भारत में मुगल और मुसलमान शासकों में फर्क क्या था?
भारत में मुगल और मुसलमान शासकों में फर्क क्या था?
भारत में अक्सर मुगलों को लेकर तर्क-वितर्क होता रहता है. अभी औरंगजेब की कब्र को लेकर भी महाराष्ट्र में विवाद चल रहा है.
मुसलमान शासकों की शुरुआत मोहम्मद गौरी से मानी जाती है. वह गौरी वंश का था और 1173 से 1206 तक भारत पर प्रभाव डाला. उसने 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराया, लेकिन भारत में शासन करने नहीं रुका. उसकी मृत्यु 1206 में हुई और उसने अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली में छोड़ दिया. इसके बाद दिल्ली सल्तनत शुरू हुई, जिसमें कई वंश आए. गुलाम वंश 1206 से 1290 तक चला. इसमें कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से 1210 तक (4 साल) शासन किया और कुतुबमीनार शुरू की. इल्तुतमिश ने 1211 से 1236 तक (25 साल) शासन किया और सल्तनत को मजबूत किया. रजिया सुल्तान ने 1236 से 1240 तक (4 साल) शासन किया और वह पहली महिला शासक थी. इस वंश का वर्णन मिनहाज-उस-सिराज की किताब “तबकात-ए-नासिरी” में मिलता है, जो 1260 तक के इतिहास को बताती है. मिनहाज गुलाम वंश का दरबारी लेखक था और उसने शासकों के गुणों और घटनाओं का जिक्र किया.
गुलाम वंश के बाद खिलजी वंश आया, जो 1290 से 1320 तक रहा. इसमें अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 से 1316 तक (20 साल) शासन किया. उसने दक्षिण भारत पर हमले किए और बाजार नियंत्रण की नीति बनाई. अमीर खुसरो, जो अलाउद्दीन का दरबारी कवि था, ने अपनी किताब “खजाइन-उल-फुतुह” में उसके शासन का वर्णन किया. खुसरो ने खिलजी की जीत और दरबार की शान को बताया. इसके बाद तुगलक वंश आया, जो 1320 से 1414 तक चला. गयासुद्दीन तुगलक ने 1320 से 1325 तक (5 साल) शासन किया. मोहम्मद बिन तुगलक ने 1325 से 1351 तक (26 साल) शासन किया और राजधानी को दौलताबाद ले जाने की असफल कोशिश की. फिरोज शाह तुगलक ने 1351 से 1388 तक (37 साल) शासन किया और नहरें बनवाईं. जियाउद्दीन बरनी की किताब “तारीख-ए-फिरोजशाही” में तुगलक वंश का इतिहास है. बरनी ने फिरोज को आदर्श शासक बताया और 1357 तक की घटनाएं लिखीं.
तुगलक वंश के बाद लोदी वंश आया, जो 1451 से 1526 तक रहा. सिकंदर लोदी ने 1489 से 1517 तक (28 साल) शासन किया और इब्राहिम लोदी ने 1517 से 1526 तक (9 साल) शासन किया. इब्राहिम को बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में हराया. इन मुसलमान शासकों का शासन सख्त था. वे लूट और युद्ध पर ध्यान देते थे और इस्लाम को फैलाने की कोशिश करते थे. इनके बारे में जानकारी फारसी स्रोतों से मिलती है, जैसे हसन निजामी की “ताजुल मासिर”, जिसमें कुतुबुद्दीन और गौरी की विजयें लिखी हैं. ये शासक बाहर से आए और उनका शासन अस्थिर था, क्योंकि वंश बदलते रहे.
अब मुगल शासकों की बात करते हैं. मुगल वंश की शुरुआत बाबर से हुई, जो 1526 में भारत आया और 1530 तक शासन किया (4 साल). उसने पानीपत की पहली लड़ाई जीती. उसकी आत्मकथा “बाबरनामा” में उसके जीवन और विजयों का जिक्र है. उसके बेटे हुमायूं ने 1530 से 1540 और 1555 से 1556 तक (11 साल) शासन किया. बीच में उसे शेर शाह सूरी ने हराया। अकबर ने 1556 से 1605 तक (49 साल) शासन किया और मुगल साम्राज्य को बड़ा किया. अबुल फजल की किताब “अकबरनामा” में अकबर के शासन की पूरी जानकारी है. अबुल फजल अकबर का दरबारी था और उसने अकबर को महान शासक बताया. अकबर ने जजिया हटाया और सब धर्मों को सम्मान दिया. जहांगीर ने 1605 से 1627 तक (22 साल) शासन किया और अपनी आत्मकथा “तुजुक-ए-जहाँगीरी” लिखी, जिसमें कला और प्रशासन का जिक्र है.
शाहजहां ने 1628 से 1658 तक (30 साल) शासन किया और ताजमहल बनवाया. उसके शासन का वर्णन इनायत खां की “शाहजहांनामा” में है. औरंगजेब ने 1658 से 1707 तक (49 साल) शासन किया और सबसे बड़ा साम्राज्य बनाया, लेकिन सख्त नीतियां अपनाईं. मुस्तईद खां की “मासिर-ए-आलमगीरी” में औरंगजेब का इतिहास है. औरंगजेब के बाद मुगल कमजोर हुए. 1707 से 1857 तक कई शासक आए, जैसे बहादुर शाह जफर, जिसने 1837 से 1857 तक (20 साल) शासन किया, लेकिन उसका शासन नाममात्र का था. मुगल वंश का कुल शासन 1526 से 1857 तक (331 साल) रहा. अब्दुल कादिर बदायूंनी की “मुन्तखब-उत-तवारीख” में अकबर के समय की आलोचना है. बदायूंनी कट्टर था और अकबर की उदार नीति से नाराज था.
मुसलमान शासक और मुगल में बड़ा फर्क था. मुसलमान शासक बाहर से आए, जैसे गौरी (1173-1206), गुलाम (1206-1290), खिलजी (1290-1320), तुगलक (1320-1414), लोदी (1451-1526). उनका शासन छोटा और अस्थिर था. मुगल एक वंश था, जो 1526 से 1857 तक चला. मुसलमान शासकों का मकसद लूट और इस्लाम का प्रसार था, जबकि मुगलों ने बाद में साम्राज्य बनाया और संस्कृति को बढ़ाया. मुसलमान शासक सख्त थे, लेकिन मुगलों में अकबर उदार था, हालांकि औरंगजेब क्रूर था. मुसलमान शासकों ने कुतुब मीनार और नहरें बनवाईं, पर लूट ज्यादा की. मुगलों ने ताजमहल, लाल किला और कला दी.
मुसलमान शासक कई वंशों से आए और छोटे समय के लिए रहे, जबकि मुगल एक वंश था और 300 साल से ज्यादा शासन किया. यह फर्क इतिहासकारों की किताबों जैसे “तबकात-ए-नासिरी”, “अकबरनामा” और “तारीख-ए-फिरोजशाही” से साफ होता है.