कांग्रेस क्या इन्हें भी बिकाऊ और गद्दार कहेगी : राजपूत

भोपाल । कांग्रेस में आयातित नेताओं की बढ़ती संख्या को देख परिवहन व राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का सवाल है कि कांग्रेस क्या उन्हें भी बिकाऊ व गद्दार कहेगी? कमलनाथ सरकार के दौरान विकास की गति ठहर गई थी, हमने जो सपने देखे वे चूर-चूर हो रहे थे। ‘मैं उनकी कैबिनेट में था, लेकिन करीब नहीं था।’ उस वक्त सत्ता का आनंद कुछ लोग ही उठा रहे थे। अब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सुरखी क्षेत्र के लिए 500 करोड़ की योजनाएं मंजूर की हैं। परिवहन मंत्री राजपूत ने ये विचार एक विशेष मुलाकात के दौरान व्यक्त किए। कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामने से लेकर कोरोना संकट, उपचुनाव की चुनौती, क्षेत्रीय सियासत व विभागीय रिवेन्यू में गिरावट जैसे अनेक मुद्दों पर उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी। कांग्रेस छोड़ने वालों को बिकाऊ व गद्दार कहे जाने पर राजपूत का सवाल था कि ‘कांग्रेस, क्या अब पारूल साहू, प्रेम चंद गुड्डू, केएल अग्रवाल व सतीश सिकरवार जैसे अन्य नेताओं को भी गद्दार कहेगी? सुरखी से पारूल साहू की उम्मीदवारी से जुड़े सवाल पर वह कहते हैं ‘मैं चुनौती नहीं मानता, मेरे साथ जनता है। 2003 में उमा भारती की आंधी में सभी दिग्गज हार गए थे, तब सागर संभाग में सुरखी की जनता ने केवल मुझे ही जिताया था।

 करो या मरो की लड़ाई

कोरोना संकट के दौरान परिवार के साथ क्षेत्र में 16-18 घंटे पसीना बहा रहे राजपूत को इस बात का एहसास है कि ‘करो या मरो’ की लड़ाई और सियासी कॅरियर दांव पर है। उनका बेटा कोरोना पॉजिटिव हो गया, फिर भी राजपूत की दौड़-धूप जारी है। वह कहते हैं कि जनसेवा के लिए राजनीति में आया हूं, हार नहीं मानूंगा। क्षेत्र में निकली राम शिला यात्राओं को मिले जनसमर्थन से वह उत्साहित हैं। भाजपा नेताओं की स्वीकार्यता के सवाल पर वह कहते हैं सभी का सहयोग मिल रहा है। प्रस्तुत है उनके साथ चर्चा के प्रमुख अंश…

बदले हुए सियासी परिदृश्य में सुरखी की चुनौती को कैसे देखते हैं?  क्षेत्र से हमारा पुराना नाता है, जनता का आशीर्वाद मिलेगा। क्षेत्रीय विकास की खातिर ही मैंने यह फैसला लिया। 4 महीने में 500 करोड़ की योजनाएं मंजूर हुई हैं।

भाजपा नेताओं की स्वीकार्यता पर क्या कहेंगे? – सभी का सहयोग है, मंत्री भूपेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में चुनाव प्रचार चल रहा है, वह चुनाव प्रभारी हैं। वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव भी पूरी ताकत से मोर्चा संभालेंगे।

कांग्रेस और कमलनाथ से मोहभंग की वजह?  कांग्रेस अब डूबता जहाज है, अपने कर्मों से खत्म हो रही है। भाजपा लंबे समय तक राज करेगी। कमलनाथ तो जनता के बीच जाते ही नहीं थे।

चुनाव की व्यस्तता के बीच विभाग का काम कैसे मैनेज करते हैं? – जरूरी फाइलें सागर बुला लेता हूं, अधिकारियों से वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए चर्चा कर लेता हूं।

इस साल रेवेन्यू की गिरावट और संकट से कैसे निपटेंगे? – पिछले साल 3600 करोड़ रुपए राजस्व आया था। अब दिक्कत ज्यादा है। सीएम भी उपाय कर रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार का सपोर्ट भी है।

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