उत्तर प्रदेश: यमुना एक्सप्रेस-वे के पास ‘नया वृंदावन’ बसाएगी योगी सरकार, जानें क्या होंगी खूबियां
यूपी सरकार मथुरा-वृंदावन की तर्ज पर नया वृंदावन शहर बसाने जा रही है. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) आगामी जेवर हवाई अड्डे के पास मथुरा और वृंदावन की तर्ज पर यमुना एक्सप्रेसवे(Express way) लाइन में एक नया वृंदावन शहर बसाएगा. नए शहर में सबसे ज्यादा जोर पर्यटन (Tourism) को बढ़ावा देने पर रहेगा. यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे राया में नया वृंदावन (Vrindavan) बसाया जाएगा.
नए शहर में मार्केटप्लेस (Market Place) से आश्रमों तक न केवल दो प्राचीन शहरों (Ancient Cities) की झलक दिखेगी, बल्कि हेरिटेज कॉरिडोर का एक कोर भी बनाया जाएगा. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मथुरा, वृंदावन, आगरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से इस प्रोजेक्ट (Project) को मंजूरी दी है.
700 करोड़ की लागत बनेगा नया वृंदावन
यमुना एक्सप्रेस के पास राया में नया शहर बसाया जाएगा. इस प्रोजक्ट में करीब 7,000 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान जताया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को 9,350 हेक्टेयर क्षेत्र बनने की संभावना जताई जा रही है. यह जगह जेवर हवाई अड्डे से करीब 100 किमी की दूरी पर मौजूद है.
YEIDA के सीईओ अरुण वीर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने नए शहर के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. प्रारंभिक रिपोर्ट YEIDA द्वारा तैयार की गई थी, नए शहर को भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के रूप में विकसित किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट में भगवान कृष्ण और उनके जीवन की झलक दिखेगी.
अरुण वीर सिंह ने कहा कि 731 हेक्टेयर जमीन पर पर्यटन क्षेत्र और 110 हेक्टेयर जमीन पर रिवर फ्रंट बनाया जाएगा. बाकी बची जमीन पर आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रतिष्ठान बनेंगे. इस प्रोजेक्ट पर जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.
सीईओ अरुण सिंह ने कहा कि उद्योग मंत्री सतीश महाना के नोएडा दौरे के बाद इस प्रोजेक्ट को 6 नवंबर आगे बढ़ाने की मंजूरी मिली. नोएडा दौरे के दौरान उद्योग मंत्री ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में प्रोजेक्ट के लिए अपनी मंजूरी दी थी.
अगले साल तक शुरू होगा नए शहर पर काम
YEIDA द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट में नए शहर के लिए कई चीजों का सुझाव दिया गया है. रिपोर्ट में प्राचीन हाट, आश्रम, संग्रहालय, छोटे गांव, वन बनाने का प्रस्ताव है. हालांकि एक स्वतंत्र सलाहकार इसके लिए अलग से डीपीआर बनाएगा.
डीपीआर के बारे में बताते हुए अरुण सिंह ने कहा कि इस प्रक्रिया में लगभग एक महीने का समय लगेगा. सबसे पहले, सलाहकार का चयन किया जाएगा, उसके बाद ही डीपीआर पेश किया जाएगा. फिर इसके लिए राज्य सरकार से मंजूरी भी लेनी होगी. उसके बाद ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सकेगा. अगले साल तक प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की उम्मीद है.