सभी सांसदों की सैलरी-भत्ता और पेंशन बढ़ी, आम जनता हाल-बेहाल ?

सभी सांसदों की सैलरी-भत्ता और पेंशन बढ़ी, आम जनता हाल-बेहाल

महंगाई के हिसाब से सांसदों के वेतन-भत्ता और पेंशन बढ़ा दी गई है. खास बात ये है कि इस फैसले पर संसद में किसी भी पार्टी ने कोई खास विरोध दर्ज नहीं कराया है.

भारत में एक तरफ सांसदों की सैलरी और सुविधाएं बढ़ रही हैं, तो दूसरी तरफ आम मज़दूरों और मेहनतकश लोगों की कमाई या तो रुक गई है या कम हो रही है. यह खबर देश में बढ़ती आर्थिक असमानता की ओर इशारा करती है. सरकार ने सांसदों की सैलरी में 24% की बढ़ोतरी की है. पहले हर सांसद को हर महीने 1 लाख रुपये मिलते थे, अब उन्हें 1.24 लाख रुपये मिलेंगे. यह नई सैलरी 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी, यानी पिछले दो साल का बढ़ा हुआ पैसा भी सांसदों को मिलेगा. लेकिन जब हम आम लोगों की कमाई की बात करते हैं, तो “इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024” (ILO) बताती है कि पिछले 10 साल में नौकरी करने वालों और खुद का काम करने वालों की असली कमाई घटी है. दिहाड़ी मज़दूरों की कमाई में थोड़ी बढ़ोतरी हुई, लेकिन वह भी बहुत कम है. 

सांसदों की सैलरी बढ़ाने का फैसला कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) के आधार पर लिया गया है. आसान शब्दों में कहें तो चीजें महंगी हो रही हैं, इसलिए सैलरी बढ़ाई गई. 2018 में मोदी सरकार ने एक नियम बनाया था कि हर पांच साल में सांसदों की सैलरी और भत्ते बढ़ेंगे. यह महंगाई को देखकर किया जाता है. उस समय सैलरी 50,000 रुपये से बढ़कर 1 लाख रुपये हुई थी, और अब फिर 1.24 लाख रुपये हो गई है. सैलरी के साथ-साथ और भी बहुत कुछ बढ़ा है. मिसाल के तौर पर, रोज का भत्ता 2,000 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये हो गया. अपने इलाके के लिए भत्ता 70,000 रुपये से 87,000 रुपये हो गया. दफ्तर का खर्च 60,000 रुपये से बढ़कर 75,000 रुपये हो गया, जिसमें 50,000 रुपये कंप्यूटर ऑपरेटर और 25,000 रुपये स्टेशनरी के लिए हैं. सांसदों को अपने कार्यकाल में एक बार फर्नीचर के लिए 1 लाख रुपये और 25,000 रुपये नॉन-ड्यूरेबल फर्नीचर के लिए भी मिलेंगे. जो लोग पहले सांसद थे, उनकी पेंशन 25,000 रुपये से बढ़कर 31,000 रुपये हो गई. अगर उन्होंने पांच साल से ज्यादा काम किया, तो हर अतिरिक्त साल के लिए 2,500 रुपये और मिलेंगे.

सांसदों को सैलरी के अलावा ढेर सारी सुविधाएं भी मिलती हैं. हर साल 34 बार मुफ्त हवाई यात्रा, ट्रेन में हर क्लास में मुफ्त सफर, और सड़क पर 16 रुपये प्रति किलोमीटर का भत्ता मिलता है. दिल्ली में सत्र के दौरान उन्हें गाड़ी भी दी जाती है. इसके अलावा, दिल्ली में मुफ्त सरकारी घर, हर साल 50,000 यूनिट मुफ्त बिजली, और 4 लाख लीटर मुफ्त पानी मिलता है. लोकसभा सांसदों को 1.5 लाख और राज्यसभा सांसदों को 50,000 मुफ्त फोन कॉल्स की सुविधा है. मेडिकल की बात करें तो सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज, विदेश में भी इलाज की सुविधा, और पूर्व सांसदों व उनके जीवनसाथी को भी मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं. सांसदों को सरकारी गाड़ी, रिसर्च असिस्टेंट, और संसद की कैंटीन में सस्ता खाना भी मिलता है. संसदीय कार्य मंत्रालय का कहना है कि यह बढ़ोतरी सांसदों को बेहतर काम करने में मदद करेगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या आम लोगों की हालत भी बेहतर हो रही है?

सभी सांसदों की सैलरी-भत्ता और पेंशन बढ़ी, आम जनता हाल-बेहाल

अब बात करते हैं देश के मेहनतकश लोगों की. “इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024” में बताया गया है कि 2012 से 2022 तक आम लोगों की असली कमाई (महंगाई को हटाकर) या तो रुकी हुई है या घटी है. जिन लोगों को हर महीने सैलरी मिलती है, उनकी औसत कमाई 2012 में 12,100 रुपये महीना थी. 2019 में यह घटकर 11,155 रुपये और 2022 में 10,925 रुपये हो गई. यानी हर साल 1.2% और 0.7% की कमी हुई. जो लोग खुद का काम करते हैं, जैसे दुकान चलाते हैं, उनकी कमाई भी घटी. 2019 में उनकी औसत कमाई 7,017 रुपये महीना थी, जो 2022 में 6,843 रुपये हो गई. यानी हर साल 0.8% की कमी. दिहाड़ी मज़दूरों की कमाई थोड़ी बढ़ी. 2012 में उनकी औसत कमाई 3,701 रुपये महीना थी, जो 2019 में 4,364 रुपये और 2022 में 4,712 रुपये हो गई. यानी हर साल 2.4% और 2.6% की बढ़ोतरी. लेकिन यह बढ़ोतरी इतनी कम है कि इससे उनकी ज़िंदगी में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया.

कमाई घटने की कई वजहें हैं. पहली वजह है महंगाई. खाना, घर का किराया, पेट्रोल-डीजल सब महंगा हो गया, लेकिन लोगों की कमाई उतनी नहीं बढ़ी. दूसरी वजह है कम नौकरियां. पिछले 10 साल में अच्छी और स्थायी नौकरियां नहीं बढ़ीं. ज्यादातर लोग अस्थायी काम कर रहे हैं, जिसमें न सैलरी बढ़ती है, न सुविधाएं मिलती हैं. रिपोर्ट कहती है, “पिछले 10 साल में नौकरी करने वालों और खुद का काम करने वालों की असली कमाई रुकी या घटी. दिहाड़ी मज़दूरों की कमाई में थोड़ी बढ़ोतरी हुई, लेकिन यह बहुत कम है. यह दिखाता है कि देश में अच्छा रोजगार नहीं बन रहा.” इसका मतलब है कि 2000 से 2022 तक भारत में अच्छी नौकरियां पैदा करने में नाकामी रही.

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सांसदों का वेतन 24 फीसद तक बढ़ाया गया है.

अब सांसदों और मज़दूरों की तुलना करें. एक सांसद को अब 1.24 लाख रुपये महीना मिलेंगे. वहीं, एक दिहाड़ी मज़दूर को 4,712 रुपये. यानी सांसद की सैलरी मज़दूर की 26 गुना है. सांसदों को मुफ्त घर, बिजली, पानी, इलाज, और यात्रा की सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन मज़दूरों को कुछ नहीं. सांसदों की सैलरी 24% बढ़ी, जबकि मज़दूरों की कमाई या तो घटी या बहुत कम बढ़ी. यह फर्क दिखाता है कि देश में पैसों का बंटवारा ठीक नहीं हो रहा. रिपोर्ट में कुछ अच्छी बातें भी हैं. जैसे, 2012 से 2022 तक 5,000 रुपये से कम कमाने वाले नौकरीपेशा लोगों की संख्या 7.7% घटी. दिहाड़ी मज़दूरों में यह कमी 42.2% थी. 10,000 रुपये से ज्यादा कमाने वाले दिहाड़ी मज़दूर 5% बढ़े. लेकिन कुल मिलाकर कमाई रुकी हुई है या घटी है.

भारत में सांसदों की सैलरी और सुविधाएं बढ़ रही हैं. यह महंगाई के आधार पर सही हो सकता है. लेकिन दूसरी तरफ करोड़ों मेहनतकश लोगों की कमाई रुकी या घटी है. एक सांसद को 1.24 लाख रुपये महीना मिल रहा है, लेकिन मज़दूर 4,000-5,000 रुपये में गुज़ारा कर रहा है. यह असमानता देश के लिए चिंता की बात है.

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