IAS अभिषेक प्रकाश की बरेली में भी बेनामी संपत्ति ?
IAS अभिषेक प्रकाश पर बरेली की इंटरनेशनल सिटी घोटाले में भी नाम सामने आया है। अभिषेक प्रकाश बरेली में 31 जुलाई 2012 से 8 जून 2014 तक डीएम रहे थे।
इस समय में इन्होंने इस प्रोजेक्ट का काम न केवल अपने चहेते बिल्डर को दिया बल्कि तालाबों पर कब्जा करने का भी आरोप है। इसके अलावा जमीन के मुआवजे में भी उन्होंने हेराफेरी की है। यहां पर कई करोड़ की बेनामी संपत्ति बनाई।
बरेली के भाजपा नेता महेश पांडेय ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि बरेली में अभिषेक प्रकाश ने बेनामी संपत्तियों का जाल बिछाया।
भाजपा नेता ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से भी उनकी शिकायत की है। जांच शुरू होने से उनके काले कारनामों का पर्दाफाश होने की उम्मीद है।

इंटरनेशनल सिटी घोटाला- महेश पांडेय ने हाईकोर्ट में उठाई थी आवाज
अभिषेक प्रकाश के बरेली कार्यकाल का सबसे बड़ा घोटाला इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ा है। नारियावल में बन रही इस टाउनशिप में 600 एकड़ सरकारी जमीन शामिल है, जिसकी कीमत 8000 करोड़ रुपये है।
ये प्रोजेक्ट आईएएस अभिषेक प्रकाश के करीबी बिल्डर राजू खंडेलवाल का है। भाजपा नेता महेश पांडेय ने इस घोटाले को उजागर किया।
उन्होंने बताया कि अभिषेक ने अपने प्रशासनिक दबाव से सरकारी जमीनों को हड़पवाया। पांडेय ने इस मामले को हाईकोर्ट तक पहुंचाया था, जहां उन्होंने इंटरनेशनल सिटी के गैरकानूनी निर्माण पर सवाल उठाए।

बेनामी संपत्ति का नेटवर्क- महेश पांडेय की खुलासे से हड़कंप
महेश पांडेय के अनुसार, अभिषेक प्रकाश ने बरेली में आंवला, सदर तहसील और फरीदपुर तहसीलों में बेनामी संपत्तियां बनाईं। इन संपत्तियों में उनका पैसा राजू खंडेलवाल, विपिन अग्रवाल और राजेश गुप्ता जैसे बिल्डरों के जरिए लगाया गया।
महेश पांडेय ने दावा किया कि इंटरनेशनल सिटी में भी अभिषेक की हिस्सेदारी है। अब वे ईडी में अभिषेक प्रकाश के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की तैयारी में हैं, ताकि उनकी संपत्तियों की गहन जांच हो सके।

113 तालाबों को भरकर निर्माण का आरोप
इंटरनेशनल सिटी में 113 तालाबों को भरकर निर्माण का आरोप भी अभिषेक पर है। सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले (हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी) के अनुसार, जलमग्न क्षेत्रों में निर्माण गैरकानूनी है और इसे ध्वस्त करना अनिवार्य है।
इसके बावजूद, अभिषेक प्रकाश ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर इन तालाबों पर कब्जा करवाया। महेश पांडेय ने बताया कि चकबंदी के दौरान अधिकारियों के अधिकार शून्य होने के बावजूद, अभिषेक प्रकाश ने SDM मनीष नहर से 143 की कार्रवाई कराई।
महेश पांडेय की शिकायत पर यह आदेश वापस हुआ, लेकिन अभिषेक प्रकाश ने लखनऊ डीएम बनने के बाद मामले को राजस्व परिषद में स्थानांतरित कर दोबारा 143 घोषित करवाया।

राजू खंडेलवाल है अभिषेक का सहयोगी
बरेली के बिल्डर राजू खंडेलवाल को अभिषेक का करीबी माना जाता है। महेश पांडेय ने खुलासा किया कि राजू ने अभिषेक प्रकाश के संरक्षण में सरकारी जमीनों पर कब्जा किया और इंटरनेशनल सिटी का निर्माण शुरू करवाया।
बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने नक्शा निलंबित करने का दावा किया, लेकिन निर्माण जारी है। महेश पांडेय ने कहा कि ईडी अब राजू से भी पूछताछ करेगी।
अखिलेश सरकार में पहुंच, योगी का एक्शन
महेश पांडेय ने बताया कि अखिलेश यादव सरकार में अभिषेक की गहरी पैठ थी, जिसके चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उनके काले कारनामों को सामने लाकर उन्हें निलंबित किया। महेश पांडेय ने इस कदम की सराहना की और कहा कि अब ईडी की जांच से सच सामने आएगा।
ईडी में शिकायत
ईडी अब अभिषेक प्रकाश और उनके सहयोगियों की जांच में जुटी है। महेश पांडेय ने कहा कि उन्होंने भी ईडी में अभिषेक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
उनका दावा है कि बरेली के भूमाफिया राजू खंडेलवाल, विपिन अग्रवाल और अन्य अभिषेक के संरक्षण में काम कर रहे थे। महेश पांडेय ने बीडीए पर भी निशाना साधा, जो कागजी कार्रवाई तक सीमित है।
कौन हैं महेश पांडेय जिन्होंने अभिषेक के खिलाफ खोला मोर्चा
महेश पांडेय लंबे अरसे तक समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे और मुलायम सिंह के करीबी रहे। ये जो बात मुलायम सिंह यादव से कह देते थे वो उस बात को कभी टालते नहीं थे। अखिलेश यादव भी इन्हें अंकल कहकर बुलाते है।
हालांकि पिछले निकाय चुनाव में मेयर डॉ उमेश गौतम के पिता केके गौतम के कहने पर इन्होंने भाजपा ज्वॉइन की। इन्होंने मेयर को चुनाव लड़वाया। तब से ये भाजपा में है। महेश पांडेय बरेली के किला थाना क्षेत्र में रहते है।
बरेली में उनका काफी नाम है। और उन्हें समाजसेवी और कानूनविद के रूप में जाना जाता है। कई बड़े माफियाओं के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई। इसके साथ ही कई अधिकारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार की शिकायत कर चुके है।

दो जिलों में डीएम रहते 700 बीघा जमीन खरीदने के आरोप
अभिषेक प्रकाश पर लखीमपुर खीरी और बरेली में 700 बीघा जमीन अपने परिवार के नाम खरीदने के भी आरोप हैं। यह जमीन आईएएस अभिषेक ने अपने परिजन (माता, पिता व भाई के अलावा कुछ फर्जी कंपनियां बनाकर) के नाम खरीदी हैं।
इसी तरह बरेली में 400 बीघा जमीन खरीदने का भी आरोप है। दोनों जगहों पर स्टांप ड्यूटी में चोरी के भी आरोप हैं। DOPT ने यूपी सरकार को इस पूरे मामले की जांच के लिए लिखा था।
अभिषेक प्रकाश के कार्यकाल के कई अहम फैसले रडार पर
सरकार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के विभिन्न पदों पर कार्यकाल की विजिलेंस से जांच कराएगी।
अभिषेक प्रकाश लखनऊ, बरेली, अलीगढ़, हमीरपुर सहित कई जिलों में डीएम रह चुके हैं, इसके अलावा उन्होंने एनईडीए, नेशनल हेल्थ मिशन, गृह विभाग और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। सूत्रों के मुताबिक, उनके कार्यकाल के दौरान किए गए प्रशासनिक फैसले और वित्तीय लेनदेन जांच के दायरे में आ सकते हैं।
इन कार्यकालों की होगी जांच
- लखीमपुर खीरी – डीएम (2011-2012)
- बरेली – डीएम (2012-2014)
- अलीगढ़ – डीएम (2014-2015)
- हमीरपुर – डीएम (2018-2019)
- लखनऊ – डीएम (2019-2022) सबसे लंबा कार्यकाल
महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद
- नेशनल हेल्थ मिशन, यूपी (2015)
- एनईडीए निदेशक और विशेष सचिव (2016)
- मेरठ में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी (2016-2017)
- गृह विभाग में विशेष सचिव (2017-2018)
- लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष (2020-2021)
यूपी इन्वेस्टमेंट के CEO रहते क्या-क्या किया
- इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार: निवेशकों की फाइलें रोकीं, पैसे के बिना मंजूरी नहीं दी गई।
- अयोध्या-वाराणसी प्रोजेक्ट रोके: इन शहरों में विकास परियोजनाओं से जुड़ी फाइलें लटकाईं।
- डिफेंस कॉरिडोर घोटाला: लखनऊ के भटगांव में जमीन अधिग्रहण घोटाले में नाम आया।
- अब की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अभिषेक प्रकाश ने अयोध्या और वाराणसी में महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को फंसा रखा था।
- सरकार की प्राथमिकता वाले इन शहरों में निवेश रोकने को लेकर कई शिकायतें मिली थीं।