कुंभ में भगदड़ … ठप हुई परिवहन की व्यवस्थाएं ?

कुंभ में भगदड़: ठप हुई परिवहन की व्यवस्थाएं, लखनऊ में फंसे 52 हजार लोग, 30 हजार यात्री प्रयाग में अटके

Kumbh stampede: महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद प्रशासन ने लखनऊ से प्रयागराज जाने वाली सभी बसों का संचालन बंद कर दिया था। जो बसें रवाना हो गईं थीं उन्हें बछरांवा, रायबरेली और ऊंचाहार में रोक दिया गया था। 

Kumbh stampede: Buses going from Lucknow to Prayag remained stuck throughout the day, some foreign passengers

यूपी रोडवेज की बसें रोंक दी गईं। – फोटो : एएनआई

महाकुंभ में भगदड़ मच जाने से परिवहन व्यवस्थाएं ठप हो गईं। लखनऊ से प्रयागराज जाने वाली बसों को बछरावां, रायबरेली में रोक दिया गया। वहीं त्रिवेणी एक्सप्रेस निरस्त कर दी गई। 52 हजार से अधिक श्रद्घालु मौनी अमावस्या पर प्रयागराज नहीं पहुंच सके। वहीं दूसरी ओर प्रयागराज से लखनऊ लौटने वाले यात्री स्टेशनों व बस अड्डों पर फंसे रहे। अधिकारियों के अनुसार लखनऊ के 30 हजार यात्री प्रयागराज में फंसे हुए हैं, जो हालात सामान्य होने पर वापस लौट सकेंगे।

दरअसल, बीती रात महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्घालु पहुंचे थे। हालात बेकाबू होने पर भगदड़ मच गई। इससे अव्यवस्थाएं पैदा हो गईं तथा महाकुंभ आने-जाने के रास्तों पर रोक लगा दी गई। प्रयागराज से जुड़े जिलों पर बैरिकेडिंग कर आवाजाही बंद कर दी गई। इसी क्रम में लखनऊ से प्रयागराज जाने के लिए बुधवार को आलमनगर बस टर्मिनल पर बड़ी संख्या में श्रद्घालु पहुंचे थे। पर, बसें बीच रूट फंसी होने के कारण यात्रियों को नहीं मिली।

अफसरों ने बताया कि लखनऊ से रवाना हुई बसों को बछरावां, रायबरेली में रोक दिया गया। करीब 80 से सौ बसों को बीच रास्ते बैरिकेडिंग कर रोकना पड़ा। वहीं बेला कछार फाफामऊ में बने बस अड्डे से बसें लखनऊ नहीं आ सकीं, जिससे उन्हें यहां से वापस रवाना नहीं किया जा सका। इससे यात्रियों को असुविधाएं हुईं। दूसरी ओर चारबाग रेलवे स्टेशन से रवाना होने वाले यात्रियों के लिए भी साधन का संकट बना रहा। अकेले बसों से 18 हजार से अधिक यात्री प्रयागराज नहीं जा सके।

महाकुंभ से ठसाठस भरकर लौटीं ट्रेनें

प्रयागराज में जिन श्रद्घालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान कर लिया, वे पांच ट्रेनों से लखनऊ लौटे। हालांकि, लखनऊ आने वाली ट्रेनें ठसाठस भरी हुई थीं। रेलवे स्टेशन तक पहुंचने में यात्रियों के पसीने छूट गए। 12 हजार यात्री ट्रेनों से चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचे। बरेली प्रयागराज एक्सप्रेस(14308), नौचंदी एक्सप्रेस(14242), लखनऊ प्रयाग इंटरसिटी(14210), गंगा गोमती एक्सप्रेस(14216) व त्रिवेणी एक्सप्रेस(15074) से श्रद्घालु लखनऊ पहुंचे।
महंगी फ्लाइट से पहुंचे, स्नान के लिए जूझे

लखनऊ से प्रयागराज के लिए श्रद्घालुओं ने विमान सेवाओं का भी इस्तेमाल किया। पर, भगदड़ के चलते प्रयागराज बीती 28 जनवरी को इंडिगो की डायरेक्ट फ्लाइट 6ई-7935 से पहुंचे यात्रियों को स्नान के लिए मशक्कत करनी पड़ी। 10742 रुपये का टिकट लेकर पहुंचे आलमबाग के आनंद पाठक ने बताया कि वह अरेल की ओर से घाट तक गए थे, स्नान तो हो गया। लेकिन भगदड़ के बाद हालात बेकाबू थे, ऐसी सूचनाएं लगातार मिलती रहीं।

त्रिवेणी कैंसिल, फाफामऊ में रोकी गईं ट्रेनें
लखनऊ से प्रयागराज जाने वाली गाड़ी संख्या 15074 त्रिवेणी एक्सप्रेस बुधवार को निरस्त कर दी गई। वहीं ऐहतियात के तौर पर ट्रेनों से उतरे यात्रियों को प्रयाग स्टेशन पर ही रोका गया। लंबी दूरी की ट्रेनों को फाफामऊ में ही स्टॉपेज दिया गया। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के सीनियर डीसीएम कुलदीप तिवारी ने बताया कि भगदड़ के बाद ऐहतियात के तौर पर प्रयाग के रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। प्रयाग स्टेशन के होल्डिंग एरिया में यात्रियों को रोका गया। लंबी दूरी की ट्रेनों को फाफामऊ में स्टॉपेज देकर वहीं से रवाना किया गया।

त्रिवेणी रद्द, लखनऊ में फंसे

लुधियाना से चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची जासो देवी ने बताया कि महाकुंभ जा रहे थे, लेकिन त्रिवेणी एक्सप्रेस कैंसिल कर दी गई। फिलहाल इंतजार करेंगे। हालात सामान्य होने पर प्रयागराज जाएंगे। ऐसे ही अमृतसर से आए संजय कुमार ने बताया कि परिवार के साथ पहली बार महाकुंभ स्नान करने जा रहा था। लेकिन ट्रेन रद्द होने से अगले दिन जाऊंगा। शाहजहांपुर के अभिलाष भी लखनऊ में फंसे रहे।

जा रहा भा संगम घाट, किस्मत से बचा
प्रयागराज से त्रिवेणी एक्सप्रेस बुधवार दोपहर करीब तीन बजे चारबाग स्टेशन पहुंची। बाराबंकी के प्रकाश कश्यप व मोनू यादव ने बताया कि वे अरेल की ओर थे, जहां स्नान हो गया। संगम की ओर भगदड़ मचने से हालात खराब थे। वहीं फतेहगंज निवासी प्रकाश ने कहाकि वह भाग्यशाली निकले, जो मौनी अमावस्या पर स्नान कर पाए। पहले वह संगम घाट जाना चाह रहे थे, पर किस्मत से बच गए। लखनऊ निवासी धर्मवती पाठक, ललिता चौहान ने भी अरेल की ओर जाकर घाट पर स्नान किया। चूंकि त्रिवेणी उस ओर से आती है, इसलिए आसानी से लखनऊ पहुंच सकीं, अन्यथा फंस जाती।

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