम के पत्र में मंदिर बंद होने की जानकारी मिली थी।
पुलिस और राजस्व की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों से बातचीत की। लोगों का कहना है कि ‘मंदिर काफी समय से बंद था। पहले यहां 30-40 हिंदू परिवार रहते थे, जो 1978 के दंगे के बाद पलायन कर गए।’
इससे पहले 16 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पेज पर शिव मंदिर से जुड़ा पोस्ट किया गया। इसके मुताबिक, वाराणसी के मदनपुरा गली में मकान नंबर D-31 के पास एक मंदिर है, जो 150 साल पुराना है और 40 सालों से बंद है।
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद सनातन रक्षा दल के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मंदिर खोलने की मांग की। पुलिस को जानकारी मिलते ही अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने दल के कार्यकर्ताओं को समझाइश देकर मामला शांत कराया। काशी जोन के DCP गौरव बंसवाल ने बताया,
इस मंदिर के गेट पर ताला बंद है। कोई यह नहीं बता सका कि मंदिर का मालिकाना हक किस के पास है। प्रशासन की टीम मौके का मुआयना कर जांच करेगी। एहतियातन मौके पर पुलिस तैनात की गई है।
सवाल-6: क्या सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद CM योगी का रुख बदला है?
जवाबः सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट हर्षवर्धन त्रिपाठी मानते हैं कि UP में मंदिरों का मिलना सुप्रीम कोर्ट की रोक का तोड़ नहीं है। वे कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार है और उन्होंने ऐसी रोक लगाई है, लेकिन ऐसी रोक संविधान में हिंदुओं के दिए गए मूल अधिकार के खिलाफ है। रही बात प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की तो इसे 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के तोड़ के तौर पर कांग्रेस लेकर आई थी। आज UP में पुराने मंदिरों का मिलना, एक अनायास घटना है। इसमें सरकार या प्रशासन की कोई प्री-प्लानिंग नहीं है।’
हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं,
पलायन और मंदिर जैसे मुद्दों को BJP राजनीतिक रूप से और RSS इसे सामाजिक रूप से उठाती रही। इस बात का नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में भी रोल रहा, जिसे अब योगी आदित्यनाथ आगे बढ़ा रहे हैं।
लखनऊ की बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुलायम सिंह कहते हैं, ‘योगी आदित्यनाथ की पूरी पॉलिटिक्स पलायन और मंदिर के मुद्दे पर टिकी है। योगी ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक देश के धार्मिक स्थलों की स्थिति ज्यों की त्यों रहनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद UP में पुराने मंदिर खोजे जा रहे हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट की रोक का तोड़ निकालने की कोशिश हो रही है।’