भाजपा की चुनौतियां भी कम नहीं. … 70 में से 31 विधायक दागी, भाजपा के सबसे अधिक !

 

Delhi Election Result: 70 में से 31 विधायक दागी, भाजपा के सबसे अधिक; 64 फीसदी नए विधायकों के पास स्नातक डिग्री

दिल्ली चुनाव में जीत कर आए 70 में से 31 विधायक दागी हैं। इनमें भाजपा के सबसे ज्यादा हैं। पिछली बार 43 जीते विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे।  प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति 2020 में 14.29 करोड़ से बढ़कर 22.04 करोड़ हो गई है।
Delhi Election Result…
दिल्ली विस चुनाव में इस बार आपराधिक मामले झेल रहे विधायकों की संख्या में कमी आई है। चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार पिछली बार की तुलना में इस बार 70 में से जीते हुए 31 विधायक ही ऐसे रहे जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

पिछली बार यही संख्या 43 थी। पार्टी के हिसाब से देखें तो भाजपा के 48 विधायकों में से 16 और आप के 22 विधायकों में से 15 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। भाजपा के सात और आप के 10 विधायक गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। 

एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच ने विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सभी 699 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण किया और पाया कि गंभीर आपराधिक मामलों वाले विजयी उम्मीदवारों की संख्या अभी भी चिंता का विषय है।

रिपोर्ट में पाया गया कि 17 नवनिर्वाचित उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें हत्या के प्रयास और महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले भी शामिल हैं। 

2020 के चुनाव में 37 विजयी उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे। 2025 में एक नवनिर्वाचित विधायक ने हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित किए हैं, जबकि दो अन्य महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
70 नवनिर्वाचित विधायकों के पास कुल 1,542 करोड़ की संपत्ति
रिपोर्ट के अनुसार, 70 नवनिर्वाचित विधायकों के पास कुल 1,542 करोड़ रुपये की संपत्ति है। प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति 2020 में 14.29 करोड़ रुपये से बढ़कर 22.04 करोड़ रुपये हो गई है। भाजपा के विधायकों का संपत्ति चार्ट पर दबदबा है, जिनकी औसत संपत्ति मूल्य 28.59 करोड़ रुपये है, जबकि आप की 7.74 करोड़ रुपये है। 

115 करोड़ रुपये से लेकर 259 करोड़ रुपये तक की संपत्ति वाले भाजपा के तीन उम्मीदवार विजयी हुए हैं। इसके विपरीत, आप के तीन उम्मीदवारों ने 20 लाख रुपये से कम संपत्ति घोषित की। 44 प्रतिशत विजयी उम्मीदवारों के पास 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की संपत्ति है, जबकि केवल 3 प्रतिशत की कुल संपत्ति 20 लाख रुपये से कम है।
 
भाजपा के परवेश वर्मा पर 74 करोड़ की देनदारी
23 विजयी उम्मीदवारों ने 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की देनदारियां घोषित कीं। इनमें भाजपा के परवेश वर्मा 74 करोड़ रुपये की देनदारी के साथ शीर्ष पर रहे। तीन सबसे धनी विधायक भी भाजपा से हैं, जिसमें करनैल सिंह 259.67 करोड़ रुपये, मनजिंदर सिंह सिरसा 248.85 करोड़ रुपये और परवेश वर्मा 115.63 करोड़ रुपये शामिल हैं।
64 फीसदी नए विधायकों के पास स्नातक डिग्री
64 प्रतिशत नए विधायकों के पास स्नातक या उससे ऊपर की डिग्री है, जबकि 33 प्रतिशत ने अपनी शैक्षणिक योग्यता कक्षा 5 से कक्षा 12 के बीच बताई। उम्र के मामले में, 67 प्रतिशत विजयी उम्मीदवार 41 और 60 के बीच हैं, जबकि 20 प्रतिशत 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
महिलाओं की प्रतिनिधित्व घटा
इस बार महिलाओं का प्रतिनिधित्व घटा है। केवल पांच महिलाएं ही चुनी गई हैं, जो 2020 में आठ से कम है। फिर से चुने गए विधायकों की संपत्ति में वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया है। सदन के लिए फिर से चुने गए 22 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 2020 में 7.04 करोड़ रुपये से 25 प्रतिशत बढ़कर 2025 में 8.83 करोड़ रुपये हो गई है।

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भाजपा की चुनौतियां भी कम नहीं… जनता की उम्मीदों पर उतरना होगा खरा; आप के लिए मुसीबत बनेगा ये!

बड़ी जीत पाने वाली भाजपा के लिए चुनौतियां भी कम नहीं है। जनता की कसौटी पर खरा उतरना होगा। चुनाव के दौरान वादों की झड़ी लगा दी थी। 100 दिन के शासन में छूट सकते हैं पसीने पूरा करने में आम आदमी पार्टी की राह में कई रोड़े हैं।
राजनीतिक में शह और मात के खेल में भाजपा ने आम आदमी पार्टी पर बड़ी जीत हासिल की है। अब आगे भी चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बड़े-बड़े वादों के सहारे चुनाव जीतने वाली भाजपा को तेजी से काम भी करना पड़ेगा। बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी उस पर रहेगा। 

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के संकट अभी थमते नहीं दिख रहे है। भाजपा जिस तरीके से विधानसभा की पहली बैठक में सीएजी की रिपोर्ट पटल पर रखने की बात कर रही है। इससे संकट और बढ़ सकता है। 
अरविंद केजरीवाल के इर्द-गिर्द सिमटी पार्टी की चुनौती यही होगी कि भाजपा की तरफ से हो रहे हमले का जवाब किस तरह से देती है। दिल्ली में सत्ता किसकी होगी यह तो जनादेश ने तय कर दिया है। भाजपा की बड़ी जीत हुई है। 

70 विधानसभा में 48 विधायक चुने गए है। अब एक तो मंत्री, मुख्यमंत्री बनाने को लेकर आपसी खींचतान शुरू हो सकती है वहीं दूसरी ओर 26 साल से सत्ता से दूरी रही पार्टी को शासन-प्रशासन भी चलाने में शुरुआती परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

दिल्ली की जनता 100 दिन के रिपोर्ट कार्ड का भी आंकलन करेगी। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी चुनावी रैली में कई तरह की गारंटियां दी हैं। इसमें झुग्गीवालों को पक्का मकान और महिला सम्मान योजना मुख्य है। 

आठ मार्च तक महिलाओं के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर भी करने का वादा किया है। ऐसे में इसकी पूरी योजना तैयार करनी होगी और किसे यह राशि दी जाएगी इसका पूरा लेखा-जोखा करना होगा। राजकोष की समस्या से भी दो-चार होना पड़ सकता है। 
भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान खुद आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप लगाती रही है कि दिल्ली का बजट घाटे में चल रहा है। फिर भी बिजली-पानी पर जो सब्सिडी दी जा रही है उसे जारी रखना भी चुनौती होगी। होली नजदीक है। 

ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को एलपीजी सिलिंडर भी मुफ्त देने हैं। साथ ही 500 रुपये में एलपीजी सिलिंडर देने का वादा भी परेशानी का सबब बन सकता है। भाजपा ने यमुना को साफ करने का वादा किया है। 

आप के लिए मुसीबत बन सकता है भ्रष्टाचार
आम आदमी पार्टी के खिलाफ जिस तरह से भाजपा का मूड दिख रहा है उससे साफ जाहिर है कि भ्रष्टाचार के आरोप से बेदाग होना उसके लिए मुश्किल भरा सफर हो सकता है। शनिवार को पीएम मोदी ने भी कहा कि जिसने लूटा है उसे लौटाना पड़ेगा। 

यह भी स्पष्ट कर दिया कि सत्र शुरू होने के साथ ही सीएजी की फाइल को सदन के पटल पर रखा जाएगा। ऐसे में जितनी भी वित्तीय अनियमितताएं हैं वह उजागर होंगी। भाजपा सरकार इनकी भी जांच के आदेश दे सकती है।
 
चुनाव जीतकर आए विधायकों पर भी गिर सकती है गाज
जांच हुई तो विधानसभा चुनाव जीतकर आए आप के विधायकों पर भी इससे गाज गिर सकती है। आने वाले समय में जेल से बेल पर आए पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन समेत कई नेताओं की फाइलें खुलेंगी। 
ईडी, सीबीआई समेत अन्य जांच एजेंसिया भी सक्रिय होने के कयास लगाए जा रहे है। इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है। नियम के तहत पहले ही दिल्ली सचिवालय को सुरक्षा के घेरे में ले लिया गया है।
विधानसभा सत्र में भी दिखेगी तकरार
पिछले विधानसभाओं में भाजपा के सदस्य काफी कम थे। 2015 के चुनाव में भाजपा के तीन विधायक सदन में थे वहीं 2020 के चुनाव में 70 में से आठ विधायक ही चुनकर आए थे। सत्र के दौरान भाजपा विधायकों को बराबर मार्शल आउट किया जाता था। बोलते वक्त उनका माइक तक बंद करने आरोप भाजपा विधायक लगाते थे। 

यह भी भाजपा आरोप लगाती रही कि विधानसभा अध्यक्ष अपनी कुर्सी की गरिमा पर ध्यान नहीं देते और सत्ता पक्ष के इशारों पर काम करते है। अब पाला भाजपा के पक्ष में है। 48 विधायक भाजपा के सदन में रहेंगे वहीं 22 विधायक आम आदमी पार्टी के। लिहाजा सदन मजबूत विपक्ष होने पर टकराव की स्थिति होगी।

एलजी भी मुख्य भूमिका में रहेंगे
आम आदमी पार्टी सरकार की कई फाइलें एलजी के पास हैं। दिल्ली सरकार की कई योजनाओं की जांच चल रही है। अनियमितताओं की वजह से कई योजनाएं ठप भी है। अब राजनिवास से भी आप की सरकार पर प्रहार शुरू होगा। 

इसमें मार्शल, डिस्कॉम, जय भीम योजना, पेंशन योजना, झुग्गी वालों के लिए बने मकान को नहीं देना समेत कई विभाग में अनियमितता पाई गई थी। भाजपा यह आरोप भी लगाती रही है कि केंद्र सरकार से मिले फंड को आम आदमी पार्टी की सरकार ने भ्रष्टाचार किया है। अब ये सब फाइल खुल सकती है।

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