नोटों में दीमक लगी तो चांदी खरीदने लगा पूर्व कॉन्स्टेबल…
नोटों में दीमक लगी तो चांदी खरीदने लगा पूर्व कॉन्स्टेबल…
छापे में मिली दो साल पुरानी गडि्डयों पर छिड़का था केमिकल, RTO की सील-रसीद जब्त
परिवहन विभाग का पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा नोटों को दीमक से बचाने के लिए उन पर केमिकल छिड़कता था। लोकायुक्त सूत्रों का कहना है कि छापे के दौरान जो 1 करोड़ 72 लाख रुपए बरामद किए हैं, उन पर ये केमिकल पाया गया है। सूत्रों का ये भी कहना है कि वह कैश से चांदी या सोना खरीद लेता था। उसके दफ्तर से मिली 235 किलो चांदी की सिल्लियां इसका सबूत है।
दूसरी तरफ इस बात का भी खुलासा हुआ है कि चेकपोस्ट से मिलने वाली ब्लैक मनी का सौरभ शर्मा की काली कमाई से सीधा कनेक्शन था। उसके भोपाल स्थित अरेरा कॉलोनी वाले ठिकाने से परिवहन विभाग की सील और रसीद-कट्टे एक कार्टन में मिले हैं।
हालांकि, लोकायुक्त DG जयदीप प्रसाद से जब हमने इस बारे में सवाल किया कि क्या सौरभ के मकान से परिवहन विभाग की सील और रसीद–कट्टे भी मिले हैं? तो जवाब मिला कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। जो भी सामान जब्त हुआ है, उसकी लिस्ट तैयार की जा रही है। हालांकि, भास्कर के पास इसके प्रमाण मौजूद हैं।
लोकायुक्त अधिकारियों ने ये जरूर स्वीकार किया कि इस मामले की जड़ें बहुत गहरी हैं। यही वजह है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में जांच शुरू की है। ED अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि की है वे लोकायुक्त छापे में बरामद दस्तावेजों का अध्ययन कर रहे हैं।
चार पॉइंट्स में जानिए छापे में मिले नोट और दस्तावेजों के पीछे की कहानी
1. ढाई-ढाई लाख के पैकेट, दीमक से बचाने बोरिक पाउडर लोकायुक्त की टीम को सौरभ के दोस्त चेतन सिंह गौर के ठिकाने से जो 1.72 करोड़ रुपए मिले, वो 2.50 लाख रुपए के पैकेट या गड्डी में रखे हुए थे। इनमें दीमक से बचाने के लिए केमिकल वाला बोरिक पाउडर भी डाला गया था। इसके कुछ पैकेट में 2022 की मुहर लगी है, इससे ये आशंका है कि यहां दो साल से पैसे रखे हुए थे।
लोकायुक्त सूत्रों के मुताबिक सौरभ नकदी को दीमक से बचाने के लिए चांदी की सिल्लियों में तब्दील करता था। चेतन गौर के मकान से 235 किलो चांदी की सिल्लियां इसी बात की तरफ इशारा करती हैं। हालांकि, आयकर विभाग को दिए बयान में चेतन सिंह गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का साधारण वर्कर बताया है।
चेतन का कहना है- सौरभ जहां कहता था, मैं वहां साइन कर दिया करता था। मेरे दस्तावेज वह अलग-अलग काम बताकर ले लेता था। चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी। इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया।

2. छोटे–छोटे ताले मिले, ये अटैचियों में लगते थे इसी कमरे से लोकायुक्त अधिकारियों काे छापे के दौरान नोटों वाले कार्टन के अलावा एक कार्टन और मिला है, जिसमें छोटे ताले मिले हैं। ये ताले यहां नोटों से भरी अटैचियों में लगाए जाते थे। ये सारे ताले खुले हुए हैं। चेतन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ये ताले नोटों वाले बैग और अटैचियों पर लगे होते थे।
इसके अलावा लोकायुक्त को छापे में नोट गिनने और नोटों के बंडल बनाने की मशीनें और LED टीवी मिली है। बताया जाता है कि दिवाली पर सौरभ ने अपने परिचितों को LED टीवी गिफ्ट में दी थीं।
3. कंस्ट्रक्शन कंपनी के दस्तावेज मिले जांच एजेंसियां इस बात की जांच में जुटी है कि सौरभ और उसकी पत्नी बीते दिनों किन-किन देशों की यात्रा पर गए हैं? इसकी वजह ये है कि छापों में विदेशी करेंसी भी मिली है। जांच एजेंसी को इस बात की भी आशंका है कि दुबई में भी सौरभ ने रियल एस्टेट में निवेश किया है।
ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल की प्रॉपर्टी के दस्तावेजों से इस बात का भी संदेह है कि ये सारी प्रॉपर्टी भी सौरभ ने परिवहन विभाग की काली कमाई से बनाई है। ये प्रॉपर्टी सौरभ की मां उमा, पत्नी दिव्या और दोस्त चेतन के नाम से है। चेतन के नाम से सौरभ ने अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी भी बनाई है।
2021 में इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ है। इस कंपनी में चेतन, शरद जायसवाल और साले रोहित तिवारी को एडिशनल डायरेक्टर बताया गया है।

4. परिवहन विभाग की रसीद और अधिकारियों की सील बरामद
इस छापे में लोकायुक्त की टीम को परिवहन विभाग के रसीद-कट्टे और अधिकारियों की पदनाम वाली सील भी मिली है। ये रसीद-कट्टे एक कार्टन में भरकर रखे गए थे। सूत्रों का कहना है कि इससे ये पूरी तरह से साबित हो रहा है कि नौकरी से इस्तीफा देने के बाद भी उसका चेकपोस्ट पर वसूली का खेल बदस्तूर जारी था। अधिकारियों के पदनाम वाली सील भी अलग-अलग संभाग की मिली हैं।

लोकायुक्त अधिकारियों ने साधी चुप्पी, ED सक्रिय
छापे की इस कार्रवाई को लेकर लोकायुक्त अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। लोकायुक्त DG जयदीप प्रसाद का कहना है कि सौरभ के घर से 7.98 करोड़ कीमत की संपत्ति जब्त की है। छापे में परिवहन विभाग की सील और रसीद कट्टे के बारे में पूछने पर वे बोले कि इसकी जानकारी नहीं है। जो भी सामान जब्त हुआ है उसकी लिस्ट तैयार की जा रही है।
इधर, ED ने लोकायुक्त से छापों में मिले दस्तावेजों की जानकारी मांगी है, जो उन्हें उपलब्ध कराई जा रही है। उधर, इनकम टैक्स के अलावा लोकायुक्त भी सौरभ से पूछताछ के लिए लुकआउट नोटिस की तैयारी कर रही है। साथ ही उसकी मां उमा शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर दिया है। अगले 2 दिन में उनसे पूछताछ होगी।

ED की जांच में क्या होगा…
ED अधिकारियों ने दस्तावेज बुला लिए हैं। लोकायुक्त की बरामद लिस्ट के आधार पर ED ने जांच शुरू कर दी है। ED के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सतेंद्र सिंह कहते हैं कि अपराध से अर्जित किए गए पैसों की ED जांच कर सकता है। अधिकारी ये देखेंगे कि–
- सौरभ ने नौकरी में रहते हुए कैसे गलत तरीके से पैसा कमाया?
- भ्रष्टाचार से कमाया हुआ पैसा कहां-कहां निवेश किया?
- जिन लोगों के नाम से जमीन खरीदी, क्या उनकी कोई आय का जरिया था?
सतेंद्र सिंह कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति मनी लॉड्रिंग का आरोपी बनने से तभी बच सकता है, जब वो खुद आकर ED को बता दे कि उसके नाम से सौरभ ने कोई प्रॉपर्टी बनाई है। तब वो गवाह बनाया जा सकता है।

ट्रांसर्पोटर्स ने भी की जांच की मांग
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर लोकायुक्त के छापों को सीधे तौर पर प्रदेश के परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार बताया है। संस्था के अध्यक्ष अमृतलाल मदान, चेयरमैन डॉ. जीआर शनमुगप्पा और बल मलकीत सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे केस की CBI या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस से जांच कराने का आग्रह किया है।
