मध्यप्रदेश: अधर में न्याय की उम्मीदें, 27 से ज़्यादा रेप मामलों में फांसी की सजा, फंदे तक कोई नहीं पहुंचा

हाथरस केस (Hathras case) के बाद देशभर से हत्यारों को फांसी देने की मांग उठ रही है. लेकिन क्या फांसी का कानून भर बना देने से बात बनेगी. इस कानून की हकीकत से हम आपको आज रूबरू कराने जा रहे हैं. मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) में दिसंबर 2017 में विधानसभा में कानून पास किया गया था कि नाबालिग (12 साल से कम उम्र) के साथ रेप के केस में फांसी की सजा का प्रावधान होगा.

यानि कि अगर कोई अपराधी नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करेगा तो उसे फांसी होगी. पॉक्सो एक्ट में बदलाव किया गया और उसे लागू भी किया गया.

27 से ज़्यादा मामलों में हुई फांसी की सजा, फंदे तक कोई नहीं पहुंचा

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि कानून में इस बदलाव के बाद 27 से ज़्यादा मामलों में अपराधी को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन एक भी अपराधी आज तक फांसी के फंदे पर नहीं लटका.

दरअसल कानूनी प्रक्रियाएं इतनी जटिल हैं कि अपराधी को फांसी देने में लंबा वक्त लग जाता है. पुलिस अधिकारियों का तर्क है कि उनका काम कोर्ट में अपराधी को दोषी सिद्ध करके उसके खिलाफ मज़बूत केस तैयार करना है जिससे उसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिल सके. लेकिन उसके बाद न्यायालय पर निर्भर करता है कि उस फैसले को कितनी जल्दी अमल में लाया जाता है.

इसी सिलसिले में टीवी 9 भारतवर्ष ने उन पीड़ितों का पक्ष जानने की कोशिश की जिन्हें आज भी उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा.

8 जून 2019… भोपाल के कमला नगर इलाके की मांडवा बस्ती में एक 9 साल की मासूम गुड़िया (काल्पनिक नाम) के साथ बलात्कार किया गया. सिर्फ इतना ही नहीं बलात्कार के बाद आरोपी ने गुड़िया का बेदर्दी से कत्ल भी कर दिया.

घटना के बाद पूरे भोपाल में बवाल हो गया, सिर्फ समाज के लोग ही नहीं बल्कि राजनीतिक दल भी इस मामले में हंगामा कर रहे थे. भोपाल ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश से दबाव आने लगा. जगह जगह कैंडल मार्च और सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन किए जा रहे थे. इसी दौरान लापरवाही बरतने वाले 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया.

पुलिस ने भारी दबाव के बीच आरोपी को खोजने में दिन रात एक कर दिए. 48 घंटे लगातार काम करने के बाद पुलिस ने पीड़ित परिवार के पड़ोसी विष्णु को खंडवा के ओंकारेश्वर से हिरासत में लिया. विष्णु ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया. इसके बाद पुलिस ने साक्ष्य जुटाए. 40 गवाहों के बयान करवाए गए और डीएनए, सीमेन और ब्लड समेत 22 सैंपल्स का परीक्षण करवाया गया.

इसके बाद पुलिस ने चार्जशीट पेश कर दी. रिकॉर्ड 32 दिनों में कोर्ट ने फैसला सुनाया और गुड़िया के हत्या और बलात्कार के आरोपी विष्णु को फांसी की सज़ा सुनाई गई.

बेटी के परिजन बोले- कुछ नहीं बदला, आरोपी जेल में मुफ्त का खाना खा रहा है

बेटी के साथ हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद अब उसका परिवार मांडवा बस्ती छोड़कर जा चुका है. शासन ने घटना के बाद गुड़िया के परिवार को 5 लाख रुपए की सहायता राशि और भानपुर की मल्टी में एक फ्लैट सहायता के तौर पर दिया है.

गुड़िया के परिवार का कहना है कि जब आरोपी विष्णु को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी तो ऐसा लगा था कि उन्हें न्याय मिल गया. लेकिन अब लगता है कि कुछ नहीं बदला क्योंकि आरोपी आज भी जेल में मुफ्त का खाना खा रहा है. उसे किस बात का डर है, क्योंकि वो तो जिंदा है.

फांसी की सज़ा से जिन अपराधियों में खौफ होना चाहिए वो अब और ज्यादा खतरनाक हो गए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि रेप करने के बाद उन्हें फांसी नहीं होगी बल्कि जेल में मुफ्त का खाना मिलेगा.

मासूम गुड़िया की मां की आंखे आज भी उस मंज़र को याद करके भर आती हैं. वो क्या मंज़र होगा जब एक मां ने अपनी बच्ची की लहूलुहान लाश देखी होगी. हम और आप सोच भी नहीं सकते. और जब उसका कातिल ज़िंदा हो, और सलाखों के बीच महफूज हो तो बेटियां कैसे खुद को महफूज़ समझेंगी.

पिता बोले, सरकार 5 लाख और मकाल वापस ले ले मगर आरोपी को फांसी दो

गुड़िया के पिता का कहना है कि बेशक सरकार अपना मकान और 5 लाख रुपए वापस ले ले. लेकिन आरोपी को फांसी की सज़ा दे दे. वो हर कोर्ट में जाकर अपील करने के लिए तैयार हैं लेकिन कोई बताने वाला नहीं है कि वो इस सिस्टम से कैसे लड़ें.

पिता दर्दभरी आवाज़ में कहते हैं कि बेटी की जान और इज़्जत की कीमत एक मकान और पैसा नहीं है. बल्कि आरोपी को फांसी देना ही इसका असल न्याय होगा.

हम मांडवा बस्ती में गए जहां गुड़िया के साथ इस दरिंदगी को अंजाम दिया गया था, गुड़िया के पड़ोसी और रिश्तेदार भी मिले. सभी का एक सुर में कहना था कि न्याय… वो कहां है. अपराधी तो जेल में है, खा पी रहा है. मस्त है. उसे फांसी कहां हुई. जब तक फांसी नहीं होती वो नहीं मानेंगे कि न्याय हुआ.

पीड़ित परिवार को केस का स्टेटस तक नहीं पता
जब ये घटना हुई तो बड़े नेता, अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता परिवार से मिले. मदद का आश्वासन भी दिया. पुलिस ने बेहद मेहनत और लगन से केस मजबूती से कोर्ट के सामने पेश किया.

कोर्ट ने सबूतों के आधार पर फांसी की सज़ा भी सुनाई लेकिन अब मामला हाईकोर्ट में लंबित है. पीड़ित परिवार को केस का स्टेटस तक नहीं पता चल पा रहा.

परिवार आज भी इस इंतज़ार में है कि आरोपी को फांसी मिलेगी. बड़े बड़े वादे किए गए, दावे किए गए, कहा गया जब आरोपियों को फांसी की सज़ा होगी तो दरिंदे बेटियों के साथ इस तरह की हरकत करने से घबराएंगे लेकिन अब तक तो सारे दावे कागज़ी साबित हुए.

अधर में लटक रही हैं न्याय मिलने की उम्मीदें

रिपोर्ट्स बताती हैं कि 27 मामलों में फांसी की सज़ा हुई लेकिन आज तक एक भी मामले में अपराधी फंदे पर नहीं लटका. लेकिन न्याय मिलने की उम्मीदें अधर में लटक रही हैं.

भोपाल के अलावा दतिया, सागर, कटनी, मंदसौर और न जाने कितने मामलों में पुलिस ने अपना काम किया. आम लोगों ने शांति से बेटियों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन अगर इसी तरह अपराधी जेल में ऐश करते रहे तो हाथरस की तरह कहीं सब्र का बांध टूट न जाए.

 

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