कर्नाटक में MLA-MLC की सैलरी बढ़ाने के लिए बिल आएगा !

कर्नाटक में MLA-MLC की सैलरी बढ़ाने के लिए बिल आएगा:31 विधायकों की 100 करोड़ की संपत्ति, डिप्टी CM के पास 1400 करोड़ की प्रॉपर्टी
नेता प्रतिपक्ष (LoP), सत्ता पक्ष और विपक्ष के चीफ व्हिप की सैलरी बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।

कर्नाटक के विधायकों (MLA) और विधान परिषद के सदस्यों (MLC) की सैलरी बढ़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधानसभा में बिल लाकर जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। राज्य सरकार कर्नाटक विधानमंडल वेतन, पेंशन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2025 लाने की तैयारी कर रही है।

इस बिल में मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों के वेतन में 100% तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। इसके पारित होने पर MLA और MLC की सैलरी दोगुनी हो जाएगा। मुख्यमंत्री का वेतन 75 हजार रुपए से बढ़कर 1.5 लाख रुपए प्रतिमाह हो जाएगा।

विधान परिषद के सभापति और विधानसभा अध्यक्ष का वेतन 75 हजार रुपए से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है। उपसभापति और उपाध्यक्ष का वेतन 60 हजार से 80 हजार रुपए किया जा सकता है। इनके अलावा नेता प्रतिपक्ष (LoP), सत्ता पक्ष और विपक्ष के चीफ व्हिप की सैलरी भी बढ़ेगी।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में 31 विधायकों के पास 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। जिसके साथ राज्य भारत के सबसे अमीर विधायकों की सूची में सबसे ऊपर है।

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार 1,413 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति के साथ राज्य के सबसे अमीर विधायक हैं।

 

मंत्रियों का वेतन भी दोगुना होगा

विधायकों के वेतन के अलावा कर्नाटक मंत्री वेतन और भत्ता अधिनियम, 1956 में भी संशोधन का प्रस्ताव है। इसके जरिए मंत्री का वेतन 60 हजार रुपए से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए किया जाएगा। वहीं, सप्लीमेंट्री अलाउंस 4.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है। अभी मंत्रियों को HRA के रूप में मिलने वाले 1.2 लाख रुपए बढ़कर 2 लाख रुपए हो सकते हैं।

6 साल में 10 पेशों में सिर्फ सांसदों-विधायकों का वेतन बढ़ा

नीति आयोग के जुलाई, 2024 में पब्लिश वर्किंग पेपर से पता चलता है कि देश में साल 2018 से 2023 के बीच के 6 साल में सिर्फ सांसदों-विधायकों के वेतन और भत्ते ही बढ़े हैं।

इसमें कहा गया है कि सांसदों-विधायकों को पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे के 10 विभिन्न पेशों की पहली श्रेणी में रखा गया है, जिनमें लैजिस्लेटिव प्रोफेशनल्स के अलावा सीनियर ऑफिसर्स और मैनेजर्स शामिल हैं।

इसमें EPFO और अन्य आंकड़ों के बेस पर 6 साल में वेतन और भत्ते में हुई वृद्धि को आंका गया है। जनप्रतिनिधियों के अलावा प्लांट-मशीन वर्कर्स की श्रेणी में वेतन-भत्ते भी बढ़े हैं।

बाकी के वेतन-भत्ते में गिरावट

  • नीति आयोग के पेपर के अनुसार 2018 से 2023 के बीच सबसे बड़ा आश्चर्य यह रहा कि औपचारिक रोजगार दोगुना होने के बावजूद वेतनभोगी वर्करों की मांग उनकी सप्लाई के मुकाबले घटी है। यह निष्कर्ष EPFO के आंकड़ों के आधार पर निकाला गया है।
  • सभी प्रकार के रियल वेजेस एवं सैलरीड वर्कर्स में कमी के पैटर्न के बारे में वर्किंग पेपर में कहा गया है कि ग्लोबल सप्लाई में बाधा और कमोडिटी प्राइस में उथल-पुथल इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।
  • दूसरी ओर, कैजुअल वर्कर्स के रियल वेजेस में हर श्रेणी में बढ़ोतरी हुई है। इनमें भी क्लर्क और प्रोफेशनल्स के वेतन-भत्ते अपवाद हैं। कैजुअल लेबर के रियल वेजेस में सबसे अधिक 2.8% की बढ़ोतरी हुई, जबकि जॉब ग्रोथ सिर्फ 0.6% रही।
  • जॉब स्किलिंग में कमजोरी का संकेत यह है कि हर प्रकार के वर्कर्स में भले ही वे सेल्फ एम्प्लॉयड हों, वेतनभोगी हों या कैजुअल हों, सब में क्लर्कों के वेतन-भत्तों में गिरावट।

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