इंटरनेट पर अश्लील वेबसाइटों की वजह से बढ़ रही है महिलाओं के खिलाफ हिंसा?
इंटरनेट पर अश्लील वेबसाइटों की वजह से बढ़ रही है महिलाओं के खिलाफ हिंसा?
भारत दुनिया में आपत्तिजनक फिल्में देखने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है और रेप के मामलों में चौथे नंबर पर. यौन हिंसा महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालती है.
आज के समय में इंटरनेट हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. लोग इसका इस्तेमाल पढ़ाई, काम और मनोरंजन के लिए करते हैं. लेकिन इंटरनेट पर कुछ ऐसी चीजें भी मौजूद हैं, जो समाज के लिए नुकसानदायक साबित हो रही हैं. अश्लील साइट्स (अश्लील या अश्लील सामग्री) भी उन्हीं में से एक हैं. इन साइट्स को देखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
सेज जर्नल्स की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इंटरनेट के साथ-साथ अश्लील फिल्में देखने का चलन भी बढ़ गया है. लगभग 12% वेबसाइटें अश्लील फिल्मों से जुड़ी हुई हैं. आजकल लोगों को आसानी से अश्लील फिल्में मिल जाती हैं. अनुमान है कि 18 साल से कम उम्र के 90% लड़कों और 60% लड़कियों ने कभी न कभी अश्लील फिल्में देखी हैं. पहली बार अश्लील फिल्में देखने की औसत उम्र 12 साल मानी जाती है.
लगभग 88% अश्लील फिल्मों में शारीरिक हिंसा दिखाई जाती है, 48% में मौखिक हिंसा (गाली-गलौज) और 94% मामलों में निशाना महिलाएं होती हैं. इन वीडियो में पुरुषों को हमेशा ताकतवर दिखाया जाता है, जबकि महिलाएं दबी हुई और आज्ञाकारी दिखाई जाती हैं. ये पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता को दर्शाता है. कई समाजों में पुरुषों को महिलाओं से बेहतर माना जाता है और ये सोच महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा देती है.
ऐसे में सवाल उठता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बच्चों के गलत इस्तेमाल को देखते हुए सरकार ने इंटरनेट पर अश्लील सामग्री को रोकने के लिए क्या किया है? बच्चों को सोशल मीडिया ऐप्स और दूसरी ऑनलाइन जगहों पर गलत सामग्री देखने से बचाने के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं? क्या सरकार उन वेबसाइट्स और ऐप्स पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है जो अश्लील सामग्री दिखाती हैं?
भारत: अश्लील फिल्में देखने में तीसरा, रेप में चौथा!
सेज जर्नल्स ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में बताया है कि भारत दुनिया में अश्लील फिल्में देखने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है और रेप के मामलों में चौथे नंबर पर. यौन हिंसा महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालती है. इसलिए, यौन उत्पीड़न को एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या माना जाता है. भारत में हर दिन लगभग 93 महिलाओं के साथ रेप होता है.
रेप के बढ़ते मामलों से लगता है कि भारत में अश्लील फिल्मों की लत और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के बीच कोई संबंध हो सकता है. इंटरनेट पर अश्लील फिल्में देखने और यौन इच्छाओं के बारे में कुछ रिसर्च हुई हैं, लेकिन भारत में अश्लील फिल्मों की लत और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के बारे में कोई खास रिसर्च नहीं हुई है.
इंटरनेट पर अश्लील सामग्री के खिलाफ क्या है नियम?
इंटरनेट को सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह बनाने के लिए केंद्र सरकार ने कई कड़े नियम बनाए हैं. इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 (IT Act) के तहत इंटरनेट पर अश्लील या अश्लील सामग्री को पोस्ट करना या फैलाना अपराध है. अगर कोई व्यक्ति इस तरह की सामग्री इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (जैसे वेबसाइट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप आदि) पर शेयर करता है, तो उसे सजा हो सकती है.
ये कानून बच्चों के मामले में और भी सख्त है. अगर कोई इंटरनेट पर ऐसी चीजें डालता है जिसमें बच्चों के साथ कुछ गलत हो रहा है, तो कड़ी सजा का प्रावधान है. यह कानून बच्चों को ऑनलाइन शोषण से बचाने में मदद करता है.
सरकार ने इंटरनेट पर अश्लील सामग्री रोकने के लिए क्या किया?
संसद में पूछे गए इस सवाल के जवाब में सरकार ने कहा, अगर कोई भी वेबसाइट बच्चों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो दिखाती है, तो सरकार उसे तुरंत बंद कर देती है. इंटरपोल (इंटरनेशनल पुलिस) दुनिया भर में क्राइम से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करता है. जब इंटरपोल भारत की सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) को बच्चों से जुड़ी अश्लील वेबसाइटों की लिस्ट भेजता है, तो सरकार तुरंत उन वेबसाइटों को बंद कर देती है.
सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) को आदेश दिया है कि वो ‘इंटरनेट वॉच फाउंडेशन, यूके’ और ‘प्रोजेक्ट एराक्निड, कनाडा’ जैसी संस्थाओं की लिस्ट का इस्तेमाल करें. इन लिस्ट में बच्चों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो दिखाने वाली वेबसाइटों की जानकारी होती है. ISP को इन लिस्ट को लगातार अपडेट करना होता है और ऐसी वेबसाइटों को तुरंत बंद करना होता है.
सरकार ने ISP से कहा है कि वो अपने ग्राहकों को ‘पेरेंटल कंट्रोल फिल्टर’ के बारे में जानकारी दें. ऐसे टूल्स जिससे पेरेंट्स अपने बच्चों को गलत वेबसाइटों से बचा सकें. इसके साथ ही, जिन ISP के पास इंटरनेशनल लॉन्ग-डिस्टेंस लाइसेंस है, उनको सरकार ने कुछ वेबसाइटों को पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया है, क्योंकि उन वेबसाइटों पर बच्चों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो मिल रही थी.
सोशल मीडिया कंपनियों के लिए क्या है नियम?
सरकार ने 2021 में ‘इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021’ नाम का एक नया नियम बनाया है. ये नियम सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी तय करता है. अगर कोई भी सोशल मीडिया कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर कोई गलत चीज होने देती है, तो वो खुद भी कानून के लपेटे में आ जाती है.
खासकर मेसैजिंग सेवा देने वाले व्हाट्सऐप जैसी कंपनियों के लिए ये नियम है कि अगर उनके प्लेटफॉर्म पर कोई रेप, अश्लील वीडियो या बच्चों के साथ गलत काम से जुड़ी जानकारी फैलती है, तो उन्हें ये बताना पड़ेगा कि वो जानकारी सबसे पहले किसने भेजी थी. इससे सरकार को पता चल जाएगा कि गड़बड़ करने वाला कौन है.
अगर किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी की प्राइवेट फोटो या वीडियो भेजी जाती है, तो कंपनी को 24 घंटे के अंदर उसे हटाना होगा. अगर नहीं हटाया, तो फिर वही कंपनी खुद भी फंस सकती है. अगर किसी ने सोशल मीडिया कंपनी को किसी गलत चीज की शिकायत की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. तो वह व्यक्ति सरकार के पास भी जा सकता है. सरकार ने ‘ग्रीवेंस अपीलेट कमेटी’ बनाई है, जहां अपनी शिकायत लेकर जा सकते हैं.
फिल्मों और ऑनलाइन कंटेंट के लिए क्या है नियम
भारत में फिल्मों को रिलीज से पहले एक संस्था देखती है कि वो फिल्म कैसी है, क्या उसे सबको दिखाया जा सकता है या नहीं. इस संस्था का नाम है ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन’ (CBFC). इसे आम भाषा में सेंसर बोर्ड कहते हैं. ये लोग ‘सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952’ और ‘सिनेमैटोग्राफ (सर्टिफिकेशन) रूल्स 1983’ के हिसाब से फिल्मों को देखते हैं.
सेंसर बोर्ड के नियम के मुताबिक, अगर कोई फिल्म बच्चों या कम उम्र के लोगों के लिए अनुचित पाई जाती है, तो उसे केवल वयस्कों (Adult) के लिए प्रमाणित किया जाता है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि अश्लील, हिंसक या अनुचित सामग्री बिना रोक-टोक के सभी लोगों तक न पहुंचे.
आईटी एक्ट 2021 के तहत ऑनलाइन कंटेंट (जैसे नेटफिलिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार आदि) के लिए एथिक्स कोड लागू किया गया है. इन प्लेटफॉर्म्स को अपनी फिल्मों और वेब सीरीज को उम्र के हिसाब से बांटना होता है. अगर कोई चीज सिर्फ बड़ों के लिए है, तो ओटीटी प्लेटफॉर्म को ये देखना होता है कि देखने वाला सच में बड़ा है या नहीं.
हालांकि, सरकार ने संसद में यह स्पष्ट नहीं किया कि भारत में इंटरनेट पर कुल कितनी अश्लील साइट्स मौजूद हैं और अब तक कितनी वेबसाइटों को ब्लॉक किया गया है. सरकार ने केवल अश्लील कंटेंट से जुड़े कानूनों और नियमों की जानकारी दी है, लेकिन इस मुद्दे पर कोई ठोस आंकड़े पेश नहीं किए.