भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों से सावधान ?
भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों से सावधान
यह एक तरह की धोखाधड़ी है। ऐसे भ्रामक दावों से अन्य छात्रों के बीच मिथ्या संदेश जाता है। ऐसे विज्ञापन गलत संदेश देते हैं कि बिना कोचिंग लिए सफलता अर्जित नहीं की जा सकती। आवश्यकता केवल इसकी नहीं है कि भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों की नकेल कसी जाएबल्कि उन कारणों की तह तक जाकर उनका निवारण करने की भी है जिनके चलते कोचिंग संस्कृति फलती-फूलती जा रही है।
यह स्वागतयोग्य है कि भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने कार्रवाई की। इस कार्रवाई के तहत भ्रामक विज्ञापन देने वाले 45 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किए गए और 19 पर करीब 61 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों के शिकार कई छात्रों की फीस वापस कराने में भी सफल हुआ है। उसकी सफलता का यह सिलसिला कायम रहना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही इसकी समीक्षा भी की जानी चाहिए कि उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की कार्रवाई का कोई सकारात्मक असर कोचिंग संस्थानों पर पड़ रहा है या नहीं?
ऐसा इसलिए किया जाना चाहिए, क्योंकि अतीत में भी भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की जा चुकी है। कोचिंग संस्कृति बढ़ते जाने के कारण कोचिंग चलाने वाले संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और इसके नतीजे में उनकी ओर से गुमराह करने वाले विज्ञापन देने का सिलसिला भी तेज हो रहा है।
कई बार कोचिंग संस्थानों के गुमराह करने वाले विज्ञापनों का शिकार होकर छात्र उनमें प्रवेश ले लेते हैं और बाद में यह पाते हैं कि जैसा दावा किया गया था, वैसा कुछ भी नहीं है। कोचिंग संस्थान केवल पठन-पाठन को लेकर ही भ्रामक दावा नहीं करते, बल्कि स्वयं की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी बढ़-चढ़कर बताते हैं।
अनेक मामलों में यह देखने में आया है कि कोचिंग संस्थानों के दावे सही नहीं होते-न तो पढ़ाई को लेकर और न ही सुविधाओं को लेकर। भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ लगातार सख्ती का परिचय देने की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि ऐसे विज्ञापन कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिनमें एक ही छात्र को लेकर कई कोचिंग संस्थान यह दावा कर रहे होते हैं कि उसने उनके यहां से पढ़ाई की।
कई बार तो एक ही छात्र तीन-चार कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों में नजर आता है। कुछ मामलों में यह भी देखने में आया है कि यदि किसी छात्र ने किसी कोचिंग संस्थान की मुफ्त सलाह देने वाली सेवा का एक दिन ही लाभ उठाया और वह किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफल हो गया तो उक्त कोचिंग संस्थान उसे भी अपना छात्र बता देता है।
यह एक तरह की धोखाधड़ी है। ऐसे भ्रामक दावों से अन्य छात्रों के बीच मिथ्या संदेश जाता है। निःसंदेह ऐसे विज्ञापन भी गलत संदेश देते हैं कि बिना कोचिंग लिए सफलता अर्जित नहीं की जा सकती। आवश्यकता केवल इसकी नहीं है कि भ्रामक विज्ञापन देने वाले कोचिंग संस्थानों की नकेल कसी जाए, बल्कि उन कारणों की तह तक जाकर उनका निवारण करने की भी है, जिनके चलते कोचिंग संस्कृति फलती-फूलती जा रही है।
आज ऐसा माहौल बना दिया गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ स्कूली परीक्षाओं में भी सफलता के लिए कोचिंग आवश्यक है। यह वह मामला है, जिसे शिक्षा मंत्रालय को अवश्य ही देखना चाहिए।
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19 कोचिंग संस्थानों पर 61 लाख क जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन दिखाकर छात्रों से ठगी का आरोप
भ्रामक विज्ञापन के जरिए कोचिंग सेंटरों द्वारा छात्रों को लुभाने और अपने संस्थान में नामांकन के लिए प्रेरित करने की शिकायत पर केंद्र सरकार ने 45 संस्थानों को नोटिस जारी कर भ्रामक विज्ञापन एवं अनुचित व्यापार बंद करने का निर्देश दिया है। साथ ही छले गए अभ्यर्थियों को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के जरिए फीस वापसी में मदद की गई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले के राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने राज्यसभा में बताया कि यह कार्रवाई छात्रों के हित में की है। उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए नए कानून बनाए जा रहे हैं।
देश भर के उपभोक्ता टोल-फ्री नंबर 1915 के जरिए 17 भाषाओं में अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। करीब एक हजार से ज्यादा कंपनियों ने एनसीएच के साथ खुद को संबद्ध किया है। उपभोक्ताओं की शिकायतों का अपनी निवारण प्रक्रिया के हिसाब से समाधान देती हैं।
प्राधिकरण ने जिन संस्थानों पर जुर्माना लगाया है, उनमें खान स्टडी ग्रुप, इकरा, चहल अकादमी, नारायण मेडिकल, एलन कैरियर इंस्टीट्यूट, आईएएस बाबा, बायजूस आईएएस, मलूका, अनएकेडमी एवं राव आईएएस आदि प्रमुख हैं।