ग्वालियर : अल्ट्रासाउंड में वेटिंग का खुलासा ?

कैग रिपोर्ट पार्ट-1:अल्ट्रासाउंड में वेटिंग का खुलासा…
जेएएच में कुल 17 यूएसजी मशीनें हैं, ओपीडी के लिए सिर्फ पांच, इसलिए मरीज परेशान
  • शासन का जबाव-22 मशीनों में से 21 हैं कार्यरत, दस्तावेज की जांच के बाद जेएएच के दावे को किया खारिज

जयारोग्य चिकित्सालय (जेएएच) में अल्ट्रासाउंड के लिए हमेशा वेटिंग रहती है। कैग की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है कि जेएएच में 22 अल्ट्रासाउंड (यूएसजी) मशीनें हैं। जिसमें से कई खराब हैं। आेपीडी में सिर्फ 5 मशीनें लगी हैं। शासन ने अपने उत्तर (नवंबर 2023) में बताया कि 22 यूएसजी मशीनों में से 21 मशीनें कार्यरत हैं, लेकिन कैग ने शासन के उत्तर को नहीं माना है।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएएच समूह के दस्तावेजों की जांच में पता चला कि यहां 17 यूएसजी मशीनें उपलब्ध थीं, जिसमें से 6 मशीनें काम नहीं कर रही थीं,क्योंकि वे मरम्मत योग्य नहीं थीं। एक मशीन वारंटी अवधि में थी। सपोर्ट सिस्टम न होने के कारण 4 मशीनें बेकार पड़ी थीं। शेष कार्यशील मशीनों में से 2 मशीनें पोर्टेबल यूएसजी थी। जिनका उपयोग वार्ड में होता है। ओपीडी के लिए 5 मशीनें उपलब्ध थीं। इसलिए मरीजों को 16 से 24 दिन इंतजार के बाद ही अल्ट्रासाउंड हो पाता है। वर्तमान में रेडियोलॉजी की ओपीडी में 6 मशीनें हैं। इसके अलावा केआरएच 3, सर्जरी वार्ड, ट्रॉमा सेंटर, सीटी स्कैन सेंटर पर एक-एक मशीन है।

एमआरयू यूनिट: 2020 में मिले 1.25 करोड़ की राशि, मशीनें खरीदी, लेकिन 4 साल में यूनिट का काम नहीं किया शुरू

  • मआरयू यूनिट: जीआरएमसी में एमआरयू यूनिट की स्थापना के लिए मार्च 2020 में 1.25 करोड़ रुपए मिले थे। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मशीनें तो खरीदी, लेकिन यूनिट का काम अभी तक शुरू नहीं किया है।
  • ब्लड बैंक: जेएएच की ब्लड बैंक के लाइसेंस की जो कमी बताई थी वह पूरी हो गई है। अब ब्लड बैंक पर 31 दिसंबर 2026 तक का लाइसेंस हैं
  • शिकायत निवारण समिति की भी बताई कमी… जेएएच में शिकायत रजिस्टर संधारित नहीं होने और न ही कोई शिकायत निवारण समिति होने की भी कमी बताई है। रिपोर्ट में जीआरएमसी ने जवाब दिया है कि जब शिकायत आती है तो समिति बनाकर जांच कराते हैं। इससे कैग संतुष्ट नहीं हुआ।
  • दवा वितरण केंद्र भी कम बताए: जेएएच में मरीजों को दवा के लिए इंतजार करना पड़ता है। पुराने जेएएच में एक दवा वितरण केंद्र है। इसमें कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी और ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों को दवा दी जाती है। यहां मरीजों को एक घंटे तक का इंतजार करना करना पड़ता है। कैग ने रिपोर्ट में केंद्र की संख्या 9 से 15 तक करने की आवश्यकता बताई है। कौशल केंद्र: ट्रॉमा सेंटर के ऊपर बने कौशल केंद्र को 6 माह के भीतर स्थापित करना था, लेकिन इसे शुरू करने में प्रबंधन को 4 साल लग गए। यह केंद्र बीते साल शुरू हो गया है।

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