कुंभ में भगदड़ … ठप हुई परिवहन की व्यवस्थाएं ?
कुंभ में भगदड़: ठप हुई परिवहन की व्यवस्थाएं, लखनऊ में फंसे 52 हजार लोग, 30 हजार यात्री प्रयाग में अटके
महाकुंभ में भगदड़ मच जाने से परिवहन व्यवस्थाएं ठप हो गईं। लखनऊ से प्रयागराज जाने वाली बसों को बछरावां, रायबरेली में रोक दिया गया। वहीं त्रिवेणी एक्सप्रेस निरस्त कर दी गई। 52 हजार से अधिक श्रद्घालु मौनी अमावस्या पर प्रयागराज नहीं पहुंच सके। वहीं दूसरी ओर प्रयागराज से लखनऊ लौटने वाले यात्री स्टेशनों व बस अड्डों पर फंसे रहे। अधिकारियों के अनुसार लखनऊ के 30 हजार यात्री प्रयागराज में फंसे हुए हैं, जो हालात सामान्य होने पर वापस लौट सकेंगे।
अफसरों ने बताया कि लखनऊ से रवाना हुई बसों को बछरावां, रायबरेली में रोक दिया गया। करीब 80 से सौ बसों को बीच रास्ते बैरिकेडिंग कर रोकना पड़ा। वहीं बेला कछार फाफामऊ में बने बस अड्डे से बसें लखनऊ नहीं आ सकीं, जिससे उन्हें यहां से वापस रवाना नहीं किया जा सका। इससे यात्रियों को असुविधाएं हुईं। दूसरी ओर चारबाग रेलवे स्टेशन से रवाना होने वाले यात्रियों के लिए भी साधन का संकट बना रहा। अकेले बसों से 18 हजार से अधिक यात्री प्रयागराज नहीं जा सके।
त्रिवेणी कैंसिल, फाफामऊ में रोकी गईं ट्रेनें
लखनऊ से प्रयागराज जाने वाली गाड़ी संख्या 15074 त्रिवेणी एक्सप्रेस बुधवार को निरस्त कर दी गई। वहीं ऐहतियात के तौर पर ट्रेनों से उतरे यात्रियों को प्रयाग स्टेशन पर ही रोका गया। लंबी दूरी की ट्रेनों को फाफामऊ में ही स्टॉपेज दिया गया। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के सीनियर डीसीएम कुलदीप तिवारी ने बताया कि भगदड़ के बाद ऐहतियात के तौर पर प्रयाग के रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। प्रयाग स्टेशन के होल्डिंग एरिया में यात्रियों को रोका गया। लंबी दूरी की ट्रेनों को फाफामऊ में स्टॉपेज देकर वहीं से रवाना किया गया।
जा रहा भा संगम घाट, किस्मत से बचा
प्रयागराज से त्रिवेणी एक्सप्रेस बुधवार दोपहर करीब तीन बजे चारबाग स्टेशन पहुंची। बाराबंकी के प्रकाश कश्यप व मोनू यादव ने बताया कि वे अरेल की ओर थे, जहां स्नान हो गया। संगम की ओर भगदड़ मचने से हालात खराब थे। वहीं फतेहगंज निवासी प्रकाश ने कहाकि वह भाग्यशाली निकले, जो मौनी अमावस्या पर स्नान कर पाए। पहले वह संगम घाट जाना चाह रहे थे, पर किस्मत से बच गए। लखनऊ निवासी धर्मवती पाठक, ललिता चौहान ने भी अरेल की ओर जाकर घाट पर स्नान किया। चूंकि त्रिवेणी उस ओर से आती है, इसलिए आसानी से लखनऊ पहुंच सकीं, अन्यथा फंस जाती।