भारत में दो बड़े दिग्गजों दौरा, कैसे आ सकती है AI के क्षेत्र में क्रांति?
भारत में दो बड़े दिग्गजों दौरा, कैसे आ सकती है AI के क्षेत्र में क्रांति?
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने हाल ही में भारत में 3 बिलियन डॉलर (करीब 25,700 करोड़ रुपये) का निवेश करने की घोषणा की है.
भारत ने हाल के महीनों में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई बड़े नामों का स्वागत किया है. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, एनवीडिया के मुख्य कार्यकारी जेन्सन हुआंग, एएमडी के सीईओ लिसा सू और मेटा के मुख्य एआई वैज्ञानिक डॉ. यान लेकन जैसे वैश्विक टेक्नोलॉजी दिग्गजों ने भारत का दौरा किया है. इन सभी प्रमुखों के दौरे और भारत के तकनीकी क्षेत्र में किए गए निवेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत जल्द ही दुनिया के सबसे बड़े एआई हबों में से एक बनने की दिशा में बढ़ रहा है.
भारत, जो पहले सॉफ़्टवेयर और IT सेवाओं के लिए एक प्रमुख गंतव्य था, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है. इन दौरों के पीछे जो प्रमुख कारण हैं, वो न सिर्फ भारत के विशाल मानव संसाधन और तकनीकी विशेषज्ञता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत जल्द ही वैश्विक एआई क्रांति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है.
ऐसे में इस आर्टिकल में हम इन प्रमुखों के भारत दौरे, उनके द्वारा किए गए निवेश और निर्णयों के बारे में विस्तार से जानेंगे और यह समझेंगे कि ये भारत में एआई के क्षेत्र में कैसे क्रांति ला सकते हैं.
1. माइक्रोसॉफ्ट का 3 बिलियन डॉलर का निवेश
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने हाल ही में भारत में 3 बिलियन डॉलर (करीब 25,700 करोड़ रुपये) का निवेश करने की घोषणा की है. यह इस देश में माइक्रोसॉफ्ट का सबसे बड़ा निवेश है, और यह स्पष्ट रूप से एआई और क्लाउड कंप्यूटिंग की ओर कंपनी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस निवेश का मुख्य उद्देश्य भारत में एआई क्षमताओं को बढ़ावा देना, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और स्थानीय प्रतिभाओं को एआई के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना हैय
नडेला का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट भारत में 2030 तक 10 मिलियन लोगों को एआई कौशल में प्रशिक्षण देने की योजना बना रहा है. यह कदम न केवल भारत के एआई क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक प्रमुख एआई हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. माइक्रोसॉफ्ट का यह कदम भारत में एआई की दर को तेज़ी से बढ़ाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा, जिससे न केवल तकनीकी विशेषज्ञों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि देश के अलग अलग क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
2. एनवीडिया का भारत दौरा
साल 2024 के अक्टूबर महीने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर की ग्लोबल कंपनी और चिपमेकर एनवीडिया के प्रमुख जेन्सेन हुआंग एनवीडिया के ही एक समिट में भारत आए थे. इस दौरान उन्होंने भारत के लिए खास एआई मॉडल लॉन्च किया है. इस एआई मॉडल का नाम Nemotron-4-Mini-Hindi-4B है.
एनवीडिया का मानना है कि भारत में एआई की प्रगति के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग की जरूरत है, और उनके पास जो तकनीकी समाधान हैं, वे भारत में एआई विकास के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं. एनवीडिया ने अपनी कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट योजना में भारतीय बाजार को प्राथमिकता दी है, जहां वह अलग-अलग सरकारी और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर एआई को लेकर एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास कर रहा है. यह कदम भारत में एआई आधारित उत्पादों और सेवाओं के विकास को तेज़ी से बढ़ावा देने के लिए होगा.
3. एएमडी का भारत दौरा
एएमडी, एक अन्य प्रमुख चिप निर्माता कंपनी सीईओ लिसा सु ने हाल ही में भारत दौरा किया था. एएमडी के सीईओ लिसा सू ने भारत में एआई और मशीन लर्निंग के विकास को लेकर अपने विचार साझा किए. उनकी टीम का मानना है कि एएमडी की चिप्स भारतीय टेक स्टार्टअप्स और शोध संस्थानों के लिए गेम-चेंजर हो सकती हैं, खासकर एआई और डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में.
भारत में एआई के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए तकनीकी संसाधनों और उन्नत प्रोसेसिंग की जरूरत है, और एएमडी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने का वादा कर रहा है. इस कदम से भारतीय कंपनियों को ज्यादा सशक्त एआई समाधान मिलेंगे, और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी.
4. मेटा के एआई वैज्ञानिक का दौरा
इसके अलावा साल 2024 में ही मेटा (पूर्व में फेसबुक) के मुख्य एआई वैज्ञानिक डॉ. यान लेकन ने भी भारत का दौरा किया, जहां उन्होंने भारतीय शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के साथ एआई के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया. डॉ. लेकिन का मानना है कि भारत में एआई के लिए अपार संभावनाएं हैं, और भारतीय बाजार में निवेश करने से मेटा को नए-नए एआई मॉडल और उत्पादों को विकसित करने में मदद मिलेगी.
भारत के पास न केवल एक विशाल उपभोक्ता बाजार है, बल्कि यहां पर मौजूद तकनीकी प्रतिभाएं और युवा शक्ति भी जो इस देश को एआई के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रही हैं. डॉ. लेकन के अनुसार, भारत में एआई के क्षेत्र में आने वाली क्रांति पूरी दुनिया में प्रौद्योगिकी के विकास को प्रभावित कर सकती है.
इन दिग्गजों के भारत आने का महत्व
इस सवाल के जवाब में टेक स्टार्टअप कंपनी आर्ट लीड के सीईओ वैभव शर्मा ने एबीपी से बात करते हुए कहा कि जब वैश्विक टेक्नोलॉजी दिग्गज जैसे माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया, एएमडी, और मेटा के शीर्ष अधिकारी भारत आते हैं और अपने निवेश और रणनीतियों का खुलासा करते हैं, तो इसे केवल एक सामान्य व्यावसायिक कदम नहीं माना जा सकता. यह एक संकेत है कि भारत में एआई के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आ रही है, जो न केवल तकनीकी क्षेत्र को बदलने वाली है, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को भी प्रभावित कर सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में 3 बिलियन डॉलर का निवेश करने का निर्णय लिया है, जो भारत में किए गए सबसे बड़े निवेशों में से एक है. माइक्रोसॉफ्ट के इस पहल से क्लाउड और डेटा सेंटर का विस्तार हो सकता है. दरअसल माइक्रोसॉफ्ट का Azure, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्लाउड प्लेटफॉर्म है. जब इतने बड़े निवेश के साथ एआई और क्लाउड को प्राथमिकता जाएगी तो इसका मतलब यह है कि देश के डिजिटल और तकनीकी बुनियादी ढांचे को एक नई दिशा मिलेगी. इसके परिणामस्वरूप, भारत में हाई परफॉर्मेंस कम्प्यूटिंग और डेटा रिसोर्सेज की क्षमता में भी इजाफा होगा, जो एआई मॉडल्स को ट्रेंड करने के लिए बेहद जरूरी है.
वैभव शर्मा आगे कहते हैं माइक्रोसॉफ्ट के इस कदम से भारतीय स्टार्ट-अप्स और SMEs को क्लाउड, एआई, और डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में अधिक शक्ति और संसाधन मिलेंगे. इस तरह का इन्वेस्टमेंट छोटे और मझोले व्यवसायों को भी बड़ी कंपनियों की तरह एआई और क्लाउड टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का मौका देगा.
एनवीडिया और एआई के लिए प्रोसेसिंग पावर
वैभव शर्मा ने कहा कि एनवीडिया, जो एआई और मशीन लर्निंग के लिए सबसे बड़ी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) निर्माता है, का भारत में आना भी एआई के क्षेत्र में एक क्रांति का प्रतीक है. एनवीडिया का निवेश भारत में एआई के विकास को बढ़ावा देगा क्योंकि एआई का मुख्य इंजन GPU प्रोसेसिंग पर निर्भर है. यह भारतीय रिसर्च और टेक्नोलॉजी कंपनियों को अत्याधुनिक प्रोसेसिंग तकनीकों तक पहुंच प्रदान करेगा.
उन्होंने आगे कहा कि एनवीडिया की तकनीक भारतीय कंपनियों को मशीन लर्निंग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP), और कंप्यूटर विज़न जैसी अन्य उन्नत एआई तकनीकों को विकसित करने में मदद करेगी. इससे भारतीय कंपनियां वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेंगी.
इन कंपनियों के भारत में निवेश से एआई वर्ल्ड में क्या परिवर्तन हो सकते है
एक और टेक स्टार्टअप कंपनी के को फाउंडर अनुज कुमार ने कहा कि इन कंपनियों के निवेश से भारत में एआई और क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में नए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू होंगे. माइक्रोसॉफ्ट ने पहले ही 10 मिलियन लोगों को एआई की ट्रेनिंग देने का वादा किया है. इससे लाखों लोगों को नई तकनीक सीखने का मौका मिलेगा और वे एआई आधारित कामों के लिए तैयार हो सकेंगे. इसका फायदा स्टार्ट-अप्स और छोटे व्यवसायों को भी मिलेगा, क्योंकि उन्हें प्रशिक्षित और अनुभवी लोग मिलेंगे, जो उनके एआई प्रोजेक्ट्स को सही तरीके से चला सके.
2025 में किन स्किल की मांग सबसे ज्यादा होगी?
इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप के हेड प्रभु राम ने एबीपी न्यूज को बताया, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग, डेटा एनालिसिस और कंप्यूटर विजन कुछ प्रमुख एआई कौशल हैं. इनकी 2025 और उसके बाद बहुत अधिक मांग होगी. ये लोग रोबोट्स मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी और एग्रीकल्चर जैसी इंडस्ट्री में तेजी से अपना दायरा बढ़ा रहे हैं.
फोर्ब्स के मुताबिक, 2025 में IT सेक्टर में एआई इंजीनियरों की सबसे ज्यादा मांग होगी. पिछले साल के मुकाबले इस साल इनकी जरूरत काफी बढ़ गई है. अमेरिका में 60% आईटी मैनेजर्स एआई इंजीनियरों को नौकरी पर रख रहे हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या सिर्फ 35% थी. एआई के साथ-साथ फुल स्टैक इंजीनियर्स की भी काफी मांग है. ये इंजीनियर एआई सिस्टम बनाने में मदद करते हैं.
एआई की महत्ता सिर्फ एआई इंजीनियरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए जरूरी हो गई है. अब मैनेजर ऐसे इंजीनियरों को पसंद करेंगे जिन्हें एआई की अच्छी समझ हो, जो एआई टूल्स का इस्तेमाल कर सकें और जो एआई को प्रोडक्ट्स में जोड़ सकें. इसके अलावा सिर्फ कोडिंग करना ही काफी नहीं है. कंपनियां ऐसे लोगों को भी ढूंढ रही हैं जो एआई मॉडल्स को ट्रेन कर सकें, मशीन लर्निंग जानते हों और एआई के रिजल्ट को समझ सकें