कोरोना हॉटस्पॉट बने निजामुद्दीन मरकज में यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड समेत 19 राज्यों के लोग रुके थे

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज में शामिल आधे से अधिक लोग दो राज्यों तमिलनाडु और असम से आए थे। अधिकारियों ने कहा है कि निजामुद्दीन क्षेत्र में जमात का मुख्यालय भारत में सबसे बड़े कोरोना वायरस हॉटस्पॉट में से एक के रूप में उभरा है जिसमें अभी तक 24 लोग कोरोना से पीड़ित मिले हैं, जबकि लगभग 200 लोगों में संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं।

अधिकारियों की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु से 510, असम से 281, उत्तर प्रदेश से 156, महाराष्ट्र से 109 और बिहार से 86 लोग इसमें शामिल हुए थे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल से 73, तेलंगाना से 55, झारखंडा से 46, उत्तराखंड से 34, हरियाणा से 22, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 21, राजस्थान से 19, हिमाचल प्रदेश, केरल और ओडिशा से 15-15, पंजाब से 9 और मेघालय से 5 लोग शामिल हुए थे।

अधिकारियों की माने तो इस मरकज में लगभग 1800 लोग शामिल हुए थे, जिसमें 281 विदेशी भी हैं। अधिकारियों ने कहा कि विदेशियों के वीजा मानदंडो को समाप्त कर दिया गया है। अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि ये मेंडेटरी मिशनरी वीजा के वजाय पर्यटक वीजा के आधार पर देश में आए हैं।

मरकज से कोरोना के 24 मरीज मिलने के बाद हड़कंप मच गया था। जिसके बाद 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। निजामुद्दीन मस्जिद वाले इलाके को सील कर दिया गया है। इनके संपर्क में आए 1600 लोगों को पुलिस तलाश रही है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थय संगठन की टीम ने इलाके का दौरा किया है। पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद निजामुद्दीन मरकज का बयान आया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि 22 मार्च को ही मरकज को बंद कर दिया गया था।

तब्लीग़ी जमात 100 साल से पुरानी संस्था है जिसका हेडक्वार्टर दिल्ली की बस्ती निज़ामुद्दीन में है। यहां देश और विदेश से लोग लगातार सालों भर आते रहते हैं। यह सिलसिला लगातार चलता है, जिसमें लोग दो दिन, पांच दिन या 40 दिन के लिए आते हैं। लोग मरकज में ही रहते हैं और यहीं से तबलीग का काम करते हैं।

जब भारत में जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे, उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा। 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बंद होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। फिर भी दिल्ली और आस पास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।

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