पबजी पर पाबंदी से ब्रेकअप जैसा फील हिंसक हुए बच्चे कर रहे तोड़फोड़-मारपीट
बेटा इस कदर हिंसक हुआ कि उसे रस्सी से बांधना पड़ा
अशोका गॉर्डन में रहने वाला15 वर्षीय राहुल (परिवर्तित नाम) एक साल से पबजी की लत का शिकार है। अब गेम न खेल पाने के कारण वह तनाव में आकर हिंसक हो रहा है। हाल ही में छोटे भाई से मारपीट, घर में तोड़फोड़ की। घरवालों ने मजबूरी में उसे रस्सी से बांध दिया और काउंसलर से मदद ली। राहुल की मां ने कहा पबजी ने पहले ही बेटे को बर्बाद किया हुआ था। अब बैन हो जाने के बाद भी भूत की तरह हमारे बेटे के पीछे लगा हुआ है।
रात में नींद नहीं आने के कारण पीने लगा कफ सीरप
टीटी नगर निवासी 21 वर्षीय अर्पित (परिवर्तित नाम) का कहना है कि उसे पबजी खेलकर ही नींद आती थी। जब से इस पर बैन लगा है, नींद के लिए कफ सीरप पी रहा है। अर्पित ने काउंसलर के सामने कहा कि वह खुद को हताश महसूस कर रहा है। ऐसा लग रहा है जैसा कोई गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने पर महसूस करता है। उसे पबजी की लत लग गई थी, उसने गेम्स में काफी पैसा भी जीता है। वह इस सबसे कैसे बाहर निकले?
भोपाल । केंद्र सरकार ने 2 सितंबर को पबजी सहित 118 चीनी ऐप बैन कर दिए। पबजी यानी प्लेयर अननोन्स बैटलग्राउंड गेम के बंद होने से गेमर्स को गहरा सदमा लगा है। अभी गेम बैन हुए एक हμता भी नहीं बीता है और इसके साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। हालत यह है कि जिन बच्चों को इस गेम की लत थी, उनका व्यवहार हिंसक हो रहा है। घर में मारपीट और तोड़फोड़ करने लगे हैं। काउंसलर के पास लगातार इस तरह के मामले पहुंच रहे हैं। इन बच्चों में ज्यादातर वह हैं, जिन्होंने गलती से ऐप को अपडेशन पर डाल दिया। किशोर क्लिनिक की काउंसलर दिव्या दुबे मिश्रा ने बताया कि उनके यहां 6 लोगों ने और चाइल्ड लाइन पर भी दो अभिभावकों ने फोन कर सलाह मांगी है। उनके अनुसार, अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे हिंसक हो रहे हैं और पबजी न खेल पाने के कारण घर में मारपीट और तोड़-फोड़ कर रहे हैं। साथ ही वह तनाव में घिरे हैं, जिससे डर लगता है कि कोई गलत कदम न उठा ले।
बच्चे-युवाओं पर बुरा असर
2017 में आए गेम पबजी से मां-बाप शुरू से परेशान रहे हैं। पूरे देश में पबजी के कारण हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना और चोरी-लूट के उदाहरण मौजूद हैं। खेलने वाला इसमें ऐसा खो जाता है कि न खाने का होश रहता है और न किसी और काम का। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक पबजी बच्चों तक सीमित नहीं है, बल्कि 30-32 साल के युवाओं को भी अफेक्ट कर रहा है। यह गेम ज्यादातर लोग देर रात तक खेलते थे। दिव्या दुबे मिश्रा, काउंसलर
काउंसर की सलाह
पबजी खेलने की लत के शिकार बच्चों को कभी भी अकेला न छोड़ें। परिवार का एक न एक सदस्य हर वक्त उनके साथ मौजूद रहना चाहिए पैरेंट्स बच्चों की मन: स्थिति को समझें, ज्यादा दबाव डालने पर बच्चे गलत कदम भी उठा सकते हैं। स्क्रीन टाइम तय कर उन्हें दूसरे क्रिएटिव कामों में व्यस्त करें। इस समय यदि आउटडोर गेम संभव नहीं हो रहा है, तो बच्चों को इनडोर गेम्स से जोड़ें, ताकि उनका मन लगा रहे।