किसान संगठनों ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी, सरकार ने किया बातचीत के लिए आमंत्रित

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का आंदोलन भीषण ठंड में भी जारी है। केंद्र सरकार ने एकबार फिर से किसान संगठनों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए किसान संगठनों से तारीख तय करने के लिए कहा है। बता दें कि केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, किसान संगठन के नेता एक बार गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल चुके हैं लेकिन सभी दौर की वार्ताएं पूरी तरह विफल साबित हुई हैं।

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दिल्ली की सीमाओं जारी इस किसान आंदोलन के बीच रविवार सुबह प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक बिना सुरक्षा के गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंचे और सिखों के नौवें गुरु- गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि दी। किसान आंदोलन में पंजाब के सिख किसानों की बहुत बड़ी संख्या है, ऐसे में पीएम मोदी का अचानक आम आदमी की तरह गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार-आर किसानों को नए कृषि कानूनों के लाभों के बारे में समझाने की कोशिश की है।

वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी है। रविवार को किसान संगठनों ने कहा कि वो सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। इतना ही नहीं, किसान संगठनों ने ये भई कहा कि 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल की वसूली नहीं करने दी जाएगी। किसान आंदोलन को तेज करने के लिए ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने अनेक व्यापारी संगठनों को पत्र लिखकर उनसे किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का अनुरोध किया है। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) ने रविवार को कहा कि एक केंद्रीय एजेंसी ने उससे उसकी पंजीकरण की जानकारी जमा करने को कहा है, जो उसे विदेशी धनराशि प्राप्त करने की इजाजत देती है।

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